Maharajganj News: नेपाल ही नहीं बिहार तक फैला है नशे का धंधा

 

महराजगंज। तस्करों ने अब होम्योपैथी की कुछ दवाओं की तस्करी शुरू कर दी है। इसे बिहार पहुंचाया जा रहा है। जांच अधिकारी भी इस पर ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन इस दवा की क्षमता बढ़ाने पर नशे का काम करती है। जिले में इसका करीब एक करोड़ का धंधा है। गोरखपुर मंडी से यह दवा महराजगंज आती है, इसके बाद यहां से बिहार भेज दी जाती है। सूत्रों की मानें तो यह धंधा कोरोना से शुरू हुआ, क्योंकि उस वक्त जिले में शराब की दुकानें बंद रहती थीं।

शहर में कुछ ऐसे धंधेबाज हैं, जो अधिक मात्रा में इसकी खरीदारी करते हैं। गोरखपुर से माह में करीब एक करोड़ की दवा आरएस यानी रेक्टीफाइड स्प्रीट की खरीद होती है। कार में रखकर बकायदा बिल बाउचर से साथ इसे भेजा जाता है। दवा कार में होने के कारण आसानी से चली जाती है। बिहार सीमा पर अगर जांच भी होती है तो सही बिल बाउचर दिखाकर धंधेबाज किनारा कस लेते हैं। डॉक्टरों के अनुसार आरएस बेचने का धंधा लोगों को मौत के मुंह में ले जाने जैसा है। तस्करी का यह नेटवर्क बहुत बड़ा है।

इस सिंडिकेट में शामिल लोग विभागीय अधिकारियों की खुशामद में लगे रहते हैं। सूत्रों की माने तो यही वजह है कि गोदाम की जांच नहीं होती है। अगर कोई अधिक मात्रा में इसे मंगाता है तो उसे इसकी खपत भी बतानी होगी। करोड़ों की दवा एक झटके में खपत हो जा रही है। कोई इसके बारे में जानकारी लेने की जहमत भी नहीं उठा रहा है। भोर में ही धंधेबाज इस दवा की खेप लेकर निकल जाते हैं, फिर शाम तक लौट आते हैं। एक चक्कर में कम से कम दो लाख की दवा भेजी जाती है।

धंधेबाजों ने बना रखे हैं अवैध गोदाम

धंधेबाजों ने अवैध गोदाम बना रखा है। सूत्र बताते हैं कि इन गोदामों की जानकारी विभाग को भी नहीं होती है। गोरखपुर से दवा लाने के बाद इसे गोदामों में रख दिया जाता है। इसके बाद जरूरत के अनुसार धीरे-धीरे बिहार पहुंचा दिया जाता है। सस्ते में नशे की डोज अधिक होने के कारण इसकी बिहार में अधिक मांग है। धंधेबाज कुशीनगर जिले के खड्डा से होकर बिहार चले जाते हैं। इस रूट पर बहुत अधिक जांच भी नहीं होती है। धंधेबाजों ने नशे की डोज को आसानी से पहुंचाने के लिए पूरी व्यवस्था कर रखी है। अंग्रेजी दवाओं की खेप तो चर्चा में रहती है, लेकिन होम्योपैथ की यह दवा धंधेबाजों को अमिर बना रही है और इसका सेवन करने वालों को मौत के मुंह में डाल रही है। बावजूद इसके जिम्मेदार खामोश हैं।

आरएस यानी रेक्टिफाइड स्पिरिट, इथेनॉल का एक अत्यधिक केंद्रित रूप है जिसमें अधिकतम अल्कोहल की मात्रा 97.2 प्रतिशत होती है। प्रयोग करने से किडनी व लिवर भी प्रभावित होता है। इसका सेवन करना सेहत के लिए ठीक नहीं है। अधिक दिन तक आरएस का सेवन करना यानी मौत को गले लगाने जैसा है।

-डॉ. देवचंद्र कुशवाहा, वरिष्ठ होम्योपैथ चिकित्सक

समय-समय पर जांच की जाती है। अगर ऐसी बात है तो जिले में होम्योपैथ दवा के गोदामों की जांच की जाएगी। कहीं गड़बड़ी मिली तो संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जांच के लिए टीम बनाई जाएगी।

-अतुल चंद द्विवेदी, जिला आबकारी अधिकारी

इस तरह के धंधे की जानकारी नहीं है। दुकानों की जांच तो समय-समय पर की जाती है। प्रपत्रों की जांच भी होती है। अभियान चलाकर जांच की जाएगी। वैसे आरएस कोई दवा नहीं है, इसे अन्य दवाओं के साथ मानक के अनुसार मिलाकर दवा बनाकर मरीजों को दी जाती है। इसका दुरूपयोग होना चिंता का विषय है।

राकेश कुमार द्विवेदी, जिला होम्योपैथ अधिकारी

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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