नौतनवा (आनन्द श्रीवास्तव): लोक आस्था और विश्वास का महापर्व छठ, अपने तीसरे दिन गुरुवार को शहर और गांवों में उत्साह और भक्ति के माहौल के साथ मनाया गया। “कांच ही बांस के बहंगियां, बहंगी लचकत जाए” जैसे छठ गीतों की गूंज के बीच महिलाओं का समूह जब सिर पर दउरा उठाए छठ घाट की ओर बढ़ा, तो नजारा देखते ही बनता था। छठ पर्व के इस अवसर पर छठ घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा।
गुरुवार की दोपहर बाद से ही छठ घाटों की ओर व्रती महिलाओं और उनके परिजनों का कारवां चल पड़ा। पारंपरिक परिधानों में सजी महिलाओं ने अपने सिर पर दउरा रखकर घाट की ओर प्रस्थान किया। नौतनवा नगर के साथ-साथ कस्बों और गांवों में भी छठ पर्व की धूम रही। जैसे-जैसे महिलाएं और उनके परिवारजन घाटों की ओर बढ़ते गए, छठ गीतों की मिठास से वातावरण भक्ति मय हो उठा। चारों ओर छठ मइया के गीत गूंजते रहे, जिनकी धुन पर लोग स्वतः ही इस महापर्व में शामिल होने घाटों की ओर बढ़ते चले गए।
घाटों पर पहुंचकर व्रती महिलाओं ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना की। सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए व्रती महिलाएं अस्ताचलगामी सूर्य के सामने अपनी वेदी सजाकर पूजा में लीन हो गईं। छठ मइया के गीतों के बीच बजते बैंडबाजों ने माहौल को और अधिक भव्य बना दिया। बैंडबाजों के साथ घाटों पर व्रतियों के पहुंचने से वहां का दृश्य मनमोहक हो गया।
शहर और गांवों के छठ घाटों को भव्य रूप से सजाया गया था, जहां सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए थे। महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मियों का दल तैनात रहा, जो घाटों पर शांति व्यवस्था बनाए रखने में जुटा रहा। माइक से अनाउंसमेंट के जरिए लोगों को सजग रहने की हिदायत भी दी जाती रही।
व्रती महिलाएं अपने परिवार के सदस्यों के साथ घाटों पर पहुंचकर अपनी वेदी के सामने पूजा की तैयारियों में लगी रहीं। घाटों पर दीप, नारियल, फलों और अन्य पूजन सामग्रियों से सजावट की गई थी। छठ पर्व के प्रति लोगों की आस्था और उत्साह के साथ, भक्ति और उल्लास का यह नजारा शहर से लेकर देहात तक देखने को मिला।
छठ पर्व का यह पवित्र आयोजन सभी के दिलों में एक नई उमंग और भक्ति का संचार करता है। छठ मइया की महिमा और सूर्य देव की आराधना में लीन इस महापर्व का उल्लास छठ घाटों पर देखने लायक था, जहाँ भक्ति, आस्था, और सामूहिकता का अद्भुत संगम देखने को मिला।