बिहार में जेडीयू के बाद अब कांग्रेस ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए कानून बनाने का दबाव सरकार पर बनाना शुरू कर दिया है। कांग्रेस का कहना है कि एससी, एसटी और अन्य पिछड़ी जातियों को आरक्षण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित किए गए 50 फीसदी की सीमा को बढ़ाने की जरूरत है और इसके लिए संसद में कानून बनाना ही रास्ता है। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि संसद के अगले सत्र में विधेयक लाया जाए और उससे पहले पीएम अपना रुख स्पष्ट करें।
दो दिन पहले नई दिल्ली में जेडीयू कार्यकारिणी की बैठक में भी एक प्रस्ताव पास किया गया था जिसमें केंद्र सरकार से बिहार के आरक्षण बढ़ाने वाले कानून को संविधान की नौवीं सूची में शामिल करने की बात कही गई थी। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि आरक्षण को 50 फीसदी की सीमा से आगे बढ़ाने के लिए न्यायिक समीक्षा की जरूरत है।
रविवार को सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा, आखिर बिहार में बीजेपी-जेडीयू की गठबंधन सरकार शांत क्यों है। उनका कहना है कि 50 फीसदी ज्यादा के आरक्षण वाले कानून को नौवीं सूची में रखना विकल्प नहीं है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के 2007 के फैसले के मुताबिक इस तरह के मामले भी न्यायिक समीक्षा का विषय हैं। उन्होंने कहा कि संविधान में 50 फीसदी आरक्षण की सीमा अनिवार्य नहीं की गई थी। यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हुआ है। ऐसे में केवल संविधान में संशोधन करना ही उपाय है और इसका वादा कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में किया था।
रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि इसपर उनका क्या रुख है। हमारी मांग यही है कि अगले सत्र में विधेयक लाया जाना चाहिए। वहीं जेडीयू को भी केवल प्रस्ताव पारित करने तक सीमित नहीं रहना चाहिए। बता दें कि लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान कांग्रेस ने संविधान में बदलाव को बड़ा मुद्दा बनाया था। कांग्रेस का कहना था कि अगर एनडीए की सरकार बनती है तो वह संविधान को बदल देगी और आरक्षण ले लेगी। वहीं अब आरक्षण के लिए कांग्रेस खुध संविधान संशोधन विधेयक लाने की मांग कर रही है।