पाकिस्तान का कॉन्सुलर एक्सेस से इनकार, 4 साल पहले जासूसी के आरोप में 2 भारतीयों को किया था अरेस्ट

पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार दो भारतीयों तक पहुंचे कॉन्सुलर एक्सेस की जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है. इन दोनों भारतीयों को साल 2020 में गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें अब मुलाकात के लिए भारत को कॉन्सुलर एक्सेस दिया गया. फॉरेन ऑफिस स्पोकपर्सन ने वीकली ब्रीफिंग के दौरान इसकी जानकारी देने से मना कर दिया.

 

साल 29 के फिरोज अहमद लोन और 24 साल के नूर मुहम्मद वानी को साल 2020 में जासूसी के आरोप लगाते हुए इन्हें गिलगित-बाल्टिस्तान में गिरफ्तार किया गया था. दोनों ही आरोपी जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं. इन दोनों ने हाल ही में इंडियन डिप्लोमेट से मुलाकात की, जिसके एक्सेस के बारे में पूछने पर इनकार करते हुए कहा गया कि ऐसी पहुंच समय-समय पर प्रदान की गई थी.

 

27 मई को आदियाला जेल में हुई मुलाकात

इन दोनों कथित आरोपियों को हाल ही में मुलाकात के लिए भारत को कॉन्सुलर एक्सेस दिया गया था, जिनसे इनकी मुलाकात सोमवार यानी 27 मई को हुई. राजनयिक सूत्रों की जानकारी के अनुसार, इस्लामाबाद में इंडियन हाई कमीशन के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने दोनों कैदियों से मुलाकात की, इस दौरान गृह मंत्रालय के अधिकारी भी मौजूद थे. यह मुलाकात अदियाला जेल में की गई थी.

 

काउंसलर एक्सेस में जानकारी देने से किया इनकार

फॉरेन ऑफिस स्पोकपर्सन मुमताज जहरा बलूच ने वीकली ब्रीफिंग में इस बारे में बात करने और इसका डीटेल देने से इनकार कर दिया. उनसे ब्रीफिंग के दौरान गिलगित-बाल्टिस्तान में कथित जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किए गए दो भारतीयों को कथित कॉन्सुलर एक्सेस के बारे में पूछा गया, जिस पर उन्होंने इनकार करते हुए कहा कि मैं इस तरह की बातचीत का हिस्सा नहीं बनुंगी. हालांकि, पाकिस्तान समय-समय पर इंडियन हाई कमीशन के लिए अपने नागरिकों के लिए कॉन्सुलर एक्सेस की व्यवस्था करता है. कॉन्सुलर एक्सेस का मतलब है कि जिस देश का कैदी है उस देश के राजनयिक या अधिकारी को जेल में बंद कैदी से मिलने की इजाजत दी जाए.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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