राम मंदिर की लहर, मोदी की ताबड़तोड़ रैली, फिर भी ढाक के तीन पात… भाजपा को झटका क्यों हैं यूपी के एग्जिट पोल

 

लखनऊः उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान समाप्त हो गया है। इसके साथ ही तमाम एजेंसियों के एग्जिट पोल भी सामने आने लगे हैं। तकरीबन सभी एग्जिट पोल्स ये अनुमान लगा रहे हैं कि देश में एक बार फिर से मोदी सरकार बनने जा रही है। हालांकि, बीजेपी के नारे के मुताबिक, एनडीए ज्यादातर सर्वे में 400 का आंकड़ा पार नहीं कर पा रहा है लेकिन फिर वह पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने की स्थिति में है। अपने 400 पार के टारगेट में उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 80 में से 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था। इसके लिए पार्टी की ओर से पूरी जोर आजमाइश की गई थी। जयंत चौधरी के साथ गठबंधन हो या फिर ओपी राजभर के साथ दोस्ती। बीजेपी देश के सबसे बड़े राज्य में क्लीन स्वीप के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी।

 

वेस्ट यूपी को साधने के लिए चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर पहले जयंत चौधरी को अपने पाले में जोड़ा गया। इससे पहले राजभर को मंत्री बनाकर पूर्वांचल में गैर यादव ओबीसी वोट भी साधने की कोशिश की गई। हर सीट पर काफी मंथन के बाद ही उम्मीदवार घोषित किए गए। जिन सीटों के प्रत्याशियों से नुकसान हो सकता था, उनसे दूरी बनाई गई। बृजभूषण शरण सिंह तक इस मामले में अपवाद नहीं रहे।

इतना ही नहीं, राम मंदिर को लेकर भी प्रदेश में जबर्दस्त लहर बनाने की कोशिश की गई। जनवरी में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद दो महीने तक बारी-बारी से भाजपा की राज्य सरकारों के मंत्रिमंडल के साथ-साथ तमाम वीआईपी लोगों का अयोध्या जाने का सिलसिला जारी रहा। पूरी कवायद इसलिए थी कि राज्य में चुनाव तक राम मंदिर का मुद्दा एक मिनट के लिए भी ठंडा न पड़ने पाए। इन सबके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय तक प्रदेश में ही डेरा डाले रहे। यूपी में मेरठ से लेकर मऊ तक उन्होंने कुल 29 चुनावी कार्यक्रमों में शिरकत की। मोदी ने प्रदेश में कुल 22 रैलियां, 5 रोड शो और 2 सम्मेलनों में हिस्सा लिया।

इन सबमें भाजपा की कोशिश थी कि इस बार उत्तर प्रदेश में 80 की 80 सीटों पर कमल खिलाना है। पार्टी के नेता भी जोर-शोर से कहते रहे कि विपक्ष को यूपी में एक भी सीट नहीं मिलने जा रही है लेकिन एग्जिट पोल पर नजर डालें तो नतीजा पिछले चुनाव से ज्यादा अलग नहीं दिख रहा है। राम मंदिर वाले प्रदेश में एग्जिट पोल्स भाजपा को इस साल 62 से लेकर 74 सीटें तक दे रहे हैं लेकिन ये वह करिश्मा नहीं है जो भाजपा उत्तर प्रदेश में करना चाहती थी। साल 2019 में भाजपा ने 78 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 62 पर जीत दर्ज की थी। विपक्षी दलों को कुल 18 सीटें मिली थीं। इस बार भी कमोबेश वही स्थिति नजर आ रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राम मंदिर लहर का फायदा भाजपा को इस चुनाव में मिला है या नहीं? हालांकि, ये असल नतीजे नहीं हैं और 4 जून को घोषित होने वाले परिणाम इन आंकड़ों से अलग हो सकते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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