PM तैयार कर रहे थे सांप्रदायिक पिच, हमने खेलने से ही इनकार कर दिया; चुनाव के 5 फेज बाद क्यों बोली कांग्रेस

Lok Sabha Election: कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि पूरे लोकसभा चुनाव के दौरान ध्रुवीकरण में जुटे रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘‘सांप्रदायिक पिच’’ तैयार कर रहे थे, लेकिन उसने उस पिच पर खेलने से इनकार कर दिया और अपने ‘पांच न्याय’ के एजेंडे को आगे बढ़ाया। पार्टी महासचिव जयराम रमेश का यह हमला ‘पीटीआई वीडियो’ के साथ एक साक्षात्कार में मोदी की उस टिप्पणी पर आया, जिसमें प्रधानमंत्री ने कहा था कि उन्होंने अल्पसंख्यकों के खिलाफ कभी एक शब्द भी नहीं बोला और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) केवल आज ही नहीं, बल्कि कभी भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं रही है।

 

रमेश ने दावा किया कि 19 अप्रैल से प्रधानमंत्री मोदी का पूरा अभियान हिंदू-मुस्लिम बयानबाजी के साथ ‘‘सांप्रदायिकता’’ पर आधारित रहा है और ‘‘विकसित भारत, मोदी की गारंटी, या किसानों, युवाओं, महिलाओं, श्रमिकों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के मुद्दों की कोई बात नहीं हुई है।’’ प्रधानमंत्री की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर रमेश ने कहा, ‘‘वह कैसी बेकार की बात कर रहे हैं। प्रधानमंत्री तेजी से अपनी याददाश्त खो रहे हैं। उन्होंने कभी भी सच्चाई का पालन नहीं किया। वह ‘झूठजीवी’ हैं, लेकिन अब वह आज जो कहते हैं, वो कल भूल जाते हैं और कहते हैं कि उन्होंने ऐसा कभी नहीं कहा।’’

 

उनका कहना था, ‘‘वह निश्चित तौर पर कांग्रेस पार्टी पर हमला करने के साथ ही हिंदू-मुस्लिम की बात करते रहे हैं।’’ रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के घोषणा-पत्र पर ‘मुस्लिम लीग’ की छाप, मंगलसूत्र संबंधी टिप्पणी और ‘कांग्रेस धर्म के आधार पर आरक्षण देगी’ जैसे आरोपों को लेकर मुद्दा उठाया था, लेकिन ये सभी ‘‘फर्जी बयान’’ थे।

 

कांग्रेस महासचिव ने दावा किया, ‘‘यह वही प्रधानमंत्री हैं, जिनसे कुछ साल पहले पूछा गया था कि क्या उन्हें गुजरात दंगों के दौरान हुई हत्याओं पर कोई पछतावा है, तो उन्होंने कहा था कि जब एक पिल्ला भी कार के नीचे आ जाता है, तो बुरा लगता है। वह इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं।’’ कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि 19 अप्रैल से प्रधानमंत्री का पूरा अभियान ‘‘सांप्रदायिकीकरण और ध्रुवीकरण’’ पर आधारित रहा है।

 

उन्होंने कहा, ‘‘पूरे समय हिंदू-मुस्लिम बयानबाजी की जा रही है, विकसित भारत की कोई बात नहीं, मोदी की गारंटी की कोई बात नहीं, किसानों, युवाओं, महिलाओं, श्रमिकों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के मुद्दों की कोई बात नहीं… यह एक सांप्रदायिक एजेंडा चलाया जा रहा है।’’ रमेश ने दावा किया,‘‘प्रधानमंत्री ‘सांप्रदायिक पिच’’ ​​तैयार कर रहे हैं और चाहते हैं कि कांग्रेस उस पिच पर खेले, लेकिन ‘‘हमने उस पिच पर खेलने से इनकार कर दिया।’’

 

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हमने ऐसा करने से इनकार कर दिया है क्योंकि हमारा एजेंडा ‘पांच न्याय’ – युवा न्याय, किसान न्याय, श्रमिक न्याय, नारी न्याय और हिस्सेदारी न्याय तथा 25 गारंटी का है।’’ रमेश ने कहा कि 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाया गया था तथा इससे एक दिन पहले असेंबली और बी आर आंबेडकर ने भाषण दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के बिना संविधान संभव नहीं होता।

 

उनके मुताबिक, संविधान को अपनाने के चार दिन बाद आरएसएस का प्रकाशन ‘ऑर्गनाइजर’ कहता है कि संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं है क्योंकि इसमें कोई ‘मनुवादी मूल्य’ नहीं हैं। इसके बाद एम एस गोलवलकर, दीन दयाल उपाध्याय, मोहन भागवत, बिबेक देबरॉय, कई प्रवक्ता इस संविधान पर हमला करते हुए कहते हैं कि इस संविधान का समय खत्म हो गया है।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि संविधान एक लचीला दस्तावेज़ है जिसमें संशोधन किया जा सकता है लेकिन दस्तावेज़ को पूरी तरह से खत्म करना दूसरी बात है।

 

रमेश ने दावा किया कि जब अटल बिहारी बाजपेयी प्रधानमंत्री बने तो ‘‘लालकृष्ण आडवाणी एंड कंपनी’’ संविधान की मूल संरचना की समीक्षा के लिए एक समिति चाहती थी। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने समिति का नेतृत्व करने के लिए एक बहुत ही प्रतिष्ठित पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएमएनआर वेंकटचलैया को नियुक्त किया, लेकिन उन्होंने कहा कि मैं इस संविधान की मूल संरचना को खत्म करने में पक्ष नहीं बनूंगा।’’

 

रमेश का कहना था कि इसके बाद भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को समिति का स्वरूप बदलकर ऐसी समिति बनाना पड़ी जो संविधान के कामकाज की समीक्षा करने के लिए थी। उन्होंने कहा, ‘‘हमने (कांग्रेस) निश्चित रूप से उस आयोग का बहिष्कार किया। इसलिए यह हमेशा से भाजपा और आरएसएस का उद्देश्य रहा है। वे बीआर आंबेडकर के संविधान के विचार के प्रति बेहद असहज और शत्रुतापूर्ण हैं क्योंकि इस संविधान का एक स्तंभ सामाजिक न्याय है और सामाजिक न्याय का रास्ता आरक्षण से होकर गुजरता है।’’

 

रमेश ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री मोदी जाति जनगणना के मुद्दे पर “चुप” क्यों हैं? उन्होंने प्रधानमंत्री से अपना रुख स्पष्ट करने को भी कहा कि क्या वह एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हटा देंगे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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