टाडा कोर्ट से बरी हुआ अब्दुल करीम टुंडा, आरोप साबित नहीं कर पाई सीबीआई

नई दिल्ली: 1993 ट्रेन में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों का मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा अदालत से बरी हो गया है। अजमेर की टाडा अदालत ने सबूतों के अभाव में टुंडा को बरी किया। टुंडा पर आरोप था कि उसने आरोपियों को बम बनाना सिखाया। उस पर ट्रेन में बम रखवाने का आरोप था लेकिन सीबीआई अपने इन आरोपों को अदालत में साबित नहीं कर पाई। यही नहीं जांच एजेंसी टुंडा के खिलाफ इंवेन्टिगेशन नोट और पूरक चार्जशीट भी पेश नहीं कर पाई। मामले में दो अन्य आरोपी दोषी पाए गए हैं। इन दोषियों को आज सजा सुनाई जाएगी।
बांग्लादेश भाग गया था टुंडा
टुंडा पर आरोप है कि उसने भारत में 1993 में 40 से ज्यादा बम धमाकों की साजिश रची। इसके बाद वह सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देकर बांग्लादेश भाग गया। माना जाता है कि देश में बम धमाकों के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन टुंडा की मदद करते थे। साल 2013 में भारत-नेपाल सीमा पर स्थित बनबासा में उसे पकड़ा गया।

एक मामले में आजीवन कारावाज की सजा

कई बम धमाकों का आरोपी टुंडा 2016 में चार मामलों में दिल्ली की अदालत से भी बरी हो गया। अपना फैसला सुनाते समय कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस अपने आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य पेश नहीं कर पाई। टुंडा के खिलाफ कई केस चल रहे थे और तब से वह जेल में बंद था। 1996 के सोनीपत बम धमाके मामले में अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उस पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। अभी वह इस सजा को काट रहा है।

क्या था 1993 का बम ब्लास्ट

6 दिसंबर 1993 को राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन में आतंकियों ने सीरियल बम धमाके किए। इस घटना को बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी का बदला करार दिया। इस केस में 17 आरोपी पकड़ में आए। इनमें से 3 (टुंडा, हमीदुद्दीन, इरफान अहमद) पर गुरुवार को फैसला सुनाया गया। बता दें कि हमीदुद्दीन को 10 जनवरी 2010, इरफान अहमद को 2010 के बाद और टुंडा को 10 जनवरी 2014, नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया।

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