चावल के आटे और आलू में रंग मिला बना रहे थे सॉस, कहीं आप भी तो नहीं खा रहे, बीकेटी में फैक्ट्री का भंडाफोड़

चावल के आटे और आलू में रंग मिला बना रहे थे सॉस, कहीं आप भी तो नहीं खा रहे, बीकेटी में फैक्ट्री का भंडाफोड़

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ है। बीकेटी स्थित एक कारखाने में गुड़ के सीरे में सड़े-गले आलू और चावल का आटा मिलाने के साथ ही प्रतिबंधित रंग डालकर सॉस तैयार किया जा रहा था। एफएसडीए की टीम ने सोमवार को छापेमारी के दौरान तैयार सॉस के साथ 2425 किलोग्राम माल सीज कर दिया। इसके अलावा सोया और वेजिटेबल सॉस समेत अन्य खाद्य पदार्थों के नमूने लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं।बीकेटी स्थित अछती रोड पर इलाके के ही कन्हैया राजपूत की मेसर्स मानपुर लाला नामक फर्म है। एफएसडीए के सीएफएसओ जेपी सिंह ने टीम के साथ फर्म के कारखाने पर छापा मारा। मौके पर खराब क्वालिटी के शीरे में चावल का आटा और उबला आलू पीसकर पेस्ट बनाकर नॉन एडिबिल कलर (खाने योग्य नहीं) मिलाकर सॉस बनता मिला। एक ही सॉस को खराब मिर्च का प्रयोग करते हुए सोया और वेजिटेबल सॉस तैयार किया जा रहा था।

टीम ने की बरामदगी

टीम ने 130 केन वेजिटेबल सॉस, 13 केन (एक केन में पांच किलो) सोया सॉस, 20 बोरी नमक (400 किलो), 44 टीन गुड़ का सीरा (एक बोरी में 20 किलो), 40 पैकेट कलर और 1995 किलो आलू सीज करने के साथ ही नमूने जांच के लिए भेजे। सीज किए गए वेजिटेबल सॉस की कीमत 13000 रुपये, सोया सॉस की कीमत 1430 रुपये, नमक की कीमत 9600 रुपये और सीरा की कीमत 17,600 रुपये आंकी गई है।

कलर के पैकेट पर दाम और मैनुफ्रैक्चरर का नाम नहीं पाया गया। इसके साथ ही अलग-अलग स्थानों से खाद्य पदार्थों के 30 अन्य सामग्रियों के नमूने कलेक्ट किए गए हैं। इन तमाम नमूनों को जांच के लिए लैब भेजा गया है।

इन्हें होती थी सप्लाई

एफएसडीए के सीएफएसओ ने बताया कि पूछताछ में सामने आया है कि मेसर्स मानपुर लाला फर्म से सॉस की ज्यादातर सप्लाई स्ट्रीट वेंडर्स को होती थी। इसके साथ ही शादी समारोहों के लिए भी हलवाई सॉस खरीद कर ले जाते थे। प्रथम दृष्टया सामने आ रहा है कि सॉस को कलर देने के लिए मिलाया जाने वाला सामान्य रंग स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है। सहायक आयुक्त द्वितीय वीपी सिंह का कहना है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।

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