Aajam Khan के मामले में अब ईडी करेगी जांच, Income Tax Department ने सौंपी जांच रिपोर्ट

 

जेल में बंद आज़म खान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. पहले उनकी विधानसभा की सदस्यता गई, फिर बेटे अब्दुल्ला आजम की. अब तो उनके ड्रीम प्रोजेक्ट पर भी तालाबंदी का ख़तरा मंडराने लगा है. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता पर 450 करोड़ रूपये की काली कमाई जौहर यूनिवर्सिटी में लगाने का आरोप है. मुलायम सिंह और अखिलेश यादव की सरकार में सबसे ताकतवर मंत्री रहे आजम खान पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. राजनीति के साथ-साथ उनका आर्थिक तंत्र भी तबाही की ओर है.

आयकर विभाग की ओर से ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) को भेजी गई रिपोर्ट में 450 करोड़ रूपये की ब्लैक मनी लगाने का खुलासा हुआ है. चौंकाने वाली बात यह है कि कई ऐसी कंपनियों ने भी जौहर यूनिवर्सिटी को करोड़ों रूपये का दान दे दिया है, जो खुद अस्तित्व में ही नहीं है. जबकि, जौहर ट्रस्ट को दान देने वाले ऐसे लोग भी मुकर गए, जिनकी लिस्ट खुद आजम खां ने आयकर विभाग को दी थी.

इनकम टैक्स विभाग में शिकायत

बीजेपी के रामपुर से विधायक आकाश सक्सेना ने उनके खिलाफ इनकम टैक्स विभाग में शिकायत की थी. उनकी शिकायत के बाद जांच का दायरा बढ़ता गया, तो आजम खां की मुश्किलें भी बढ़ती गईं. हाल ही में 13 सितंबर को ही आयकर विभाग की ओर से आजम खां के 30 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी.

रामपुर, लखनऊ, गाजियाबाद, मेरठ आदि जिलों में हुई यह छापेमारी तीन दिन तक चली थी, जबकि, 20 अक्टूबर को केंद्रीय लोक निर्माण विभाग की टीम ने जौहर यूनिवर्सिटी में डेरा डाल लिया और इमारतों की वास्तविक कीमत का आंकलन किया. जिसके बाद आयकर विभाग ने अपनी जांच रिपोर्ट ईडी को भेज दी है.

यूनिवर्सिटी में 59 इमारतों का निर्माण

सूत्रों के मुताबिक जांच रिपोर्ट में यह कहा गया है कि आजम खां ने जौहर यूनिवर्सिटी में बनी दो इमारतों के निर्माण की ही मंजूरी ली थी, जबकि यूनिवर्सिटी में 59 इमारतों का निर्माण किया गया है. वहीं, आजम खां अपनी यूनिवर्सिटी की कीमत 46 करोड़ रूपये बताते हैं, जबकि इन इमारतों की वास्तविक कीमत 494 करोड़ रूपये है. इस तरह 450 करोड़ रूपये का निवेश छुपाया गया, जो गलत तरीके से अर्जित किया गया है. इसमें भी यूनिवर्सिटी में अधिग्रहीत की गई जमीन और अन्य चल संपत्तियां शामिल नहीं हैं.

आजम खां से पूछताछ

इसके अलावा 88 करोड़ रूपये जल निगम, लोक निर्माण विभाग जैसी सरकारी विभागों के लगे हुए हैं, जिनसे अलग-अलग योजना के तहत कार्य कराए गए हैं. जैसे ड्रेनेज सिस्टम, सड़कों और इमारतों का निर्माण शामिल है. वहीं, आयकर विभाग ने जब आजम खां से पूछताछ की, तो उन्होंने जौहर ट्रस्ट को चंदा देने वालों ने नाम बता दिए, लेकिन आयकर विभाग ने जब उन दानदाताओं से पूछा तो उन्होंने जौहर ट्रस्ट को किसी भी प्रकार का चंदा देने से इंकार कर दिया. सूत्र बताते हैं कि आयकर विभाग ने यह भी माना है कि आजम खां ने सपा सरकार में मंत्री रहते हुए अपनी ताकत को दुरूपयोग किया और अपने निजी स्वार्थ को गलत तरीके से पूरा किया है.

आयकर विभाग की जांच में खुलासा

आरोप है कि आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी में ठेकेदारों का 30 से 40 प्रतिशत पैसा लगता था. सूत्रों के मुताबिक आयकर विभाग की जांच में यह खुलासा हुआ है. इसमें से कुछ ठेकेदारों ने इस बात को स्वीकार भी किया है. सूत्रों के अनुसार यह खेल इस तरीके से होता था कि आजम खां अपने ही करीबी ठेकेदारों को सड़कों और अन्य कार्यों के लिए ठेके दिलाए जाते थे, लेकिन ठेकेदार बिना काम करे ही उस धन को निकाल लेते थे और उस धन में 30 से 40 प्रतिशत पैसा जौहर ट्रस्ट को दे दिया जाता था.

करोड़ों रूपये का चंदा

सपा नेता आजम खां के जौहर ट्रस्ट को अस्तित्वविहीन कंपनियों ने ही करोड़ों रूपये का चंदा दे दिया था. सूत्रों के अनुसार इसमें लखनऊ की पिरामिड कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायरस, मुरादाबाद की सालार ओवरसीज लिमिटेड और फेज परवीन, दिल्ली की एआर एजुकेशन ट्रस्ट, रामीगेट इन्फ्रा डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड, बहराइच की मोहम्मद हसीब, नोएडा की सिटी एजुकेशन एंड सोशल वेलफेयर सोसायटी और अर्थ कम्यूनिकेशन इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड, रॉयल एम्पोरिया फ्रा टेक कंपनी शामिल हैं.

आयकर विभाग की जांच रिपोर्ट

इन कंपनियों ने जौहर ट्रस्ट को करोड़ों रूपये का चंदा दिया है. आयकर विभाग की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ईडी पीएमएलए (प्रीवेन्सन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट) व फेमा के तहत केस दर्ज कर सकती है. क्योंकि, जिस गैरकानूनी तरीके से पैसे का ट्रांजेक्शन हुआ है, वह इसके दायरे में आता है. इसके अलावा विदेशी मुद्रा के लेनदेन की भी जानकारी सामने आई है. जिसके बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं.

 

 

 

 

 

 

 

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