छत्तीसगढ़ का एक ऐसा गांव, जहां गांव को बेटियों के नाम से जाना जाए, इसके लिए गांववालों की तरफ से एक खास पहल की गई है. इस गांव में सभी अविवाहित बेटियों को एक पेड़ बेटियों के नाम पर थीम दी गई है. बेटियों के नाम से स्कूल परिसर में गांव की 243 बेटियों के नाम पर पौधारोपण किया गया है, ताकि बेटियों को हमेशा याद किया जा सके और पर्यावरण की महत्व को समझा जा सके.
इसके साथ ही ग्राम पंचायत की सामाजिक बैठक ने एक और अहम फैसला लिया है. इस गांव में बेटियों के शादी होने पर उसके विदाई समारोह में दुल्हन को एक फलदार पौधा भेंट किया जाता है, ताकि पर्यवरण की दिशा में बेहतर काम हो सके.
बूंद-बूंद पानी के लिए तरसे
दरअसल, धमतरी से लगभग 10 किमी की दूरी पर बसे परसतराई गांव अपनी खूबियों के नाम से जाना जाता है. गांव की जनसंख्या तकरीबन 1434 है. यहां पर भीषण गर्मी में जब गांव सूखाग्रस्त हो गया था और गांव के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे थे. तब गांव के लोगों ने सामूहिक बैठक कर फसल चक्र परिवर्तन कर एक मिशाल पेश की थी.
पानी की बचत को लेकर धान की फसल लेने के बजाय अन्य फसल जिसमें पानी की मात्रा कम लगे. जैसे दलहन, तिलहन, गेहूं, चना फसल ली गई. इसके बाद से गांव में जल स्त्रोत का स्तर भी बढ़ गया और इस गांव में पानी की कमी नहीं हो रही है. ग्राम पंचायत परसतराई ने फसल च्रक परिवर्तन कर एक मॉडल के रूप में काम कर रही है. इसकी चर्चा पूरी प्रदेश में हो रही है. अब इस गांव ने एक और कदम बढ़ाया है.
बेटियों के नाम रखा पेड़ का नाम
गांव को बेटियों के नाम से जाना जाए इसके लिए खास पहल की गई है. एक पेड़ बेटियों के नाम पर थीम दी गई है. गांव की सभी अविवाहित बेटियों के नाम पर एक पेड़ स्कूल परिसर में लगाया गया है. अबतक 243 बेटियों के नाम से फलदार पौधा लगाया गया है, जिसमें जाम, कटहल, करौंदा, सीताफल, काला जामुन, नीबू समेत अन्य फलदार पौधा लगाया गया है.
गांव के सरपंच परमानंद अडिल ने बताया कि गांव में बेटियों को हमेशा याद रखा जाए. इसके लिए गांव की अविवाहित बेटियों के नाम से एक पेड़ लगाया जा रहा है. इसके साथ कि पर्यावरण की महत्व को भी समझा जा सके. गांव की महिला कांति बाई ने बताया कि बेटियों के शादी होने पर गांव में विदाई समारोह में दुल्हन को एक फलदार पौधा भेंट देते हैं.