पुलिस ने बताया कि मारे गए माओवादियों में से 8 की पहचान हो चुकी है और उनके सिर पर सामूहिक रूप से 63 लाख रु का इनाम घोषित था। मारे गए माओवादियों में से ज्यादातर गढ़चिरौली डिवीजन के सदस्य थे।
आम नागरिकों की रक्षा के लिए सुरक्षाबलों के जवान किन हालातों में नक्सलियों से मोर्चा लेते हैं, इसका अंदाजा लगाना भी आम आदमी के लिए सम्भव नहीं है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में मंगलवार को जिस जगह पर सुरक्षाबलों ने 10 माओवादियों को मार गिराया था। उस घने जंगल में पहुंचने के लिए उन्हें करीब 60 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा था। सुरक्षाबलों को सूचना मिली थी कि नारायणपुर-कांकेर जिलों के जंगलों में माओवादी अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ डेरा डाले हुए हैं। जिसके बाद पुलिस पार्टी सर्चिंग पर निकली थी।
बस्तर रेंज के IG (पुलिस महानिरीक्षक) पी. सुंदरराज ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए इस बात की जानकारी दी और पूरे ऑपरेशन के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि लगभग 900 सुरक्षाकर्मियों की एक संयुक्त टीम मुठभेड़ स्थल पर गई थी।
28 की रात को शुरू हुआ था माड़ बचाओ अभियान
सुंदरराज ने बताया, महाराष्ट्र से लगी सीमा पर मौजूद जंगलों में हाई रैंकिंग वाले माओवादी कैडर की उपस्थिति के बारे में सूचना मिली थी, जिसके आधार पर 28 अप्रैल की रात को ‘माड़ बचाओ अभियान’ नामक ऑपरेशन शुरू किया गया। इस अभियान के लिए DRG (डिस्ट्रिक रिजर्व गार्ड) के कुल 240 जवान और STF (स्पेशल टास्क फोर्स) के 590 जवान और राज्य की एंटी-नक्सल फोर्स नारायणपुर और कांकेर जिलों के विभिन्न शिविरों से ऑपरेशन पर निकले थे।
60 km पैदल गए, शुरू हुई अंधाधुंध गोलाबारी
उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों ने कठिन इलाके और कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए 60 किलोमीटर की चौंका देने वाली दूरी तय करते हुए पूरे क्षेत्र में विस्तृत सर्चिंग की। इसी दौरान मंगलवार सुबह करीब 5 बजे, जब सुरक्षा बल टेकमेटा-काकुर गांवों के पास जंगल की घेराबंदी कर रहे थे, तो वहां डेरा डाले हुए माओवादियों ने उन पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। उन्होंने बताया कि इस दौरान रात आठ बजे तक करीब 16 घंटे तक रुक-रुक कर गोलीबारी चली।
सामूहिक रूप से 63 लाख रु के इनामी थे नक्सली
आईजी ने बताया कि मारे गए दस माओवादियों में से आठ की पहचान की हो चुकी है और उनके सिर पर सामूहिक रूप से 63 लाख रुपए का इनाम घोषित था। पुलिस के मुताबिक मारे गए माओवादियों में से ज्यादातर गढ़चिरौली डिवीजन से थे, जो प्रेस टीम से जुड़े थे और तेलंगाना, महाराष्ट्र और बस्तर (छत्तीसगढ़) के रहने वाले थे।
नक्सलियों की पहचान जोगन्ना (66) उर्फ घिस्सू (तेलंगाना का मूल निवासी)- स्पेशल जोनल कमेटी मेंबर, मल्लेश उर्फ उंगा मड़काम (41)- डिविजनल कमेटी सदस्य, विनय उर्फ रवि (55) (तेलंगाना) डिविजनल कमेटी मेंबर और संगीता डोगे अत्राम (36) एरिया कमेटी मेंबर और जगन्ना की पत्नी के रूप में हुई है।
महाराष्ट्र में दर्ज थे सबसे ज्यादा मामले
आईजी ने कहा, ‘इन नक्सलियों में से जोगन्ना के खिलाफ महाराष्ट्र में कम से कम 196 आपराधिक मामले दर्ज थे और उसके सिर पर 25 लाख रुपए का इनाम भी घोषित था। इसी तरह मल्लेश के खिलाफ 43 मामले दर्ज थे और विनय के खिलाफ महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में 8 मामले दर्ज थे। इन दोनों पर 8-8 लाख रुपए का इनाम घोषित था। वहीं जगन्ना की पत्नी संगीता पर 5 लाख रुपए का इनाम घोषित था।’
#WATCH | On ground visuals from the site of anti-Naxal operation in Chhattisgarh’s Narayanpur; bodies of 10 Naxalites were recovered from the site, other paraphernalia recovered pic.twitter.com/w6wbmHu5rF
— ANI (@ANI) May 1, 2024
मुठभेड़ स्थल से गोला-बारूद समेत JCB मिली
पुलिस के मुताबिक मुठभेड़ स्थल से भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद भी बरामद हुआ था। इस बारे में बताते हुए IG ने कहा, एक मैगजीन और 26 जिंदा कारतूस के साथ एक एके-47 राइफल, एक इन्सास राइफल, दो नग .303 राइफल, 7 जिंदा राउंड के साथ एक नग 12 बोर बन्दूक, चार मजल लोडिंग गन्स, चार जिंदा ग्रेनेड शेल्स के साथ एक बैरल ग्रेनेड लॉन्चर और अन्य गोला-बारूद और विस्फोटक बरामद किए गए हैं।
उन्होंने बताया इसके अलावा घटनास्थल से एक कंप्यूटर, प्रिंटर मशीन, सैटेलाइट संचार उपकरण, जमीन खोदने वाली JCB मशीन, दैनिक उपयोग की वस्तुएं, माओवादी साहित्य, सोलर प्लेट्स और बर्तन भी बरामद किए गए।