नई दिल्लीः दिल्ली शराब घोटाले में फंसे पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली। शीर्ष अदालत ने सीबीआई और ईडी के मामलों में AAP के पूर्व मंत्री को जमानत देने से इनकार कर दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने सिसोदिया के मामले को जस्टिस अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की वेकेशन बेंच के सामने रखते हुए कहा कि मामले में सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है क्योंकि ईडी और सीबीआई आरोपियों के खिलाफ कई सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर कर रहे हैं, जिनकी संख्या अब तक 47 हो गई है।
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कोर्ट की बेंच ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने तब मेहता से पूछा कि ईडी अपनी अंतिम शिकायत कब दायर करेगी, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि यह 3 जुलाई तक की जाएगी। पीठ ने सिसोदिया की जमानत याचिका का निपटारा करते हुए आप पदाधिकारी को अंतिम शिकायत दर्ज होने के बाद उसी तरह की राहत की मांग करने की स्वतंत्रता दी। सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया की पहले की जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि अभियोजन पक्ष द्वारा दिए गए आश्वासन के मद्देनजर कि वे अगले छह से आठ महीने के भीतर उचित कदम उठाकर मुकदमे को समाप्त कर देंगे। कोर्ट ने कहा कि हम अपीलार्थी मनीष सिसोदिया को परिस्थितियों में बदलाव के मामले में जमानत के लिए एक नया आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता देते हैं अगर मुकदमा लंबा होता है और अगले तीन महीनों में धीमी गति से आगे बढ़ता है। सिंघवी ने तर्क दिया था कि मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है।
वकील जोहेब हुसैन के साथ सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 21 मई को सिसोदिया की जमानत याचिका की जांच की थी और इसे खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि देरी न तो निचली अदालत और न ही जांच एजेंसी के कारण है, बल्कि आप संयोजक केजरीवाल के कारण है। मेहता ने कहा कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी है, इसलिए हालात में कोई बदलाव नहीं आया है।