मणिपुर हिंसा का काला सच, जिप्सी में बैठे पुलिसकर्मी ने की थी ‘दगाबाजी’और भीड़ ने महिलाओं को नग्न कर दिया

इंफाल: पिछले साल जुलाई में मणिपुर के चुराचांदपुर जिले का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिन्हें सैंकड़ों की भीड़ नग्न घुमा रही थी। इस वीडियो पर देश के लोगों का गुस्सा छलक उठा था। मणिपुर सरकार ने इस केस की जांच सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई की जांच के बाद इस केस में आरोप पत्र दायर किया है। सीबीआई ने आरोप पत्र में वहां मौजूद पुलिसकर्मियों की लापरवाही सामने आई है। भीड़ से बचने के लिए कुकी-जोमी समुदाय की दोनों महिलाओं ने पुलिस की जिप्सी में शरण ली थी। उनके साथ कुकी समुदाय के दो पुरुष भी बैठे थे। उन्होंने पुलिसकर्मियों से गाड़ी चलाने का अनुरोध किया था, तब उनसे कहा गया कि जिप्सी की चाबी नहीं है। जब भीड़ ने उन्हें गाड़ी से खींचकर बाहर निकाला तो पुलिसकर्मी मौके से भाग गए।

मई 2023 में हुई थी चुराचांदपुर की घटना, जुलाई में वायरल हुआ था वीडियो

जुलाई 2023 में मणिपुर के वीडियो ने देश में खलबली मचा दी थी। वीडियो में कुकी जोमी समुदाय की दो महिलाओं को भीड़ नग्न कर खेत की ओर ले जा रही थी। कुछ लोग महिलाओं के अंगों से छेड़छाड़ कर रहे थे। पीडित महिलाओं में एक की उम्र 20 साल और दूसरे की 40 साल बताई गई थी। हल्ला-हंगामा हुआ तो पता चला घटना मई 2023 की थी। केस की जांच सीबीआई को सौंपी गई। एक साल बाद सीबीआई जांच में सामने आया कि सार्वजनिक तौर पर यौन उत्पीड़न की घटना से पहले इलाके में जमकर उपद्रव हुआ था। मैतेई समुदाय की भीड़ ने घरों में आग लगाकर एक गांव पर हमला किया और एक चर्च में आग लगा दी। ऐसा सुनियोजित तरीके से किया गया, क्योंकि 4 मई को मैतेई गांवों के प्रधानों और अन्य सामुदायिक गांवों के प्रमुखों की एक बैठक हुई थी, जिसमें शांति बनाए रखने पर चर्चा हुई। इसके बाद भी मैतेई समुदाय के लोग आक्रमक हो गए।

जिप्सी लेकर उपद्रवियों की भीड़ के पास चला गया पुलिस का ड्राइवर

सीबीआई के आरोप पत्र के अनुसार, हिंसा के दौरान पीड़ित परिवार की दो महिलाएं और तीन पुरुष के लोग जंगल की ओर भाग गए थे, मगर उपद्रवियों की नजर उन पर पड़ गई । मैतेई की भीड़ ने उन्हें पकड़ लिया और दोनों महिलाओं को पुरुषों से अलग ले गए। इस बीच मौके पर पुलिस की जिप्सी पहुंची, तो भीड़ ने उन्हें छोड़ दिया। महिलाएं भागकर पुलिस जिप्सी में बैठ गईं, जहां पहले से पीड़ित परिवार के दो लोगों ने शरण ली थी। जिप्सी के अंदर सादी खाकी वर्दी पहने ड्राइवर समेत दो पुलिसकर्मी मौजूद थे। इसके अलावा तीन-चार पुलिसकर्मी बाहर भी खड़े थे। पीड़ित परिवार पुलिस से जान बचाने की गुहार करता रहा, मगर उन्हें मदद नहीं मिली। इससे उलट जिप्सी के ड्राइवर ने गाड़ी को एक हजार लोगों की हिंसक भीड़ के पास रोक दिया, जहां भीड़ एक को पीट रही थी। उपद्रवियों ने जिप्सी से खींचकर महिलाओं और एक पुरुष को निकाला। इस बीच, पुलिसकर्मी पीड़ितों को भीड़ के साथ अकेला छोड़कर मौके से चले गए। भीड़ ने दोनों महिलाओं के कपड़े फाड़ दिए और पुरुष की पिटाई शुरू कर दी। सीबीआई के सामने एक चश्मदीद ने पूरी घटना की जानकारी दी।

एक साल पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं छह आरोपी

बता दें कि चुराचांदपुर की घटना के बाद छह लोगों और एक नाबालिग के खिलाफ गुवाहाटी की विशेष अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया था। सीबीआई ने अपनी जांच में माना कि अगर पुलिसकर्मी वहां निष्पक्ष रहकर कार्रवाई करते तो महिलाओं के साथ बुरा नहीं होता है। बता दें कि जब यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बना तो मणिपुर सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की। डीजीपी (मणिपुर) राजीव सिंह के मुताबिक,पीड़िताओं को भीड़ के सामने छोड़कर भागे पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई पहले ही की जा चुकी है। सीबीआई की चार्जशीट में सामूहिक बलात्कार,हत्या, महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना और आपराधिक साजिश से संबंधित धाराएं शामिल हैं। सीबीआई ने हुइरेम हेरोदाश मैतेई (32),अरुण खुंडोंगबम उर्फ नानाओ (31), निंगोम्बम टोम्बा सिंह उर्फ टोमथिन (18), पुखरीहोंगबाम सुरंजॉय मेइतेई (24), नामीराकपम किरम मेइतेई (30) के अलावा एक नाबालिग के खिलाफ चार्जशीट दायर किया है। मणिपुर पुलिस इन आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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