महराजगंज। भारत-नेपाल खुली सीमा पर पिलर लगाने के लिए सर्वे की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। महराजगंज जिले से लगने वाली 84 किमी सीमा है। भारत-नेपाल से लगी सीमा पर करीब 5900 पिलर लगेंगे। इस पर 66 लाख रुपये खर्च होंगे। सीमा सुरक्षा को लेकर यह पहल की गई है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होते ही काम शुरू हो जाएगा। भारत-नेपाल सीमा सुरक्षा को लेकर दोनों देशों की एजेंसियों की तरफ से सीमा स्तंभ को लेकर सवाल उठते रहे हैं। पिलर बनने से यह समस्या दूर हो जाएगी।
जानकारी के अनुसार, सीमा स्तंभ बनवाने की जिम्मेदारी ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को मिली है। एक स्तंभ पर करीब 10 हजार रुपये खर्च होगा। सभी जरूरी प्रक्रिया पूरी करने के बाद पिलर लगना शुरू होगा। एसएसबी, राजस्व विभाग और पुलिस की टीम की ओर से संयुक्त सर्वे के बाद चिन्हित 5900 स्थानों पर सीमा स्तंभ लगाए जाएंगे। इन सीमा स्तंभ को लेकर ग्रामीण अभियंत्रण विभाग ने टेंडर निकाला है। छह महीने के अंदर पिलर लगाने की समय सीमा तय है।
नेपाल सरकार की तरफ से भी बॉर्डर पर टूटे सीमा स्तंभ को लेकर आपत्ति दर्ज कराई जा चुकी है। जिसे देखते हुए राजस्व, एसएसबी और पुलिस की संयुक्त टीमों ने आठ महीने पहले बॉर्डर एरिया का सर्वे किया था। महराजगंज जिले में भारत-नेपाल की खुली सीमा करीब 84 किलोमीटर लंबी है। सीमा स्तंभ 100 से 150 मीटर दूरी पर लगाए जाने हैं। सीमा स्तंभ बनवाने का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को सौंपा गया है। एक स्तंभ पर नौ से 10 हजार रुपये खर्च होने का अनुमान है।
एसएसबी 66 वाहिनी सहायक सेनानायक वरूण कुमार ने बताया कि पिलर सर्वे ऑफ इंडिया की टीम लगाएगी। दोनों देशों के सुरक्षा बल की मौजूदगी में काम होगा। पूरी प्रक्रिया नियम के अनुसार पूरी की जाएगी।
भारत-नेपाल सीमा की 1880 किलोमीटर है लंबाई
महराजगंज। भारत-नेपाल सीमा स्तंभ का मामला वर्ष 2019 में नेपाल के तत्कालीन गृहमंत्री ने भारत-नेपाल सीमा के स्तंभों को लेकर कांठमांडो से रिपोर्ट जारी की थी। इसमें कहा गया था कि भारत-नेपाल सीमा की कुल लंबाई 1880 किलोमीटर है। इसमें लगाए गए कुल सीमा स्तंभों में सिर्फ 457 स्तंभ पूरी तरह सुरक्षित हैं। 1556 सीमा स्तंभ अधिक क्षतिग्रस्त हैं। इसके अलावा 27 गायब हैं। इसमें महराजगंज सीमा से सटे 44 सीमा स्तंभ भी शामिल हैं। इस रिपोर्ट के बाद से ही सीमा स्तंभ को लेकर दोनों देशों के अधिकारियों की बैठक में चर्चा होती रही है।