तीसरी बार सीएम बनेंगे हेमंत सोरेन, 44विधायकों का है समर्थन

 

जमीन घोटाला मामले में हेमंत सोरेन के जेल से छुटने के बाद कई लोगों ने झारखंड में सियासी उलटफेर की आशंका जताई थी, उन सभी की आशंका सच होती नजर आ रही है. 28 जून को हेमंत सोरेन को जमानत मिली और वो जेल से निकल गए. इसके बाद 3 जुलाई को सीएम आवास पर इंडिया गठबंधन के विधायकों की एक बैठक आयोजित की गई थी.

सीएम आवास पर हुए बैठक में विधायकों ने बहुमत के साथ हेमंत सोरेन को अपने नेता के तौर पर चुना है. जिसके बाद उसी शाम में चंपई सोरेन राजभवन पहुंचे और राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना इस्तीफा सौंपा. इसके बाद हेमंत सोरेन ने नई सरकार गठन का दावा पेश कर दिया. हेमंत सोरेन को कुल 44 विधायकों का समर्थन मिला है. झारखंड के सियासत में उलटफेर करने के बाद अब 7 जुलाई को हेमंत सोरेन झारखंड के 13वें मुख्यमंत्री के रूप में तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे और हेमंत सोरेन के साथ उनके कैबिनेट मंत्री भी शपथ लेंगे जिसमें कुछ नए चेहरे भी शामिल होंगे.

होने वाला है विधानसभा चुनाव

इस साल की शुरुआती महीने 31 जनवरी में हेमंत सोरेन को लैंड माइंस केस में गिरफ्तार किया था, जिसके बाद चंपई सोरेन ने झारखंड के सीएम पद की शपथ ली थी. चंपई सोरेन को सभी की सहमति के बाद गठबंधन का नेता चुना गया था. राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने के दूसरे दिन बाद चंपई सोरेन ने साफ कहा कि पिछले दिनों भी हम लोगों ने इसी तरह निर्णय लेकर नेतृत्व परिवर्तन किया था, लेकिन अब हेमंत सोरेन वापस आ गए हैं और हम लोगों के गठबंधन में फिर से उन्हें नेतृत्व सौंपने का निर्णय लिया. हेमंत सोरेन और महागठबंधन के इस फैसले पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्यों इस समय ऐसे बदलाव की नौबत आई, क्योंकि आने वाले अगले 2 से 3 महीनों में विधानसभा का चुनाव होने वाला है.

‘जबरन पद से बेदखल कर भेजा जेल’

मुख्यमंत्री पद ग्रहण करने के बाद हेमंत सोरेन लोगों के सामने ये बात भी रखेंगे कि केंद्रीय जांच एजेंसी का गलत इस्तेमाल करके उनके खिलाफ भ्रष्टाचारी होने का नॉरेटिव सेट कर उन्हें जबरन पद से बेदखल कर जेल भेजा गया था. हालांकि हेमंत सोरेन और इंडिया गठबंधन के लिए गए फैसले से हेमंत सोरेन के साथ-साथ पूरे सोरेन परिवार पर फिर एक बार सत्ता का लालच होना और सत्ता के लालच में परिवारवाद को बढ़ावा देने का भी आरोप लग रहा, इसके साथ ही यह भी आरोप लग रहा है कि यह परिवार खुद को बहुत दिनों तक सत्ता से दूर नहीं रख सकता है ना ही यह परिवार दूसरे को सत्ता में काबिज देख सकता है.

चंपई सोरेन के सीएम बनने से थी विधायकों में नाराजगी

साल 2019 में हुए चुनाव में महागठबंधन ने सिर्फ एक चेहरे को प्रजेंट किया था, जो कि हेमंत सोरेन थे, इस चेहरे के जरिए महागठबंधन ने सत्ता पाई थी, इसके साथ ही लोगों का कहना ये भी है कि हेमंत सोरेन की जगह चंपई सोरेन को सीएम बनाने के बाद से कई नेताओं में नाराजगी थी, वह सभी ये चाहते थे कि सत्ता की बागडोर हेमंत सोरेन के हाथ में हो, क्योंकि विधायकों की ट्यूनिंग चंपई सोरेन के मुकाबले हेमंत सोरेन के साथ ज्यादा अच्छी थी. विधानसभा चुनाव के पहले इस तरह के बदलाव से हेमंत सोरेन को चुनाव के प्रचार के समय बतौर मुख्यमंत्री किए गए कामों और उपलब्धियां को गिनवाने का मौका मिलेगा. महागठबंधन की ओर से हेमंत सोरेन का चेहरा झारखंड के लोगों से चंपई सोरेन के मुताबिक कहीं ज्यादा कनेक्ट करता है.

झारखंड के 24 सालों के राज्य गठन में हेमंत सोरेन तीसरी बार बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, हेमंत सोरेन से पहले उनके पिता शिबू सोरेन और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने भी तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है, जबकि बाबूलाल मरांडी, मधु कोड़ा, चंपई सोरेन और रघुवर दास भी राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं , 24 वर्षों के झारखंड में रघुवर दास एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री रहे हैं जिन्होंने अपने 5 सालों का कार्यकाल पूरा किया है.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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