संसद में नहीं था जो विपक्षी सांसद, उसे भी कर दिया लोकसभा से सस्पेंड, बाद में कहा- गलती से हो गया

 

नई दिल्ली: संसद की सुरक्षा में हुई चूक मामले में सदन में हंगामा करने को लेकर कांग्रेस समेत विपक्ष के कई सांसदों को गुरुवार को संसद के शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया गया। इसमें एक ऐसे विपक्षी सांसद को भी सस्पेंड किया गया, जोकि संसद में थे ही नहीं। वे चेन्नई में मौजूद थे। हालांकि, बाद में सरकार ने साफ किया कि गलती से डीएमके सांसद एसआर पार्थिबन का नाम सस्पेंड किए गए सांसदों की लिस्ट में चला गया था। बाद में उनके नाम को हटा दिया गया, जिसके बाद कुल सस्पेंड किए गए सांसदों की संख्या 13 हो गई। इन सभी को सदन में अनियंत्रित आचरण के लिए निलंबित किया गया है। 

सस्पेंड किए गए सांसदों की लिस्ट में पार्थिबन का नाम आने के बाद डीएमके सांसदों ने इसकी शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि एसआर पार्थिबन सदन में भी नहीं थे और वह चेन्नई में हैं। इसके अलावा, कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने भी यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”कल लोकसभा में जो हुआ वह अत्यंत चिंताजनक था। आज लोकसभा में जो हुआ वह बिल्कुल विचित्र है। तमिलनाडु के एक सांसद जो सदन में मौजूद भी नहीं थे और वास्तव में नई दिल्ली से बाहर थे, उन्हें कार्यवाही में बाधा डालने के लिए निलंबित कर दिया गया। इस बीच, घुसपैठियों की मदद करने वाले भाजपा सांसद को कोई परिणाम नहीं भुगतना पड़ेगा।”

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि आज दिन में निलंबित लोकसभा सदस्यों की सूची में से पार्थिबन के नाम को वापस ले लिया गया है। उन्होंने कहा कि सदस्य की पहचान करने में कर्मियों की ओर से गलती हुई थी। जोशी ने कहा, ”मैंने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया है कि सदस्य का नाम वापस लिया जाए, क्योंकि यह पहचान में त्रुटि का मामला है।” लोकसभा अध्यक्ष ने इस सुझाव को स्वीकार कर लिया है। जोशी ने कहा कि जब सदन का कामकाज नए संसद भवन में स्थानांतरित हो गया था, तो अध्यक्ष ने कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में प्रस्ताव दिया था कि सदस्यों को इस संकल्प के साथ काम करना होगा कि सदन में तख्तियां नहीं दिखाई जाएंगी। 

उन्होंने कहा, ”इस प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से सहमति जताई गई थी। किसी ने इसका विरोध नहीं किया था।” मंत्री ने कहा कि बीएसी की बैठक में लिये गए निर्णय का उक्त 13 सांसदों ने उल्लंघन किया है और वे सदन में तख्तियां लेकर आए थे और इसलिए उन्हें निलंबित कर दिया गया है। इससे पहले सरकार के दो अलग-अलग प्रस्तावों पर इन लोकसभा सदस्यों को चालू सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया था। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ’ब्रायन को भी उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया। 

‘सांसदों का ही नहीं, लोकतंत्र का निलंबन हुआ’

वहीं, कांग्रेस ने संसद के दोनों सदनों से विपक्षी सदस्यों के निलंबन को ‘लोकतंत्र का निलंबन’ करार देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि यह सब संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे से ध्यान भटकाने और सरकार की विफलता छिपाने के लिए किया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”राष्ट्रीय सुरक्षा और हमारे लोकतंत्र के मंदिर संसद की सुरक्षा को खतरे में डालने के बाद भाजपा अब आवाज उठाने वाले पर ही वार कर रही है। विपक्षी सांसदों को संसद से निलंबित करना लोकतंत्र का निलंबन है।” उन्होंने कहा, ”उनका अपराध क्या है? क्या केंद्रीय गृह मंत्री से सदन में बयान देने का आग्रह करना अपराध है? क्या सुरक्षा में सेंध लगने पर चर्चा करना अपराध है? क्या यह तानाशाही के उस पहलू को रेखांकित नहीं करता, जो वर्तमान व्यवस्था की पहचान बन गई है?” खरगे ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखकर कहा कि संसद की सुरक्षा में चूक गंभीर चिंता का विषय है तथा इस पर सदन में नियम 267 के तहत चर्चा कराई जानी चाहिए। 

 

 

 

 

 

 

 

 

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