महराजगंज: जमीन विवाद में पीड़ित किसान ने लगाई मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार

महराजगंज: जमीन विवाद में पीड़ित किसान ने लगाई मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार

महराजगंज, (आनन्द श्रीवास्तव): जिले के नौतनवा तहसील अंतर्गत धौरहरा गांव के निवासी केशव ने अपनी पुश्तैनी जमीन पर कब्जे और स्थानीय प्रशासन की उदासीनता के खिलाफ मुख्यमंत्री से न्याय की अपील की है। पीड़ित किसान ने आरोप लगाया है कि उनके छोटे भाई संतलाल और उसके पुत्र बुधेसर ने उनकी जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया है। इस विवाद में स्थानीय प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता के कारण केशव न्याय के लिए दर-दर भटक रहा हैं।

केशव का कहना है कि धौरहरा गांव में स्थित उनकी जमीन में उनका एक-तिहाई हिस्सा है। लेकिन उनके छोटे भाई संतलाल और उसके पुत्र बुधेसर ने इस जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब भी उन्होंने अपने हिस्से की जमीन पर हक जताने की कोशिश की, तो दोनों ने उनके साथ मारपीट और बदसलूकी की।

केशव ने बताया कि उन्होंने इस मामले को लेकर तहसील दिवस और स्थानीय पुलिस थाने में कई बार लिखित शिकायत दर्ज कराई। लेकिन अब तक न तो पुलिस ने कोई कार्रवाई की और न ही प्रशासन ने उनके हिस्से की जमीन वापस दिलाने का प्रयास किया। केशव ने आरोप लगाया कि संतलाल और बुधेसर के राजनीतिक संपर्कों के कारण प्रशासन और पुलिस उनके पक्ष में झुकी हुई है।

केशव ने कहा कि जमीन पर कब्जे के कारण वे खेती-बाड़ी नहीं कर पा रहे हैं, जिससे उनके परिवार के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने बताया कि वह भूखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं और अपने अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं।

केशव ने आरोप लगाया कि संतलाल और बुधेसर अपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं और उन्हें स्थानीय राजनीतिक नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। इस कारण से स्थानीय प्रशासन और पुलिस उनकी शिकायतों को नजरअंदाज कर रही है।

पीड़ित ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि उनकी जमीन पर कब्जा करने वाले संतलाल और बुधेसर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच कर दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी उचित कार्यवाही की मांग की है। साथ ही, उन्होंने अपने हिस्से की जमीन पर कब्जा दिलाने और अपनी आजीविका पुनः शुरू करने में मदद की गुहार लगाई है।

केशव का यह मामला प्रशासन की निष्क्रियता और दबंगों के संरक्षण का गंभीर उदाहरण है। यह सवाल खड़े करता है कि गरीब और हाशिए पर पड़े किसानों को उनके अधिकार दिलाने में प्रशासन क्यों असफल हो रहा है।

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