एमसीडी स्थायी समिति चुनाव की मांग को लेकर फिर हंगामा, बैठक के दौरान सदन में खूब हुई नारेबाजी

Mcd स्थायी समिति चुनाव की मांग को लेकर फिर हंगामा

नई दिल्ली: शनिवार को आयोजित एमसीडी (MCD) सदन में स्थायी समिति चुनाव को लेकर जमकर हंगामा हुआ। 10 मिनट तक चली सदन की बैठक में मेयर शैली ओबरॉय ने जैसे ही प्रस्तावों को नेता सदन को पढ़ने के लिए कहा विपक्ष के पार्षद डाइस के सामने आ गए और नारेबाजी करने लगे। इसी बीच नेता सदन मुकेश गोयल ने प्रस्तावों को पढ़ना शुरू किया। कुछ प्रस्तावों को पास किया गया और कुछ को स्थगित कर दिया। बीजेपी पार्षदों का कहना था कि जिन प्रस्तावों को पास किया जा रहा है, उसे पास करने के लिए आम आदमी पार्टी के पास संख्याबल ही नहीं है। आप पार्षदों की तुलना में बीजेपी पार्षदों की संख्या सदन में अधिक है।मेयर ने एमसीडी सदन की बैठक दो बजे से बुलाई थी। मीटिंग करीब पौने तीन बजे शुरु हुई। शोक प्रस्ताव के बाद मेयर ने नेता सदन को उन प्रस्तावों को पेश करने को कहा, जिसे 26 सितंबर को आयोजित मीटिंग में पेश किया गया था। नेता सदन ने प्रस्तावों को पढ़ना शुरु किया तो एमसीडी में विपक्ष के नेता राजा इकबाल सिंह के नेतृत्व में बीजेपी पार्षद हाथों में पंपलेट व पोस्टर लिए मेयर डाइस के पास आ गए और मेयर से स्थायी समिति चुनाव कराने की मांग करने लगे। मेयर ने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।

एमसीडी सदन में खूब हुई नारेबाजी
जवाब सुनते ही बीजेपी पार्षदों ने नारेबाजी और तेज कर दी। इसी बीच नेता सदन ने जैसे ही प्रस्तावों को पढ़ना शुरु किया, बीजेपी पार्षदों ने मेयर के हाथों से माइक छिनने की कोशिश की। लेकिन, मार्शलों ने मेयर के बचाव में घेरा बना लिया और पार्षदों को दूर हटाया। एमसीडी सदन में जिन प्रस्तावों को पास किया गया, उनमें एक प्रस्ताव एमसीडी टोल प्लाजा का कॉन्ट्रैक्ट किसी अन्य एजंसी को देना है। एमसीडी ने जिस एजेंसी को टोल टैक्स व ईसीसी कलेक्शन का कॉन्ट्रेक्ट दिया है, वह एजेंसी एमसीडी को सालाना 825.93 करोड़ रुपये देती है। जिस नई एजेंसी को कॉन्ट्रैक्ट देने का प्लान है, वह एजेंसी एमसीडी को सालाना 864.18 करोड़ रुपये का रेवेन्यू देगी।

विपक्ष ने प्रस्तावों को बताया अवैध
एमसीडी में नेता विपक्ष राजा इकबाल सिंह ने सदन में पास प्रस्तावों को अवैध बताया है। उनका कहना है कि शनिवार को सदन में जो प्रस्ताव पास किए गए, उनको पास करने के लिए सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी के पास संख्याबल ही नहीं था। आप की तुलना में बीजेपी पार्षदों की संख्या अधिक थी। ऐसे में बीजेपी पार्षदों के सहमति न मिलने के बाद प्रस्ताव कैसे पास कर दिया गया?

प्रस्तावों पर वोटिंग की मांग भी की गई, लेकिन मेयर ने बीजेपी पार्षदों की मांगों की अनदेखी कर दी। सदन में आम आदमी पार्टी के 81 और बीजेपी के 94 पार्षद मौजूद रहे। अगर चार से अधिक पार्षद किसी प्रस्ताव पर वोटिंग की मांग करते हैं, तो एमसीडी एक्ट के तहत मेयर को वोटिंग कराना अनिवार्य है, लेकिन मेयर ने नियमों की अनदेखी कर प्रस्ताव पास किया है, जो अवैध है।

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