मॉस्को: वैज्ञानिकों ने साइबेरिया की बर्फ में एक बड़ी खोज की है। यहां की बर्फ में एक युवा वुली गैंडे का जमा हुआ शरीर मिला है। यह शव पूरी तरह से ममीकृत है, जिसे हजारों साल पहले शिकारियों ने खाया था। ऊनी गैंडे का दाहिना भाग अच्छी तरह से संरक्षित है, जिसमें त्वचा और फर के धब्बे हैं जो हजारों साल से उसी तरह बरकरार हैं, जैसे वह शुरुआत में थे। लेकिन इसका बायां हिस्सा दिखाता है कि इसके ऊपर हमला हुआ था। यह जख्म मरने से कुछ समय पहले या बाद के घंटों के हैं। रूसी विज्ञान अकादमी और सखा गणराज्य के विज्ञान अकादमी के शोधकर्ताओं ने शव से जुड़ी स्टडी लिखी जो डोकलाडी अर्थ साइंसेज जर्नल में 1 जुलाई को छपी है। उन्होंने इसमें लिखा, ‘जांघ के ऊपरी भाग से लेकर कंधे तक शव गंभीर रूप से नष्ट हो गया है। शरीर के आंतरिकहिस्से दिखने लगे हैं। ज्यादातर आंतें गायब हैं।’ शोधकर्ताओं ने लिखा, ‘क्षत-विक्षत शव से यह साफ है कि शिकारियों ने इसका बायां हिस्सा खा लिया था।’
कितना पुराना था गैंडा?
शोधकर्ताओं ने आगे लिखा, ‘फर में लगे छोटे क्रस्टेशियंस के अवशेष यह संकेत देते हैं कि ऊनी गैंडे (कोएलोडोंटा एंटिकिटेटिस) की मौत उथले पानी में हुई थी।’ रेडियोकार्बन डेटिंग से पता चलता है कि वुली गैंडा 32000 साल पहले मर गया और फिर जम गया। वुली गैंडा 460,000 से 12000 साल पहले आखिरी हिमयुग के दौरान ऊनी गैंडे आर्कटिक टुंड्रा में घूमते थे। ये विशालकाय जानवर थे। वुली मैमथ के बाद यह दूसरे सबसे विशालकाय शाकाहारी जीव थे। वुली मैमथ की ही तरह गैंडे भी अपने झबरे फर के कारण ठंड से बचे रहते थे। लेकिन वैज्ञानिक अभी भी इन जानवरों के बारे में बहुत कम जानते हैं।
वैज्ञानिकों को और क्या पता चला
दुर्लभ गैंडे की खोज ने इन जानवरों के बारे में और भी ज्यादा समझने में मदद की है। वैज्ञानिकों को अगस्त 2020 में रूस के उत्तरपूर्वी सखा गणराज्य में टायरेखत्याख नदी के किनारों से शव मिला था। स्थानीय इलाके के नाम पर इसे ‘अबीस्की गैंडा’ कहा गया। यहां से अवशेषों को टीम को भेजा गया, जहां शव वर्तमान में फ्रीजर में रखा है। शोधकर्ताओं ने स्टडी के लिए त्वचा, फर और मुलायम ऊतकों के सैंपल लिए। ऊनी गैंडे के दांतों की भी जांच की। उसके सींग की लंबाई मापी और उसकी पीठ पर बड़ा कूबड़ देखा, जो संभवतः वसा से भरा था। स्टडी के मुताबिक एक सींग 9.4 इंच लंबा था। ऊनी गैंडे की मौत तब हुई जब इसकी उम्र 4 से 4.5 वर्ष थी।