महराजगंज: भारत-नेपाल सीमा से खुलेआम हो रही चीनी की तस्करी, पुलिस, एसएसबी और कस्टम तस्करी रोकने में नाकाम

महराजगंज: भारत-नेपाल सीमा से खुलेआम हो रही चीनी की तस्करी, पुलिस, एसएसबी और कस्टम तस्करी रोकने में नाकाम

महाराजगंज (प्रशांत त्रिपाठी): उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में भारत-नेपाल सीमा पर बड़े पैमाने पर चीनी की तस्करी हो रही है। सीमा पर तैनात सुरक्षाबलों और अन्य एजेंसियों की नाक के नीचे से रोजाना सैकड़ों टैम्पो पर लदी चीनी की बोरियों को साइकिलों के जरिए नेपाल पहुंचाया जा रहा है। सबसे ताजुब की बात तो ये है कि चीनी लदी ये टैम्पू नौतनवा तहसील के सामने से होकर गुजरती है और इसी तहसील में नौतनवा एसडीएम, नौतनवा तहसीलदार,  नौतनवा क्षेत्राधिकारी का ऑफिस भी है, लेकिन किसी के पास फुर्सत ही नहीं कि इस मामले पर ध्यान दे.

 

भारत-नेपाल सीमा से खुलेआम हो रही चीनी की तस्करी

 

महाराजगंज जनपद की 84 किलोमीटर लंबी खुली सीमा नेपाल से सटी हुई है। सीमावर्ती इलाके का फायदा उठाकर तस्कर पगडंडी रास्तों का उपयोग कर भारत से नेपाल तक अवैध रूप से चीनी पहुंचा रहे हैं। ताजा मामला सोनौली थाना क्षेत्र के ग्राम केवटलिया का है, जहां टैम्पो पर चीनी लादकर उसे गोदामों में उतारा जाता है। इसके बाद चार से पांच बोरी चीनी साइकिलों पर लादकर नेपाल की सीमा में प्रवेश कराया जाता है।

नेपाल में चीनी की कीमत भारत के मुकाबले अधिक होने के कारण इस अवैध धंधे को तस्करों द्वारा बड़े पैमाने पर अंजाम दिया जा रहा है। चीनी की बढ़ती कीमतों ने इसे एक लाभदायक व्यापार बना दिया है, जिससे तस्करी की घटनाओं में तेजी आई है। हालांकि, कस्टम, एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल), पुलिस, और अन्य सुरक्षा एजेंसियां सीमा पर तैनात होने के बावजूद इन गतिविधियों को रोकने में नाकाम साबित हो रही हैं।

सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल-

महाराजगंज जिले की सीमा पर सात थाने स्थित हैं, जिनमें नौतनवा, सोनौली, ठूठीबारी, बरगदवा, परसा मलिक, निचलौल, कोल्हुई और सोहगी बरवा शामिल हैं। यह सभी थाने नेपाल की सीमा से सटे हुए हैं। इन थानों की जिम्मेदारी में सैकड़ों किलोमीटर लंबी सीमा की निगरानी और तस्करी को रोकना शामिल है। इसके बावजूद सीमा पर नियमित रूप से खाद, मटर, कपड़ा, और अन्य वस्तुओं की तस्करी की खबरें सामने आती रहती हैं। इस समय चीनी की तस्करी जोरो पर है।

कस्टम, पुलिस और एसएसबी जैसे सुरक्षा बलों की उपस्थिति के बावजूद इस तरह की अवैध गतिविधियों का बेरोकटोक जारी रहना सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर विफलता को दर्शाता है। यह स्पष्ट करता है कि तस्करों को रोकने के लिए लगाए गए उपायों में खामियां हैं, ये खामिया किस-किस तरह की है ये अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।

हालांकि, प्रशासन ने तस्करी की इन गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए कई बार कार्रवाइयां की हैं, लेकिन बार-बार ऐसे मामलों का सामने आना यह साबित करता है कि मौजूदा प्रयास अपर्याप्त हैं। नेपाल के साथ खुली सीमा और पगडंडी रास्तों का फायदा उठाकर तस्कर आसानी से अपने अवैध धंधे को अंजाम दे रहे हैं।

भारत-नेपाल सीमा पर बढ़ती तस्करी न केवल सुरक्षा के लिए चुनौती है, बल्कि यह आर्थिक दृष्टि से भी गंभीर मुद्दा है। चीनी की तस्करी ने सुरक्षा एजेंसियों और प्रशासन की कार्यक्षमता पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इन तस्करों पर कैसे काबू पाता है और इस अवैध धंधे को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाता है।

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