नेपाल, भारत या श्रीलंका… कहां है माता जानकी का सबसे प्राचीन मंदिर?

अयोध्या के राजा राम अपने भव्य मंदिर में बालरूप में विराजमान हो गए हैं पर उनके साथ माता सीता की प्रतिमा नहीं दिखी. राम इस मंदिर के गर्भगृह में बाल रूप में विराजमान होंगे. पांच साल के बालक के रूप में उनकी पूजा की जाएगी. यानी तब वह कुंवारे थे. इसलिए माता सीता की प्रतिमा गर्भगृह में नहीं होगी. पर क्या आपको पता है कि माता जानकी का सबसे प्राचीन मंदिर कौन सा है और कहां है? आइए इसे जान लेते हैं.

अयोध्या के राजा राम अपने भव्य मंदिर में बालरूप में विराजमान हो गए हैं पर उनके साथ माता सीता की प्रतिमा नहीं दिखी. इसके बारे में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय ने बताया था कि राम इस मंदिर के गर्भगृह में बाल रूप में विराजमान होंगे. पांच साल के बालक के रूप में उनकी पूजा की जाएगी. यानी तब वह कुंवारे थे. इसलिए माता सीता की प्रतिमा गर्भगृह में नहीं होगी, जबकि राम के तमाम मंदिरों में उनके साथ माता सीता भी होती हैं.

यही नहीं, देश-दुनिया में ढेरों ऐसे मंदिर भी हैं जो माता सीता को समर्पित हैं. पर क्या आपको पता है कि माता जानकी का सबसे प्राचीन मंदिर कौन सा है और कहां है? आइए इसे जान लेते हैं.

नेपाल के जनकपुर में जानकी का मंदिर

रामकथा में बताया गया है कि माता सीता राजा जनक की पुत्री थीं जो त्रेता युग में मिथिला पर शासन करते थे. जनकपुर उनकी राजधानी थी जो आज नेपाल में है. यह नेपाल का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल भी है. इसे मां जानकी का मायका भी कहा जाता है. यहीं पर भारत में टीकमगढ़ रियासत की महारानी वृषभानु कुमारी ने सीता माता का मंदिर बनवाया था.

दरअसल, यहां किसी संत को सीता माता की सोने की एक मूर्ति मिली थी. इसके बाद पुत्र की प्राप्ति के लिए महारानी वृषभानु कुमारी ने सन् 1895 ईस्वी में मंदिर का निर्माण शुरू कराकर यहां मूर्ति की स्थापना की थी. यह मंदिर सन् 1911 में बनकर तैयार हुआ था. नेपाल में बना यह मंदिर करीब 4860 वर्ग फुट क्षेत्रफल में फैला है, जिस पर तब नौ लाख रुपए खर्च हुए थे. इसलिए जानकी के इस मंदिर को नौलखा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.

सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में सन् 1967 से लगातार सीता-राम नाम के जाप के साथ ही अखंड कीर्तन चल रहा है. इसे जनकपुरधाम भी कहते हैं, जहां से जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के खास उपहार भी भेजे गए हैं.

Janki Temple

नेपाल के जनकपुर का जानकी मंदिर.

श्रीलंका में भी है मां सीता का मंदिर

भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में भी सीता माता का मंदिर है. इसका नाम है सीता अम्मन मंदिर. यह श्रीलंका की नुवारा एलिया की पहाड़ियों में स्थित है. बताया जाता है कि यह मंदिर उसी जगह पर स्थित है, जिसे रामकथा में अशोक वाटिका बताया गया है. ग्रंथों में कहा गया है कि पंचवटी से सीता माता के अपहरण के बाद रावण ने उन्हें अशोक वाटिका में ही रखा था.

सन् 1998 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार भी किया जा चुका है. नुवारा एलिया से इस मंदिर की दूरी पांच किमी और श्रीलंका के हक्गाला बोटैनिकल गार्डन से एक किमी है. जहां यह मंदिर स्थित है, उस स्थान को सीता एलिया के नाम से भी जाना जाता है.

अयोध्या में भी सीतामढ़ी

सीतामढ़ी का नाम सुनते ही दिमाग में बिहार का सीतामढ़ी घूम जाता है पर अयोध्या में भी एक सीतामढ़ी है, जहां सीता माता का एक प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर को भी अब भव्य बनाया जा रहा है, जिसमें जानकी के नौ स्वरूपों को विग्रह रूप में स्थापित किया जाएगा. अयोध्या में ही जन्मभूमि के पास सीता रसोई है, जहां विवाह के बाद पहली बार रानी सीता ने परिवार के सदस्यों के लिए शगुन के तौर पर भोजन पकाया था. यहां भी सीता माता के दर्शन होते हैं. यहां के कनक भवन में भी सीता-राम और लक्ष्मण की आराधना होती है.

Punaura Temple

सीतामढ़ी का पुनौरा मंदिर

सीतामढ़ी का पुनौरा मंदिर

धार्मिक ग्रंथों में वर्णित रामकथा के अनुसार माना जाता है कि राजा जनक को खेत में हल चलाते वक्त सीता मइया मिली थीं. जिस स्थान पर उन्होंने हल चलाया था, वह बिहार में नेपाल की सीमा के पास है. आज यह स्थान बिहार के सीतामढ़ी जिले में पुनौरा नामक स्थान पर है, जहां सीता मइया को समर्पित पुनौरा मंदिर है. इसे माता सीता की जन्मस्थली कहा जाता है. इसीलिए यहां के लोग भी इसे सीता का मायका मानते हैं.

यह भी मान्यता है कि सीता माता की शादी के बाद खुद राजा जनक ने उसी स्थान पर एक कुंड बनवाया था, जहां उनका जन्म हुआ था. साथ ही राम-सीता और लक्ष्मण की प्रतिमूर्ति स्थापित कर मंदिर बनवाया था. इस मंदिर को जानकी मंदिर और कुंड को जानकी कुंड कहा जाता है. वैसे यहां वर्तमान में जो मंदिर मिलता है, उसकी स्थापना करीब सौ साल पहले की गई थी.

उत्तराखंड के चाई गांव में भी मंदिर

उत्तराखंड में चमोली जिले के जोशीमठ क्षेत्र में स्थित चांई गांव में भी सीता माता का एक अत्यंत प्राचीन मंदिर पाया जाता है. ऐसा दावा किया जाता है कि यह देश में इकलौता मंदिर है, जहां सीता मइया की पत्थर की मूर्ति के अलावा किसी और देवी-देवता की कोई मूर्ति नहीं है. ऐसे ही नैनीताल में जिम कॉर्बेट पार्क के सीतावनी नामक स्थान पर भी मंदिर है, जिसे अब सीतावनी मंदिर नाम दिया गया है. मान्यता है कि निर्वासन के बाद सीता माता ने यहां भी कुछ साल व्यतीत किए थे.

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