राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अयोध्या में रामलला के जन्मस्थान पर राममंदिर का निर्माण और 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह भारतवर्ष के पुनर्निर्माण अभियान की शुरुआत है। यह सद्भाव, एकता, प्रगति, शांति और सभी के कल्याण के लिए है। राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदू समाज के संघर्ष का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसे लेकर अब विवाद, कड़वाहट और संघर्ष खत्म होना चाहिए।
आरएसएस की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक लेख में उन्होंने लिखा कि 9 नवंबर 2019 को 134 वर्षों के कानूनी संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सत्य और तथ्यों को परखने के बाद एक संतुलित फैसला दिया। धार्मिक दृष्टि से श्रीराम बहुसंख्यक समाज के आराध्य देव हैं और श्री रामचंद्र का जीवन आज भी संपूर्ण समाज द्वारा स्वीकृत आचरण का आदर्श है। इसलिए अब अकारण विवाद को लेकर जो पक्ष-विपक्ष खड़ा हुआ है, उसे समाप्त कर देना चाहिए। इस बीच में उत्पन्न हुई कड़वाहट भी खत्म होनी चाहिए। समाज के प्रबुद्ध लोगों को यह अवश्य देखना चाहिए कि विवाद पूर्णतः समाप्त हो जाए।
राष्ट्रीय गौरव के पुनर्जागरण का प्रतीक
संघ प्रमुख ने कहा, अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण का अवसर राष्ट्रीय गौरव के पुनर्जागरण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि अहंकार, स्वार्थ और भेदभाव के कारण यह संसार विनाशकारी उन्माद में है और अपने ऊपर अनंत विपत्तियां ला रहा है। सद्भाव, एकता, प्रगति और शांति का मार्ग दिखाने वाले जगदाभिराम भारतवर्ष के पुनर्निर्माण का सर्व-कल्याणकारी और ‘सर्वेषाम् ‘सर्वेषाम् अविरोधी’ अभियान का प्रारंभ श्री रामलला के राम जन्मभूमि में प्रवेश और उनकी प्राण-प्रतिष्ठा से होने वाला है।