लोकसभा चुनाव में पहली बार 400 पार सीटें लाने वाला नेता… इंदिरा की हत्या कैसे बनी थी टर्निंग पॉइंट?

देश में आम चुनाव के पांच चरण पूरे हो चुके हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पार्टी के लिए 400 पार सीटें जिताने की अपील जनता से कर रहे हैं. देश में एक ऐसे प्रधानमंत्री भी हुए, जिन्होंने पहले ही चुनाव में अपनी पार्टी को 400 से ज्यादा सीटें दिला दी थीं. आज हम बात कर रहे हैं देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी की. देश की आजादी के बाद उनके नाना पंडित जवाहर लाल नेहरू पहले प्रधानमंत्री बने और 17 सालों तक बागडोर संभाली. उनके बाद मां इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं. इसके बावजूद उनके सपनों की उड़ान आसमान छूने के लिए थी. उन्होंने ऐसा ही किया और पायलट बनकर देश-दुनिया का आसमान नापने लगे.

फिर अचानक प्रधानमंत्री मां की हत्या कर दी गई जो राजीव के साथ ही देश के लिए टर्निंग प्वाइंट बन गया. आनन-फानन में सिर्फ 40 साल की उम्र में उनको प्रधानमंत्री पद का जिम्मा दे दिया गया और अगला आम चुनाव उनकी अगुवाई में लड़ा गया तो कांग्रेस ने जीत का सारा रिकॉर्ड तोड़ दिया. 21 मई 1991 को एक चुनावी सभा के दौरान बम विस्फोट कर उनकी हत्या कर दी. राजीव की पुण्यतिथि पर आइए जान लेते हैं राजीव के प्रधानमंत्री बनने से लेकर 404 सीटें जीतने तक का किस्सा.

मुंबई में हुआ था राजीव गांधी का जन्म

20 अगस्त 1944 को राजीव गांधी का जन्म बम्बई (अब मुंबई) में हुआ था. वह केवल तीन साल के थे जब भारत को आजादी मिली और नाना स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने. पिता फिरोज गांधी सांसद चुने गए. मां इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री नेहरू की सहायक के रूप में काम करती थीं, इसलिए राजीव गांधी का बचपन नाना के साथ तीन मूर्ति हाउस में बीता. बाद में पढ़ने के लिए उनको देहरादून के वेल्हम स्कूल भेजा गया. वहां से दून आवासीय स्कूल में भेज दिया गया. बाद में छोटे भाई संजय गांधी को भी पढ़ने के लिए इसी स्कूल में भेजा गया, जहां दोनों साथ रहे.

राजनीति में बिल्कुल नहीं थी दिलचस्पी

स्कूल की पढ़ाई पूरी कर राजीव गांधी कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए पर वहां से लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज में दाखिला लेकर मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. राजनीति में उनको कोई रुचि नहीं थी. दर्शन, राजनीति या इतिहास के बजाय विज्ञान एवं इंजीनियरिंग की किताबें पढ़ा करते थे. पश्चिमी और हिन्दुस्तानी शास्त्रीय एवं आधुनिक संगीत पसंद के साथ उनको फोटोग्राफी एवं रेडियो सुनने का शौक था. इन सबसे ऊपर उठकर हवाई उड़ान उनका सबसे बड़ा जुनून था. इसलिए इंग्लैंड से लौटने के बाद उन्होंने दिल्ली फ्लाइंग क्लब की प्रवेश परीक्षा पास की और कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस लेकर घरेलू कंपनी इंडियन एयरलाइंस में पायलट बन गए.

मां की हत्या के वक्त बंगाल में थे राजीव

नाना पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद राजीव की मां इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं. साल 1984 में 31 अक्तूबर को प्रधानमंत्री आवास पर ही इंदिरा गांधी को उनके ही अंगरक्षकों ने गोलियों से भून दिया. उस वक्त राजीव प्रचार के सिलसिले में बंगाल में थे. आनन-फानन में उनको दिल्ली बुलाया गया. कांग्रेस के नेता सकते में थे कि देश को कौन संभालेगा. काफी जद्दोजहद के बाद फैसला हुआ कि राजीव गांधी देश के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे.

हालांकि, सोनिया गांधी इस फैसले के खिलाफ थीं. उन्होंने कहा कि अगर राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनते हैं तो उनकी जान पर भी खतरा बना रहेगा. इस पर राजीव ने कहा था कि वह इंदिरा गांधी के बेटे हैं और जो लोग उनकी मां को पसंद नहीं करते हैं, वे उन्हें भी नहीं छोड़ेंगे.

सिख विरोधी दंगों का सामना किया

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में सिख विरोधी दंगे फैल गए, क्योंकि सिख समुदाय के सुरक्षाकर्मियों ने ही स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में उनकी हत्या की थी. इस मुश्किल वक्त में देश को संभालना देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी. साथ ही सामने आम चुनाव थे. इंदिरा गांधी की हत्या के तुरंत बाद 24, 27 और 28 दिसंबर 1984 को लोकसभा चुनाव हुए. राजीव ने इन हालात का सामना किया. आठवें आम चुनाव में अपनी पार्टी को 404 सीटें दिलाईं.

चुनाव प्रचार के दौरान तमिलनाडु में हुई थी हत्या

इस चुनाव के बाद बचपन से ही विज्ञान की डोर पकड़ कर रखने वाले राजीव गांधी ने देश को प्रगति की राह पर बढ़ाया. देश में कंप्यूटर लेकर आए और बीएसएनएल जैसी कंपनी बनाई, जिससे देश में दूरसंचार और आईटी के क्षेत्र में काफी तरक्की हुई. 21 मई 1991 को कांग्रेस के लिए प्रचार करने राजीव गांधी तमिलनाडु के श्रीपेरुमबुदुर गए थे. वहां एक महिला हमलावर ने राजीव के पास आकर पैर छूने के बहाने खुद को बम से उड़ा लिया. इसमें राजीव गांधी का भी निधन हो गया.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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