UAPA केस में बंद PFI के पूर्व अध्यक्ष ने मांगी हाई कोर्ट से जमानत, NIA ने ये सब कहा

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के पूर्व अध्यक्ष ई.अबुबकर की उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें उसने UAPA (आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम) के तहत केस में जमानत मांगी थी। इस मामले की जांच NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) कर रही है। 

एजेंसी ने अबुबकर को साल 2022 में प्रतिबंधित संगठन PFI पर बड़े पैमाने पर की गई छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया था और फिलहाल वो न्यायिक हिरासत में है। वह मेडिकल ग्राउंड पर जमानत मांग रहा था। जस्टिस सुरेश कुमार कैत और मनोज जैन की पीठ ने अबुबकर के वकील और NIA की ओर से पेश वकील की दलीलें सुनने के बाद इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

NIA ने कोर्ट को बताया PFI, उसके पदाधिकारियों और सदस्यों ने देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकी कृत्यों को अंजाम देने के मकसद से धन जुटाने के लिए एक आपराधिक साजिश रची और इस उद्देश्य के लिए अपने कैडर को प्रशिक्षित करने और सिखाने के लिए ट्रेनिंग कैम्प्स का आयोजन कर रहे थे।

अबुबकर की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि उसके खिलाफ UAPA का मामला बनाए रखने के लिए NIA के पास कोई सामग्री नहीं थी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी की उम्र 70 वर्ष से अधिक है, वह कैंसर से पीड़ित है और पार्किंसंस रोग से जूझ रहा है। वकील ने कोर्ट को बताया कि हिरासत के दौरान अबु बकर को कई बार एम्स का दौरा करना पड़ा था।

NIA के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए ट्रेनिंग शिविरों के आयोजन, अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कैडर को प्रशिक्षित करने में अबु बकर की संलिप्तता बताने के लिए सारे सबूत उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि अबुबकर के खिलाफ कई मामले दर्ज थे और अगर उसे रिहा किया गया तो कोई भी उसके खिलाफ गवाही नहीं देगा। 

NIA के वकील ने कोर्ट को यह भी बताया गया कि आरोपी को जेल में इलाज मुहैया करवाया जा रहा है और ऐसे में उसके कथित खराब स्वास्थ्य के आधार पर उसे रिहा करने का कोई मतलब नहीं है। 

2022 में कार्रवाई के दौरान कई राज्यों से बड़ी संख्या में कथित PFI कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था या उन्हें गिरफ्तार किया गया था। यह कार्रवाई 28 सितंबर, 2022 को UAPA के तहत संगठन और उसके सहयोगी संगठनों पर सरकार द्वारा लगाए गए राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध से पहले की गई थी। इस दौरान उन पर ISIS जैसे वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ संबंध होने का आरोप लगाया गया था।

ये छापेमारी केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, दिल्ली और राजस्थान में हुई थी। हाई कोर्ट ने फरवरी में तिहाड़ जेल के चिकित्सा अधीक्षक को नियमित आधार पर अबुबकर के लिए प्रभावी उपचार सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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