राजस्थान समाचार: नागौर जिले की मेड़ता रोड ग्राम पंचायत को मिला नगर पालिका का दर्जा, लोगों में दौड़ी खुशी की लहर, मिठाइयां बांटी

एजाज़ अहमद उस्मानी की रिपोर्ट-

मेड़ता रोड: राजस्थान सरकार द्वारा प्रथम बजट में मेड़ता रोड ग्राम पंचायत को नगर पालिका का दर्जा मिल ही गया। विधानसभा में सरकार ने मेड़ता रोड को नगर पालिका का दर्जा देने की घोषणा की। अभी तक मेड़ता रोड ग्राम पंचायत थी। क्षेत्र के लोग लंबे समय से मेड़ता रोड को नगर पालिका बनाने की मांग कर रहे थे। हर चुनाव एवं अन्य राजनीतिक मौकों पर यह मांग उठती रही। राजनीतिक दलों के लोग भी मेड़ता रोड को नगर पालिका का दर्जा दिए जाने का आश्वासन देते रहे हैं, लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार ने राजस्थान के प्रथम बजट में लोगों की यह मांग पूरी कर दी। मेड़ता रोड को नगरपालिका घोषित करवाने की खबरें हमारे मेड़ता रोड संवाददाता एजाज अहमद उस्मानी ने भी प्रमुखता से प्रकाशित की थी।

 

 

जिले में महत्वपूर्ण है मेड़ता रोड-

जिले में मेड़ता रोड राजनीतिक व सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। जबकि मेड़ता रोड से छोटे कस्बों को पहले ही नगर पालिका का दर्जा दिया जा चुका है। यही कारण है कि क्षेत्र के लोग मेड़ता रोड को नगर पालिका का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे थे।

लोगों में दौड़ी खुशी की लहर-

विधानसभा में मेड़ता रोड को नगर पालिका का दर्जा दिए जाने की घोषणा की सूचना मिलते ही क्षेत्र के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। लोगों ने कस्बे में आतिशबाजिया की तथा मिठाइयां बांटकर एक दूसरे का मुंह मीठा कराया। मेड़ता रोड ग्राम पंचायत के सामने लोगों का हुजूम इकट्ठा हो गया एवं वहां पर आतिशबाजियां की गई तथा भाजपा जिंदाबाद के नारे भी लगाए। मेड़ता रोड को नगरपालिका का दर्जा मिलने की खबर सुनते ही लोग खुशी से झूम उठे। वहीं बड़ी संख्या में लोग मेड़ता रोड को नगर पालिका बनाने को लेकर राजनीतिक नफा-नुकसान पर चर्चा करते दिखे।

समस्याओं का होगा निराकरण-

मेड़ता रोड को नगर पालिका का दर्जा मिलने से विकास को गति मिलने की संभावना है। नगर पालिका गठन के साथ ही शहर की सरकार के हाथ मेड़ता रोड के विकास की डोर रहेगी। साथ ही सफाई, रोशनी जैसे अहम समस्याओं का भी निराकरण हो सकेगा। वहीं अतिक्रमण जैसी समस्याओं से भी स्थानीय लोगों को निजात मिलने की संभावना जगी है।

ग्राम पंचायत के पास सीमित था बजट-

मेड़ता रोड में वर्तमान तक ग्राम पंचायत अस्तित्व में है। ग्राम पंचायतों के पास सीमित बजट और आय के सीमित स्रोतों का विकास पर असर पड़ रहा था। साथ ही कस्बे की सफाई, रोशनी व्यवस्था भी प्रभावित हो रही थी। वहीं ग्राम पंचायत के पास बजट की कमी से विकास की जरूरतें पूरी करने में परेशानी होती थी।

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