केजरीवाल का समर्थन में उतरे अखिलेश, दिल्ली में कैसे बिगड़ रहा सपा MP-MLA के रिश्तेदार का खेल

केजरीवाल का समर्थन में उतरे अखिलेश, दिल्ली में कैसे बिगड़ रहा सपा MP-MLA के रिश्तेदार का खेल

दिल्ली: विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश गर्म है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने दिल्ली की सियासत में कांग्रेस के बजाय आम आदमी पार्टी के साथ खड़े होने का ऐलान कर दिया है. केजरीवाल के साथ ‘महिला अदालत’ के कार्यक्रम का मंच शेयर कर अखिलेश ने कांग्रेस को तगड़ा झटका दिया था, लेकिन उसके चलते सपा के सांसद और विधायक के रिश्तेदार का सियासी खेल दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिगड़ता नजर आ रहा है?

दिल्ली की नांगलोई विधानसभा सीट से कांग्रेस ने रोहित चौधरी को प्रत्याशी बनाया है. रोहित चौधरी अपने क्षेत्र में यादव समाज के वोटों को साधने के लिए सपा का सहारा लेने के फिराक में थे. केजरीवाल और अखिलेश यादव की बनी सियासी केमिस्ट्री ने रोहित चौधरी के चुनावी समीकरण ही नहीं विधानसभा पहुंचने के सियासी मंसूबों पर भी पानी फेर सकता है.

कांग्रेस प्रत्याशी रोहित चौधरी जाट समाज से आते हैं और उनकी बहन की शादी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के सपा सांसद हरेंद्र मलिक के बेटे पकंज मलिक से हुई है. पकंज मलिक भी सपा से चरथावल सीट से विधायक हैं. रोहित चौधरी कांग्रेस के टिकट पर दिल्ली की नांगलोई सीट से चुनावी मैदान में किस्मत आजमाएंगे. नांगलोई सीट पर यादव समाज के मतदाता अच्छी खासी संख्या में है और हार जीत तय करने वाली भूमिका में है.

नांगलोई सीट पर यादव वोटर ज्यादा

नांगलोई विधानसभा सीट पर 15 फीसदी से ज्यादा यादव समुदाय के वोटर हैं. रोहित चौधरी की रणनीति अपने बहनोई पंकज मलिक और उनके पिता सपा के सांसद हरेंद्र मलिक के जरिए नांगलोई सीट पर यादव वोटों को साधने की रणनीति बनाई थी. इस तरह रोहित चौधरी ने अपने क्षेत्र में जो पोस्टर लगाए हैं, उसमें भी अखिलेश यादव को जगह दी थी. इसके पीछे तर्क था कि इंडिया गठबंधन में सपा भी प्रमुख दल है. हरेंद्र मलिक और पंकज मलिक को जरिए सपा के वोटबैंक को अपने पक्ष में कर ले जाएंगे, लेकिन अखिलेश यादव के केजरीवाल को समर्थन करने के चलते रोहित चौधरी की मुश्किलें खड़ी हो गई हैं.

नांगलोई विधानसभा सीट से ही ब्रह्म प्रकाश यादव 1952 में विधायक बने थे और दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी विराजमान हुए थे. इसके बाद भी यादव समाज के प्रत्याशी नांगलोई सीट पर किस्मत आजमाते रहे हैं. इतना ही नहीं यादव वोटों के सियासी समीकरण को देखते हुए सपा भी अपना प्रत्याशी नांगलोई सीट पर उतारती रही है.

अखिलेश यादव की अरविंद केजरीवाल की सियासी केमिस्ट्री

अखिलेश यादव की अरविंद केजरीवाल के साथ बनी सियासी केमिस्ट्री ने कांग्रेस के साथ-साथ रोहित चौधरी के लिए भी चिंता का सबब बन गया है. इसका सीधा असर रोहित चौधरी के यादव वोटों के जोड़ने वाले सियासी अभियान पर पड़ सकता है, क्योंकि अब उनके रिश्तेदार खुलकर उनकी मदद करना राजनीतिक तौर पर जटिल हो जाएगा.

सपा के शीर्ष नेतृत्व का दिल्ली के चुनाव में केजरीवाल को समर्थन करने का फैसला हरेंद्र मलिक और पंकज मलिक को असमंजस की स्थिति में डाल सकता है, क्योंकि उनके लिए पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन करना आसान नहीं रहेगा. हालांकि, रोहित चौधरी को अभी भी विश्वास है कि उनके रिश्तेदार अपना परिवारिक फर्ज निभाएंगे और उनके लिए चुनाव में मददगार साबित होंगे. ऐसे में देखना है कि रोहित चौधरी कैसे नांगलोई सीट पर यादव समुदाय के वोटों को साधने की कवायद करते हैं.

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