यूपी के बिजली उपभोक्ताओं को लगेगा बढ़ी दर का झटका या मिलेगी राहत, फैसले की तारीख जान लीजिए

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली की कीमतों को लेकर फैसला होने वाला है। पावर कॉरपोरेशन आपूर्ति और राजस्व वसूली में 11,203 करोड़ रुपये के अंतर का हवाला देते हुए इस साल बिजली की दरों में बढ़ोतरी चाहता है। हालांकि, कंपनियों की तरफ से बढ़ोतरी का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है। दरें निर्धारण के लिए सोमवार को नियामक आयोग चेयरमैन अरविंद कुमार की अध्यक्षता में राज्य सलाहकार समिति की बैठक हुई। बैठक में समिति के ज्यादातर सदस्यों ने दर में बढ़ोतरी न किए जाने का सुझाव दिया। बैठक के बाद अब बिजली दरें बढ़ेंगी या नहीं, इस पर अंतिम निर्णय राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा लिया जाएगा। इस पर तस्वीर 20 तक साफ हो सकती है। यूपी में पिछले चार साल से दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।

बढ़ोतरी की संभावना कम

बैठक के दौरान कॉरपोरेशन ने जब कंपनियों का राजस्व गैप 11,203 करोड़ रुपये बताया तो राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बैठक में इसका विरोध किया। परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि यह आंकड़ा केवल दिखाने के लिए है। मल्टी ईयर टैरिफ रेग्युलेशन के मानक के अनुसार अगर इसका परीक्षण किया जाएगा तो यह गैप समाप्त हो जाएगा और उपभोक्ताओं का सरप्लस निकल आएगा।

ग्रेटर नोएडा में जारी रहेगी छूट

ग्रेटर नोएडा के बिजली उपभोक्ताओं को बिजली दरों में मिलने वाली 10 फीसदी की छूट आगे भी जारी रह सकती है। ग्रेटर नोएडा में बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी का एनपीसीएल पर उपभोक्ताओं का करीब 1081 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहा है। ऐसे में इस छूट दो साल तक और आगे बढ़ाने जाने की मांग समिति के कुछ सदस्यों की ओर से उठाई गई।

बैठक में 5 पैसे के SMS के बदले 10 रुपये प्रति SMS वसूलने के प्रस्ताव का भी विरोध हुआ। समिति की बैठक में इस प्रस्ताव का विरोध होने के बाद पावर कॉरपोरेशन इसे वापस ले सकता है। इसे उपभोक्ताओं के हित के खिलाफ करार दिया जा रहा है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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