वाराणसी में ऐसे मनाई जाती है देव दीपावली, इन घाटों पर हुई दीपोत्सव शुरुआत, यहां स्नान करना माना जाता है शुभ

वाराणसी में ऐसे मनाई जाती है देव दीपावली, इन घाटों पर हुई दीपोत्सव शुरुआत, यहां स्नान करना माना जाता है शुभ

देव दीपावली, जिसे देव दिवाली या त्रिपुरोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, पवित्र शहर बनारस में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला एक त्योहार है। साल 2024 में, यह 15 नवंबर को मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार, देव दिवाली की कथा त्रिपुरासुर के वध से जुड़ी है। कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। जिसके बाद कार्तिक पूर्णिमा पर देवताओं ने खुश होकर दिवाली मनाई थी। यूं तो देव दिवाली का त्योहार हिंदुओं के सबसे शुभ त्योहारों में से एक माना जाता है, वहीं मुख्य रूप से यह पर्व उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मनाया जाता है। आइए इस दिन वाराणसी में क्या खास होता है।

वाराणसी के घाटों पर देव दीपावली के दिन अलग होता है नजारा

 

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अगर आप देव दीपावली का अद्भुत नजारा देखना चाहते हैं, तो वाराणसी आना न भूलें। यहां पर देव दीपावली का मनोरम दृश्य आपके मन को खुश कर देगा। बता दें, यहां के घाटों पर देव दीपावली के लिए दीपोत्सव की शुरुआत शुरुआत हो गई है। बता दें, यहां की देव दीपावली देश और दुनिया में प्रसिद्ध है, देखने के लिए दूर- दूर से टूरिस्ट्स आते हैं।

 

ढेर सारे दीयों से जगमगाते हैं वाराणसी के घाट

 

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वाराणसी में गंगा नदी के किनारे पर सभी घाटों की सीढ़ियां, रविदास घाट से लेकर राजघाट तक लाखों की संख्या में दीए जलाए जाते हैं। कई घाटों पर दीपोत्सव की शुरुआत हो चुकी है। दीपोत्सव की परंपरा की शुरुआत महज 39 साल पहले हुई थी। बता दें, इस त्योहार को ‘त्रिपुरा पूर्णिमा स्नान’ के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवता गंगा में स्नान करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं।

 

कुछ इस तरह वाराणसी में मनाई जाती है देव दीपावली

 

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वाराणसी में देव दीपावली के दौरान, घरों को उनके सामने के दरवाजों पर तेल के दीपक और रंगोली बनाई जाती है, जैसा हम सभी दिवाली के दिन करते हैं। इस दिन भक्तों द्वारा किए जाने वाले मुख्य अनुष्ठानों में कार्तिक स्नान (कार्तिक के दौरान गंगा में पवित्र स्नान करना) और शाम को गंगा को दीपदान (तेल के दीए जलाना) शामिल हैं। जिसके बाद शाम को गंगा आरती भी की जाती है।

 

दूर-दूर से देखने आते है टूरिस्ट्स

 

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देव दीपावली का त्योहार एक प्रमुख रूप से देश- विदेश के टूरिस्ट्स को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस दिन घाटों और नदी को चमकीले रंगों में रोशन करने वाले लाखों दीपक तैरते हुए दिखाई देते हैं, जिन्हें देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है।

इस त्योहार की रात, पवित्र शहर वाराणसी, आसपास के गांवों और देश भर से हजारों भक्त शाम को आरती देखने के लिए गंगा के घाटों पर इकट्ठा होते हैं। जहां आकर मन को शांति जरूर मिलती है। बता दें, वाराणसी भारत का सबसे प्राचीन शहर है। यहां भगवान शिव के कई प्रसिद्ध हिंदू मंदिर हैं, जिनके दर्शन करने के लिए हर साल लाखों भक्त आते हैं।

 

कैसे पहुंचे वाराणसी

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वाराणसी सड़क, रेल और वायु मार्ग से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। अगर आप फ्लाइट से आ रहे हैं, तो बता दें, लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट नजदीक है, जो शहर से 22 किमी दूरी पर है। अगर आप ट्रेन से आ रहे हैं, तो वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन पास पड़ेगा। वहीं नई दिल्ली से वाराणसी पहुंचने के लिए बस से आना एक अच्छा ऑप्शन है। बस ISBT कश्मीरी गेट बस स्टैंड से ले सकते हैं।

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