लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनाव रिजल्ट की समीक्षा अपने स्तर पर की है। मंगलवार सीनियर नेता, मंत्री और विधायकों के साथ उनकी बैठक हुई है। इसमें पार्टी के खराब प्रदर्शन, वोट बैंक में आई गिरावट और उम्मीदवारों की हार के कारणों को टटोलने का प्रयास किया गया। कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं तक की नाराजगी के मुद्दे को सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन नेताओं के जरिए हासिल करने की कोशिश की है। हालांकि, अब यह समीक्षा बैठक चर्चा में आ गई है। हालांकि, सीनियर नेताओ की अनुपस्थिति को लेकर अलग तर्क दिए जा रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि अन्य मंत्री-विधायकों को खुलकर अपनी परेशानी रखने देने के लिए मुख्यमंत्री के साथ हुई समीक्षा बैठक में हेवीवेट चेहरों को नहीं बुलाया गया। सीएम क्षेत्र में सेकेंड लेवल लीडरशिप को बढ़ावा देने की रणनीति के तहत उन्हें बड़ी जिम्मेदारी के लिए तैयार करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। दरअसल, नीति आयोग की बैठक में दिल्ली पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ के भारतीय जनता पार्टी आलाकमान से मुलाकात की खबरें हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ यूपी में भारतीय जनता पार्टी के खराब प्रदर्शन पर अपनी रिपोर्ट पेश कर सकते हैं। साथ ही आगामी चुनावों को लेकर वह जमीनी स्तर पर किए जाने वाले कार्यों का ब्लूप्रिंट भी रख सकते हैं। इन तमाम कवायद के पीछे उनकी समीक्षा बैठक का बड़ा योगदान रहने वाला है। बावजूद इसके इन समीक्षा बैठक में सीनियर मंत्रियों और सहयोगियों के न आने का मामला गरमा गया है। तमाम तर्क के बाद भी यह सवाल अभी यूपी की राजनीति में खासा गरमाया हुआ है।
कई मंत्री रहे हैं नदारद
मंगलवार हुई समीक्षा बैठक में योगी सरकार के कई महत्वपूर्ण मंत्री नदारद रहे। अब इसको लेकर सवाल उठ रहा है कि क्या उनकी नाराजगी थी? या फिर सीएम योगी आदित्यनाथ कोई अलग रणनीति के साथ साथ ही समीक्षा बैठक कर रहे थे? सवाल यह भी है कि सीनियर नेताओं और डिप्टी सीएम तक के बैठक में न पहुंचने का कारण शीर्ष नेतृत्व से नाराजगी तो नही है। दरअसल, पिछले दिनों केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक सरकार पर सवाल उठा चुके हैं। ब्रजेश पाठक ने वाहन चेकिंग के नाम पर भाजपा कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने पर सवाल उठाया था। वहीं, केशव प्रसाद मौर्य संगठन को सरकार से बड़ा बताकर अगल ही बहस छेड़ चुके हैं।
सहयोगियों की रही अनुपस्थिति
सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंडलवार विधायक और मंत्रियों की बैठक की है। इसमें मंडलों में भाजपा और एनडीए के वोट में आई गिरावट के कारणों को टटोला गया है। हालांकि, इन बैठकों में सीनियर मंत्रियों की अनुपस्थिति सबसे बड़ा सवाल खड़े कर रही है। आजमगढ़ मंडल की समीक्षा बैठक में कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर नहीं पहुंचे। ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर घोसी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में थे और वह चुनाव जीतने में कामयाब नहीं रहे। वहीं, गोरखपुर मंडल की समीक्षा बैठक में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद की अनुपस्थिति रही। वह भी अपने बेटे को जिताने में कामयाब नहीं हुए।
संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर 2019 में संतकबीर नगर से जीत दर्ज करने में कामयाब हुए थे। हालांकि, इस बार चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसी प्रकार मिर्जापुर मंडल की समीक्षा बैठक में एनडीए की सहयोगी अपना दल सोनेलाल प्रमुख एवं केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल और योगी के कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल मौजूद नहीं रहे। अपना दल एस को गठबंधन के तहत दो सीटों पर चुनाव लड़ाया गया था। मिर्जापुर सीट पर अनुप्रिया पटेल जीत दर्ज करने में कामयाब रही, लेकिन रॉबर्ट्सगंज से अपना दल एस उम्मीदवार रिंकी कोल चुनाव हार गई।
अपने भी रहे हैं नदारद
सहयोगियों के अलावा भारतीय जनता पार्टी के दूसरे और तीसरे नंबर के नेता भी सीएम योगी की समीक्षा बैठक में मौजूद नहीं रहे। योगी सरकार में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य प्रयागराज मंडल की समीक्षा बैठक से गायब रहे। केशव मौर्य को प्रयागराज क्षेत्र में प्रभावी नेता के रूप में माना जाता है। हालांकि, सिराथू सीट से यूपी चुनाव 2022 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। समाजवादी पार्टी के टिकट पर उतरी पल्लवी पटेल ने उन्हें हराया था। इलाहाबाद क्षेत्र में लोकसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ा।
वहीं, लखनऊ मंडल की समीक्षा बैठक से दूसरे डिप्टी सीएम बृजेश पाठक गायब रहे। लखनऊ के बगल की मोहनलालगंज लोकसभा सीट बीजेपी हार गई है। बृजेश पाठक को इस क्षेत्र में प्रभावी माना जाता है। ऐसे में माना जा रहा है कि जो नेता अनुपस्थित रहे, उसके पीछे की वजह उनके प्रभाव इलाकों में कहीं भाजपा को मिली करारी हार तो नहीं रही। यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है।