महराजगंज (आसिफ नवाज): भारत व नेपाल की खुली सीमा पर इन दिनों तस्करों को खुली छूट मिल गयी है. पुलिस और एसएसबी की सख्त निगरानी के बावजूद तस्कर सीमावर्ती क्षेत्रों के गोदाम में चावल डंप कर रहे है। मौका देखते ही सरहद पार कर इससे मोटा मुनाफा कमा तस्कर मालामाल हो रहे हैं। चावल की बोरिया नदी, नालो व पगडंडीयो से साइकिल तथा मोटरसाइकिल के जरिये सरहद पार कर दिया जाता है। प्रत्येक दिन ग्राम हरदी डाली, खनुआ, बैरिहवा, सुण्डी से 5000 से 6000 बोरी चावल सरहद पार हो रहा है. इस कारोबार से चावल के भारतीय रेट के अनुसार प्रतिदिन करोड़ो से ऊपर रुपये का वार न्यारा हो रहा है।
सूत्रों की मानें तो सीमावर्ती इलाकों में पिकअप व साइकिल तथा मोटरसाइकिल से चावल सरहद पार हो रहा है। प्रत्येक दिन हरदी डाली, खनुआ, बैरिहवा, सुण्डी से 5000 से 6000 बोरी चावल सरहद पार हो रहा है। नेपाल में चावल निर्यात पर भारत सरकार द्वारा रोक लगाए जाने के बाद चावल की तस्करी बढ़ गई है। नेपाल में चावल के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में तस्करों ने भारी मुनाफा कमाने के लिए अवैध तरीके से चावल को नेपाल भेजना शुरू कर दिया है। जनपद से सटी नेपाल सीमा तो तस्करों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है।
नीचे दिए विडियो में देखिए कैसे खुलेआम हो रही चावल की तस्करी-
भारत नेपाल सीमा पर पुलिस और एसएसबी की सख्त निगरानी का दावा तो करती है लेकिन यह दावा तो महज एक दिखावा है ठीक एसएसबी कैम्प के पीछे की ये तस्वीरे है . तस्करी का खेल जिस तरह से चल रहा है इस खेल में सबका रेट फिक्स है। तस्करी की ये गतिविधियां अपने आप ये बया रही है कि तस्करी पर लगाम लगाने वाले उनके साथ खड़े हैं। आप इन तस्वीरों में साफ़ देख सकते है जो पुलिस और एसएसबी की सख्त निगरानी के दावो की पोल खोल रहा है. किस तरह तस्कर खुलेआम चावल की बोरिया साइकिल और मोटरसाइकिल से भारत से नेपाल ले जा रहे है साथ ही कितने लोग नेपाल से भारत तथा भारत से नेपाल बेरोकटोक आ जा रहे है और निगरानी करने वाला कोई नहीं है.
नेपाल के निकट भारतीय सीमा से लगे गांव में चावल स्टाक किया जाता है, फिर इसे कैरियरो के माध्यम से नेपाल पंहुचा दिया जाता हैं। सीमावर्ती गांव हरदी डाली, खनुआ, बैरिहवा, सुण्डी के रास्ते से चावल आसानी से नदी, नालो व पगडंडियों के रास्ते नेपाल पहुंचा दिया जा रहा हैं।
नेपाल और भारत में नियम बदलते ही तस्करी शुरू हो जाती है। जनपद में चावल तस्कर बहुत सक्रिय हैं। वे बहुत ही गोपनीय तरीके से काम करते हैं। न बिल और न कोई कागजात, सब कुछ केवल मुंहजबानी किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो मिलों से असली बिल पर पिकअप से सिंगल मार्ग से चावल सीमावर्ती गांव पहुंच रहा है। ठिकाने पर पहुंचने के बाद बिल फाड़ दिया जाता है। मिल मालिक अनिवार्य ई-वेबिल नहीं बनाते। इसके बाद फिर उसी बिल पर दिन भर सीमावर्ती गांव में चावल को गोदाम में डंप कर साइकिल तथा मोटरसाइकिल से नेपाल पहुंचा रहे हैं।
नेपाल में चावल की मांग बढ़ने के कारण भारत में चावल का मूल्य बढ़ गया है। पहले मोटा चावल 18 से 20 रुपये किलो मिलता था, अब 30 से 35 रुपये किलो मिल रहा है। चावल तस्करी में अधिक मुनाफे में भारत में 25 रुपये वाला चावल नेपाल पहुंचते ही 62 रुपये किलो हो जाता है।