महराजगंज: जिले में मौसम को देखते हुए रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई इस महीने के अंत में शुरू होने की उम्मीद है, जबकि नवंबर के दूसरे सप्ताह में बुवाई अपने चरम पर होगी। इसको ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने जिले में खाद की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कर ली है। जिले में उर्वरकों की बिक्री के लिए निजी और सहकारी दोनों क्षेत्रों में उर्वरक वितरण की व्यवस्था की गई है, ताकि किसानों को किसी प्रकार की कमी का सामना न करना पड़े।
उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित-
जिले में उर्वरकों की उपलब्धता पर डीएम अनुनय झा ने बताया कि महराजगंज में कुल 787 निजी उर्वरक प्रतिष्ठान सक्रिय हैं, जिनमें लगभग सभी पर उर्वरक उपलब्ध हैं। सहकारी क्षेत्र में भी 86 सहकारी समितियों में से 83 पर उर्वरक उपलब्ध करा दिया गया है, जबकि शेष तीन समितियों पर भी जल्द ही खाद उपलब्ध कराया जा रहा है।
उपलब्ध खाद का विवरण-
डीएम अनुनय झा ने बताया कि जिले में यूरिया 21498 एमटी, डीएपी 5648 एमटी, एमओपी 1125 एमटी और एनपीके 3403 एमटी उपलब्ध है। इसके अलावा, सहकारी क्षेत्र में प्रीपोजीशनिंग योजना के तहत 3639 एमटी यूरिया, 1940 एमटी डीएपी, और 710 एमटी एनपीके पीसीएफ के बफर स्टॉक में रखा गया है। अक्टूबर माह में शासन द्वारा निर्धारित प्लान के अनुसार यूरिया 13650 एमटी, डीएपी 7850 एमटी, एनपीके 5000 एमटी और एमओपी 1250 एमटी की आपूर्ति की जानी है।
किसानों के लिए सहायता-
किसानों को उनकी जोत के अनुसार निर्धारित मात्रा और कीमत पर उर्वरक उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। डीएम ने बताया कि यूरिया उर्वरक का अधिकतम खुदरा बिक्री मूल्य 266.50 रुपये प्रति बैग (45 किग्रा) और डीएपी का 1350 रुपये प्रति बैग (50 किग्रा) निर्धारित है। किसानों की सहायता के लिए जिला कृषि अधिकारी कार्यालय में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है, जहां किसान कृषि संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए संपर्क कर सकते हैं।
किसान सहायता संपर्क नंबर:
– नियंत्रण कक्ष: 8381832756
– जिला कृषि अधिकारी, महराजगंज: 9452165778
– एआर कोऑपरेटिव: 8840238718
तस्करी रोकने के लिए विशेष कदम-
सीमावर्ती क्षेत्रों में उर्वरकों की तस्करी पर रोक लगाने के लिए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं। संबंधित एसडीएम और अन्य अधिकारियों को संयुक्त रूप से नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो तस्करी पर प्रभावी रोकथाम सुनिश्चित करेंगे। तस्करी या कालाबाजारी की सूचना देने के लिए किसानों और स्थानीय लोगों को नोडल अधिकारियों से संपर्क करने के लिए प्रेरित किया गया है।