रानीबारी ( पश्चिमी गुवाहाटी) : मेघालय में एक इलाका है रानीबाड़ी , जिसमें 96 परिवारों के 500 लोग रहते हैं। इनमें से 230 वोटर हैं और असम में भी लोकसभा चुनाव के दौरान वोट डालने वाले हैं। इनमें से अधिकतर 19 अप्रैल को मेघालय में हुए चुनाव में वोट डाल चुके हैं। इस इलाके के लोग गुवाहाटी और शिलांग दोनों संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के वोटर हैं। निर्वाचन आयोग के लिए ऐसे दोहरे मतदाता को रोकना चुनौती है। ऐसा ही हाल तेलंगाना और महाराष्ट्र बॉर्डर पर बसे 14 गांवों का है, जहां के करीब 4000 वोटर महाराष्ट्र के चंद्रपुर लोकसभा के लिए पहले चरण में वोट डाल चुके हैं और 13 मई को तेलंगाना के आदिलाबाद सीट के लिए वोट डालेंगे।
असम सरकार बिजली सड़क देती है, मणिपुर से आता है पानी
भारत सरकार ने 1972 में असम से निकले मेघालय को राज्य का दर्जा दिया। इसके बाद से ही मेघालय के रानीबाड़ी इलाके में रहने वाले 65 परिवारों का नाम दोनों राज्यों की निर्वाचन सूची में दर्ज हो गया। निर्वाचन आयोग ने दोहरे वोटर को रोकने की काफी कोशिश की, मगर इलाके के लोग असम और मेघालय में अलग-अलग वोट डालते रहे। रानीबाड़ी शांत इलाका है और यहां दोहरी वोटिंग को रोकना निर्वाचन आयोग के लिए मुश्किल है। इस घालमेल के पीछे बड़ी तकनीकी वजह है। इस वजह से मतदाता अपनी पसंद के कैंडिडेट दोनों राज्यों से चुनते हैं। इलाके पर असम और मेघालय दोनों की दावेदारी है। असम सरकार इलाके में बिजली सप्लाई करती है। यहां की सड़कें असम सरकार ने बनाई हैं जबकि मणिपुर सरकार रानीबाग में वॉटर सप्लाई करती है। इस क्षेत्र को लोगों के पास मणिपुर सरकार की ओर से जारी मनरेगा जॉब कार्ड है। मणिपुर की ओर से सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिलता है। सीमा विवाद में फंसे लोग इस स्थिति पर विवाद भी नहीं करते हैं बल्कि दोनों इलाकों में वोट डालकर खामोश रहते हैं।
अब वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने की तैयारी
रानीबाड़ी में रहने वाले रंगशा कहते हैं कि खुद दोनों राज्यों के अधिकारी इन्हें वोट डालने के लिए प्रेरित करते हैं। दोनों राज्यों के बीएलओ ने उन्हें दो वोटर आईडी जारी किए हैं, तो फिर चुनाव के दिन हम हाथ पर हाथ रखकर कैसे बैठ सकते हैं। जब शिलांग के लिए चुनाव प्रचार चल रहा था, तब एनपीपी और कांग्रेस के कार्यकर्ता क्षेत्र में प्रचार कर रहे थे। अब असम के राजनीतिक दल यहां वोट मांग रहे हैं। उनके नाम असम के मुडुकी और बागान गांव के मतदान केंद्र पर दर्ज हैं, इसलिए रानीबाड़ी के वोटर सात मई को भी वोट डालेंगे। इस इलाके युवा पार्थ पी राभा ने भी बताया कि दोनों राज्यों के मतदाता पहचान पत्र रखने का मतलब दोनों में वोट देने का अधिकार है। इस दोहरे वोटर की समस्या से निपटने के लिए कामरूप से चुनाव अधिकारियों ने नए आइडिया पर काम करना शुरू किया है। उनका कहना है कि रानीबाड़ी के मतदाताओं के वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं, इससे दोहरे मतदान की प्रॉब्लम कुछ हद तक सुलझ सकती है।