उत्तराखंड समाचार: थराली और देवाल में बादल फटने से मची तबाही: कई इलाकों में फसलें बर्बाद, लोग दहशत में

उत्तराखंड से विनोद पाण्डेय की रिपोर्ट-

चमोली: गुरुवार रात उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित थराली और देवाल विकासखंडों में बादल फटने से भयंकर तबाही मची। थराली के सोल घाटी क्षेत्र के बुग्याल और देवाल के हरनी गांव में इस प्राकृतिक आपदा के कारण व्यापक नुकसान हुआ। क्षेत्र के काश्तकारों की कृषि भूमि को गंभीर क्षति पहुंची है, वहीं नदी के किनारे स्थित कई मकान भी प्रभावित हुए।

 

 

शिव मंदिर और कृषि भूमि को भारी नुकसान-

थराली के बुग्याल क्षेत्र में बादल फटने से ढाडरबगड़ से लेकर थराली गांव तक की कृषि भूमि बर्बाद हो गई। स्थानीय किसान इस आपदा से अपनी आजीविका को लेकर चिंतित हैं। इसके साथ ही संगम क्षेत्र में स्थित शिव मंदिर प्राणमती नदी के तेज उफान की चपेट में आ गया, जिससे मंदिर को भी भारी नुकसान हुआ।

 

 

रात भर प्राणमती नदी के उफान से थराली गांव और आसपास के बाजार क्षेत्र के लोग दहशत में रहे। पानी का स्तर इतना बढ़ गया था कि लोगों को अपने घरों को खाली करना पड़ा। थराली के मुख्य बाजार में स्थित आवासीय मकानों तक पानी पहुंच गया, जिससे रामलीला मैदान और बेतालेश्वर महादेव मंदिर परिसर भी जलमग्न हो गया।

 

 

पैदल पुल और फसलों को भारी नुकसान-

दूसरी ओर, देवाल विकासखंड के हरनी गांव में भी बादल फटने की घटना ने तबाही मचाई। यहां बकरीगाड़ में आए पानी के सैलाब ने एक पैदल पुल को क्षतिग्रस्त कर दिया। ग्रामीणों की कृषि भूमि भी इस सैलाब से बुरी तरह प्रभावित हुई। क्षेत्र के किसान अपनी फसलों के नुकसान को लेकर बेहद परेशान हैं और उन्होंने स्थानीय प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है।

 

पिंडर नदी का जलस्तर बढ़ा, थराली में दहशत का माहौल-

इन दोनों घटनाओं के कारण पिंडर नदी का जलस्तर रातभर में काफी बढ़ गया। नदी का पानी इतना ज्यादा बढ़ गया कि थराली के मुख्य बाजार में स्थित आवासीय मकानों तक पहुंच गया। रामलीला मैदान और बेतालेश्वर महादेव मंदिर परिसर पानी में डूब गए, जिससे लोग डर के मारे अपने घरों को खाली करने पर मजबूर हो गए। हालांकि, धीरे-धीरे पिंडर नदी का जलस्तर कम हुआ और लोगों ने राहत की सांस ली।

 

प्रशासन से क्षतिपूर्ति की मांग-

इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित काश्तकारों ने स्थानीय प्रशासन से अपनी फसलों और कृषि भूमि के नुकसान का सही आकलन कर क्षतिपूर्ति की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह की आपदाओं के कारण उनकी आजीविका पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है और उन्हें तत्काल राहत की जरूरत है।

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