जम्मू-कश्मीर समाचार: जगदीशचंद्र बसु ने अपने अनुसन्धान के स्त्रोत संस्कृत में ही खोजे थे- डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय।

नवीन पाल की रिपोर्ट-

-संस्कृत ब्रह्मांड की सबसे प्राचीन एवं सरल भाषा है – श्री रमन शास्त्री।

-सभी भाषाओं की जननी है संस्कृत – श्री ललित शर्मा।

कठुआ: विश्व संस्कृत दिवस एवं संस्कृत सप्ताह महोत्सव को जम्मू कश्मीर के कठुआ जनपद में कठुआ जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग कठुआ एवं श्री श्री 1008 श्री मौनी बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट न्यास के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। सप्ताह भर चलने वाले इस कार्यक्रम के चतुर्थ दिन राजकीय आदर्श उच्चतर विद्यालय विश्वस्थली (बसोहली) में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ सांस्कृतिक वातावरण में मनाया गया।

 

 

इस अवसर पर मुख्यातिथि के रूप में पधारे बसोहली डायट के विभागाध्यक्ष डॉ. रमन शास्त्री ने बताया कि कठुआ मण्डल में मण्डल स्तर पर सभी विद्यालयों में विश्व संस्कृत दिवस एवं संस्कृत सप्ताह महोत्सव के अन्तर्गत कार्यक्रम को मनाया जा रहा है। यह सौभाग्य का विषय है। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि संस्कृत ब्रह्मांड की सबसे प्राचीन एवं सरल भाषा है।

मुख्य वक्ता के रूप में विश्व संस्कृत दिवस एवं संस्कृत सप्ताह महोत्सव के विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए श्री श्री 1008 श्री मौनी बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट न्यास के मुख्य न्यासी डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय ने बताया कि आज हम लोग जिस पावन धरती पर संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत कार्यक्रम कर रहे यह प्राचीन काल से विश्वस्थली नाम से विख्यात रही जिसे छोटी काशी के रूप में जाना जाता है। इस धरती पर संस्कृत का कार्यक्रम होना सौभाग्य का विषय है। विश्व पटल पर संस्कृत दिवस को मनाने के लिए बहुत सुन्दर प्रयास किया जा रहा है। उसी क्रम में जम्मू कश्मीर में भी एक सार्थक प्रयास किया जा रहा है। अपने वक्तव्य के सार रूप में बताया कि जगदीशचंद्र बसु ने अपने अनुसन्धान के स्त्रोत संस्कृत में ही खोजे थे।

वैसे ही जम्मू कश्मीर में भी संस्कृत का पुनः वही स्थान प्राप्त हो जाए इस दृष्टि से लगातार माननीय उप राज्यपाल महोदय की प्रेरणा एवं दूरगामी दृष्टि से ऐसा सम्भव हो पाया। संस्कृत सप्ताह के अंर्तगत विभिन्न विद्यालयों में कार्यक्रम करके पहले विद्यार्थी एवं अध्यापकों को जागरूक करने का सार्थक प्रयास किया जा रहा है। जम्मू कश्मीर तो प्राचीन काल से ही संस्कृत का मूल केंद्र के रूप में रहा है यहां साधनारत ऋषियों ने अपनी जीवन्त ज्ञान परम्परा ने समस्त विश्व को ज्ञान एवं साधना का मार्ग दिखाया है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विद्यालय के प्राचार्य श्री ललित शर्मा ने कहा कि हमारे विद्यालय में संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत जो कार्यक्रम हुआ है उससे हम सभी का ज्ञान वर्धन हुआ है। सभी भाषाओं की जननी है संस्कृत। आज हम कुल छः स्कूलों को एक साथ जोड़कर संस्कृत सप्ताह को मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। हमे अन्य विषय के संस्कृत को भी जोड़कर अध्ययन अध्यापन करने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम में अपने व्यक्तव्य देते हुए चूड़ामणि संस्कृत संस्थान के प्राचार्य डॉ सौम्य रंजन महापात्र ने कहा कि हमारे वेद उपनिषद आदि ग्रन्थ संस्कृत भाषा में ही निहित है। हमे इसके साथ ही चलना चाहिए।

इस अवसर पर राजकीय माध्यमिक विद्यालय गगरोड की बालिकाओं ने संस्कृत गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया। राजकीय कन्या आदर्श माध्यमिक बसोहली, राजकीय माध्यमिक विद्यालय वारला चुकान आदि के विद्यार्थियों द्वारा संयुक्त रूप से विभिन्न प्रस्तुतिया दी गई जिसने सरस्वती वन्दना, गीता पाठ एवं नीति श्लोक का वाचन किया।

कार्यक्रम का कुशल संचालन श्री वृज मोहन बसोत्रा एवं सम्मानित अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन सुश्री पल्लवी विलवरिया ने किया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से मीनाक्षी शर्मा, अरसाद बेगम, सुनीता गुप्ता, सुदर्शन शर्मा, नीलम शर्मा सहित प्रस्तुति देने वाले सभी प्रतिभागीगण उपस्थित रहे।

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