राज्य परियोजना कार्यालय की रिपोर्ट-
राज्य परियोजना कार्यालय ने प्रदेश भर के उन परिषदीय विद्यालयों की सूची तैयार की थी, जिनमें 50 या उससे कम बच्चे नामांकित हैं। महराजगंज जिले में कुल 1705 परिषदीय विद्यालय हैं, जिनमें 1053 प्राथमिक विद्यालय, 240 उच्च प्राथमिक विद्यालय और 412 कम्पोजिट विद्यालय शामिल हैं। इन स्कूलों में कुल मिलाकर करीब सवा दो लाख बच्चे पढ़ाई करते हैं, लेकिन कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
राज्य परियोजना कार्यालय की सूची के अनुसार, महराजगंज जिले के 201 विद्यालयों में 50 से कम छात्र नामांकित हैं। इन विद्यालयों में छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए कई उपाय किए गए, लेकिन अपेक्षित सुधार न होने पर इन विद्यालयों को बंद करने या अन्य विद्यालयों में विलय करने की योजना बनाई जा रही है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) श्रवण कुमार गुप्ता ने बताया कि 50 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों के संबंध में संबंधित खंड शिक्षा अधिकारियों को पहले ही नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया था। अब आगे शासन के दिशा-निर्देशों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि छात्र संख्या न बढ़ने की स्थिति में विद्यालयों को अन्य विद्यालयों में शासन के दिशा-निर्देशों के आधार पर विलय कर दिया जाएगा।
12 खंड शिक्षा अधिकारियों को नोटिस
महराजगंज जिले के सभी 12 खंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) को छात्र संख्या बढ़ाने में विफलता के कारण पहले ही नोटिस जारी किया जा चुका है और उनसे स्पष्टीकरण तलब किया गया है। इसमें छात्रों की संख्या बढ़ाने की भी चेतावनी दी गई थी। सूत्रों के मुताबिक छात्र संख्या नहीं बढ़ने पर 50 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को नजदीक के विद्यालयों पर विलय करने की तैयारी की जा रही है। इससे कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति भी नहीं हो सकेगी।
जिले में 201 विद्यालय निशाने पर
महराजगंज जिले के विभिन्न ब्लॉकों में 201 विद्यालय ऐसे हैं जिनमें 50 या उससे कम छात्र नामांकित हैं। इन विद्यालयों की संख्या ब्लॉकवार इस प्रकार है:
– बृजमनगंज: 11 विद्यालय
– धानी: 3 विद्यालय
– घुघली: 42 विद्यालय
– लक्ष्मीपुर: 4 विद्यालय
– महराजगंज: 11 विद्यालय
– मिठौरा: 15 विद्यालय
– निचलौल: 33 विद्यालय
– नौतनवा: 34 विद्यालय
– पनियरा: 21 विद्यालय
– परतावल: 15 विद्यालय
– फरेंदा: 5 विद्यालय
– सिसवा: 7 विद्यालय
स्कूलों का विलय: शिक्षा में सुधार का प्रयास
कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को बंद कर उनके नजदीकी विद्यालयों में विलय करने की योजना पर जो विचार चल रहा है उसका मुख्य उद्देश्य संसाधनों का सही उपयोग और छात्रों को बेहतर शैक्षिक सुविधाएँ उपलब्ध कराना है। इसके साथ ही, शिक्षकों की नियुक्ति और शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार की उम्मीद है।