चीनी डिफेंस एक्सपर्ट का बड़ा खुलासा: अचानक क्यों की जा रही है ताइवान की घेराबंदी?

 

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने स्वशासित द्वीप की नाकाबंदी के लिए अभ्यास के तौर पर ताइवान को चारों तरफ से घेरते हुए युद्ध अभ्यास शुरू कर दिया है. इसके लिए चीन ने अपने सबसे उन्नत लड़ाकू विमान जे-20 और जे-16, टाइप 052 डी गाइडेड मिसाइल विध्वंसक, डीएफ मिसाइल और लंबी दूरी के रॉकेट लांचर को समुद्र में उतार दिया है.

अचानक से चीन के इस तरह से आक्रामक होने के पीछे की वजह ताइवान में बनी नई सरकार पर दबाव बनाना भी है. तीन दिन पहले विलियम लाई चिंग-ते ने राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी और उन्होंने चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि ताइवान की स्वतंत्रता के लिए किसी भी प्रकार की अलगाववादी गतिविधियों को कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. चीन के इस युद्ध अभ्यास को लेकर चीन के राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के एक एसोसिएट प्रोफेसर झांग ची ने राज्य प्रसारक सीसीटीवी पर बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि पीएलए सेना ताइवान की नाकाबंदी का अभ्यास कर रही है.

ताइवान के आर्थिक पतन की हो रही प्लानिंग

झांग ने कहा, “हम जानते हैं कि ताइवान एक अलग-थलग द्वीप है. ताइवान की अधिकांश ऊर्जा खपत आयात पर निर्भर करती है, विशेष रूप से इसकी तेल खपत, जो लगभग पूरी तरह से आयात पर निर्भर है. इसलिए एक बार जब इसे घेर लिया जाएगा और ब्लॉक कर दिया जाएगा तो यह आसानी से ताइवान के आर्थिक पतन का कारण बन सकता है और एक मृत द्वीप बन सकता है. इस बार पीएलए का अभ्यास नाकाबंदी के नए मॉडल का अभ्यास करने पर केंद्रित है.”

काऊशुंग बंदरगाह को है खतरा

इस बयान से पूरी तरह से साफ है कि चीन का यह युद्ध अभ्यास ताइवान को दुनिया से काटने और आर्थिक तौर पर उसको खत्म करने के लिए है. झांग ने बताया कि इस अभ्यास का इरादा ताइवान के समुद्री प्रवेश द्वार काऊशुंग बंदरगाह का गला घोंटना है और यह ताइवान के विदेशी व्यापार के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है. काऊशुंग ताइवान की नौसेना के लिए भी एक महत्वपूर्ण गढ़ है और यह अभ्यास दिखाता है कि पीएलए बंदरगाह में ताइवान के अधिकारियों की नौसेना को मजबूती से फंसा सकता है.

इसके साथ ही पीएलए के अभ्यास का उद्देश्य ताइवान के ऊर्जा आयात की जीवन रेखा को ब्लॉक करके ताइवान स्वतंत्रता बलों को देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर करना है. वहीं द्वीप के पूर्वी हिस्से की नाकाबंदी से अमेरिका और उसके सहयोगी देश ताइवान की सहायता करने से भी वंचित हो जायेंगे.

बीजिंग ताइवान को अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में मानता है, वह मानता है कि आवश्यक हो तो बलपूर्वक भी इस पर कब्जा किया जाना चाहिए और अंततः मुख्य भूमि में शामिल किया जाना चाहिए. इसके साथ ही वह नए राष्ट्रपति लाई को एक अलगाववादी और उपद्रवी के रूप में देखता है जो स्वतंत्रता की वकालत करते हैं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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