हरियाणा सरकार 15 दिसंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान लाये जाने वाले मृत शरीर सम्मान विधेयक 2023 को लेकर बैकफुट पर है. ये कानून बनने के बाद लोग अपनी मांगें मनवाने के लिए किसी भी मृत व्यक्ति के शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे,लेकिन विवाद इस कानून के तहत एक ऐसा प्रावधान करने को लेकर हो गया है, जिसके तहत निजी अस्पतालों में इलाज के दौरान यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो इलाज का पूरा बिल चुकाने पर ही परिजनों को शव मिलेगा.
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि हरियाणा सरकार इस कानून में पहले ये प्रावधान करने जा रही थी कि निजी अस्पतालों में इलाज के दौरान यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो इलाज का पूरा बिल चुकाने की बंदिश नहीं होगी और परिजनों को शव मिल सकेगा, लेकिन प्राइवेट अस्पतालों के दबाव में इस प्रावधान को बदलकर इसके उल्टा कर दिया गया है.
हालांकि हरियाणा के सीएम मनोहर लाल सीधे तौर पर कह रहे हैं कि अभी ये विधेयक शुक्रवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा, इस पर चर्चा होगी और उसके बाद ही इस पर कोई फैसला लिया जाएगा.
प्रस्तावित विधेयक को लेकर घमासान
वहीं, हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने सीधे तौर पर कहा कि इस बिल में कोई ऐसा प्रावधान नहीं होगा, जिससे प्राइवेट अस्पतालों को इस तरह की अनुमति दी जाए.
लेकिन कांग्रेस का सीधे तौर पर कहना है कि एक और तो हरियाणा सरकार इस विधेयक पर चर्चा करवाने की बात कर रही है, लेकिन दूसरी और अब तक इस विधेयक की कॉपी विपक्ष को नहीं दी गई है, ताकि विपक्ष को पता लग सके कि आखिरकार इस विधेयक में है क्या?
कांग्रेस विधायक ने बोला हमला
हरियाणा की पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल ने कहा कि सरकार की आदत हो गई है कि आनन-फानन में कोई भी बिल लाकर उसे सदन में हंगामा करवाते हुए पारित करवा दिया जाए और विपक्ष को उस विधेयक पर ना तो कोई जानकारी मिल सके और ना ही बोलने का मौका.
हरियाणा सरकार के इस बिल को लेकर लगातार ही असमंजस बना हुआ है. इस बिल में ये प्रावधान भी रखा जा रहा है कि शव सड़क या हाईवे पर रखकर जाम लगाने और प्रदर्शन करने पर 50000 रुपए का जुर्माना और जेल हो सकती है, लेकिन इस विधेयक का प्रारूप क्या होगा और प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी को लेकर इस विधेयक में क्या प्रावधान रखे गए हैं इस पर भी लगातार विवाद बना हुआ है.