लखनऊ: उत्तर प्रदेश में चर्चित दो सीएमओ हत्याकांड के मुख्य आरोपी और शूटर आनंद प्रकाश तिवारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, साथ ही 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। सीबीआई कोर्ट ने हाल ही में तिवारी को दोषी ठहराया था। सीबीआई के विशेष जज ने बुधवार को सुनवाई के दौरान यह सजा सुनाई। इसके अलावा, आरोपी विनोद शर्मा और रामकृष्ण वर्मा को सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया गया है। यह घटनाएँ बसपा सरकार के कार्यकाल में हुई थीं। अक्टूबर 2010 में, परिवार कल्याण विभाग के सीएमओ विनोद आर्य की गोली मारकर हत्या की गई थी, जब वे घर से टहलने निकले थे। उनकी मौत के छह महीने बाद, अप्रैल 2011 में, सीएमओ डॉ. ब्रह्म प्रसाद सिंह की भी हत्या हो गई थी। बीपी सिंह को विनोद आर्य की मौत के बाद सीएमओ के पद पर नियुक्त किया गया था। इन हत्याओं ने उस समय की बसपा सरकार की छवि को धूमिल किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी।
जब दो सीएमओ हत्याकांडों की जांच जारी थी, उसी समय जेल में डिप्टी सीएमओ योगेंद्र सिंह सचान की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। इस मामले में न्यायिक जांच की गई थी, और परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया था। सीबीआई, जो हत्याकांड की जांच कर रही थी, ने अंशु दीक्षित, आनंद प्रकाश तिवारी, विनोद शर्मा, और रामकृष्ण वर्मा को शूटर के रूप में बताया था।
जानकारी के मुताबिक, सीएमओ हत्याकांड के बाद जून 2011 को मड़ियांव इलाके से यूपी एसटीएफ ने शूटर आनंद प्रकाश तिवारी, विनोद शर्मा और साजिशकर्ता रामकृष्ण वर्मा उर्फ आरके वर्मा को गिरफ्तार कर लिया था। आनंद प्रकाश के पास से बरामद दो पिस्टल का दोनों हत्याकांड में मिले खोखे से मिलान करवाया गया था, जिसमें पिस्टल और खोखे एक ही निकले थे। वहीं अंशु दीक्षित पेशी से भागते समय मुठभेड़ में ढ़ेर हो गया था। 2022 में गवाही पूरी हुई थी। वहीं हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई को एनआरएचएम घोटाले मामले के सुराग हाथ लगे थे। दावा किया गया कि हत्याएं फर्जी बिल पास करने से इनकार पर हुई थी। एनआरएचएम घोटाला 6 हजार करोड़ का घोटाला था। इसमे कई लोग और अफसर जेल गए थे।