उत्तर कोरिया रूस की मदद करने को इतना बेताब क्यों? यूं ही नहीं हथियारों के कंटेनर और हजारों सैनिक भेजे, यह है असली फायदा

उत्तर कोरिया रूस की मदद करने को इतना बेताब क्यों? यूं ही नहीं हथियारों के कंटेनर और हजारों सैनिक भेजे, यह है असली फायदा

उत्तर कोरिया और रूस की बढ़ती दोस्ती यूक्रेन के लिए खतरे का सबब बन सकती है. रूस और यूक्रेन की जंग जारी है. इस बीच उत्तर कोरिया ने रूस को यूक्रेन से लड़ने के लिए हजारों सैनिक भेजे हैं. उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग-उन का यह फैसला दुनियाभर में आलोचना का विषय बन गया है. सियोल, वाशिंगटन और कीव ने कहा है कि रूस में 10,000 से अधिक उत्तर कोरियाई सैनिक पहुंच चुके हैं. यूक्रेन के रक्षा मंत्री का कहना है, उनमें से कुछ यूक्रेन सीमा के पास कुर्स्क में लड़ाई में शामिल हैं.

यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने पिछले हफ्ते कहा था कि उत्तर कोरियाई सैनिकों को उनके देश की सेनाओं के साथ लड़ाई में हताहत होना पड़ा है, और उनके बीच पहली लड़ाई दुनिया में अस्थिरता लाने के लिए नए इतिहास की शुरुआत करेगी.

ऐसे में सवाल है कि उत्तर कोरिया आखिर रूस की मदद क्यों कर रहा है, ऐसा फैसला करके किम जोंग उन को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से क्या हासिल होगा और दोनों की दोस्ती यूक्रेन के लिए कितनी बड़ी मुश्किल खड़ी करने वाली होगी?

उत्तर कोरिया ने रूस की मदद के लिए क्यों भेजे सैनिक?

उत्तर कोरिया ने अपने सैनिक रूस की मदद के लिए क्यों भेजे, इसकी पहली वजह को जान लेते हैं. जून में रूस और उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेताओं ने रक्षा संधि की थी. इसका मकसद था, देश में आपातकाल की स्थिति में दोनों एक-दूसरे की मदद करते हैं. उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया एजेंसी KCNA ने भी इसकी पुष्टि की है.

एजेंसी ने कहा है कि उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने सोमवार को समझौते की पुष्टि के लिए एक आदेश पर हस्ताक्षर किए. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी इस संधि पर हस्ताक्षर करके इसे कानून बना दिया है, जिसमें यह प्रावधान है कि अगर देश में युद्ध की स्थिति बनती है तो संधि में शामिल देश मुश्किल में पड़े मुल्क को सभी जरूरी साधन और सैन्य सहायता प्रदान करेंगे. किम ने जून में पुतिन के साथ एक शिखर सम्मेलन में समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और इसे द्विपक्षीय संबंधों को एक गठबंधन के स्तर तक बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया गया है.

संधि के वो फायदे जो किम जोंग उन को मिलेंगे

इस संधि के तहत उत्तर कोरिया को भी कई फायदे मिलेंगे. संधि में साफ कहा गया है कि आपात स्थिति में हमला होने पर दूसरा देश मदद करेगा. कोई भी देश एक-दूसरे के आंतरिक मामले में दखल नहीं देगा. रूस हथियारों के साथ कई मामलों में काफी आगे है. उसकी व्यापारिक रणनीति अलग है. उत्तर कोरिया अब इसका फायदा उठाना चाहता है.

संधि में साफ कहा गया है कि दोनों देश एक-दूसरे को व्यापार में मदद करने के साथ परमाणु एनर्जी, फूड सप्लाई और स्पेस सेक्टर में मदद करेंगे. अब इस संधि के बाद व्यापार और दूसरे सेक्टर में नॉर्थ कोरिया को रूस से सीधेतौर पर फायदा मिलेगा.

हाल में उत्तर कोरिया ने यूक्रेन से जंग में आगे रखने के लिए रूस को अपने 12 हजार सैनिक भेजे थे. उत्तर कोरिया रूस को लेकर क्या रुख रखता है, पिछले साल ही यह देखने को मिल गया था. साल 2023 में उत्तर कोरिया ने रूस को हथियारों से भरे 14 हजार कंटेनर भेजे थे. जिसका इस्तेमाल रूस वर्तमान में यूक्रेन के खिलाफ जंग में कर रहा है. दोनों की दोस्ती यूक्रेन के साथ उन देशों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है जो इस जंग में यूक्रेन के साथ हैं. भले ही वो हथियार नहीं, दूसरे तरीके से जेलेंस्की को सपोर्ट कर रहे हों.

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