महराजगंज समाचार: भारत नेपाल बॉर्डर पर चीनी की हो रही तस्करी, एसएसबी और पुलिस तथा स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता से भारत सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का हो रहा नुकसान

प्रशांत त्रिपाठी की रिपोर्ट-

 

महराजगंज: भारत-नेपाल सीमा पर सोनौली थाना क्षेत्र के ग्राम केवटलिया, शेष फरेंदा, करमाहिया, खनुआ, हरदी डाली, कैथवलिया उर्फ़ बरगदही तथा नौतनवा थाना क्षेत्र के सुंडी, बैरिहवा के रास्ते से चीनी की तस्करी जमकर की जा रही है। रोजाना हजारो क्विंटल चीनी  तस्करी कर नेपाल पहुंचाई जा रही है। इन सीमावर्ती क्षेत्रो से रात में बड़े पैमाने में तस्करी हो रही है। नेपाल में चीनी की मांग बढ़ते ही तस्कर फायदा उठाने लगे हैं, जबकि चीनी, चावल, प्याज, कपड़ा सहित अन्य सामानों की तस्करी भी हो रही है। बॉर्डर पर हर दिन करोड़ो का सामान पार हो रहा है। भारत सरकार को इन अवैध गतिविधियों के कारण करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम केवटलिया, शेष फरेंदा, करमाहिया, खनुआ, हरदी डाली, कैथवलिया उर्फ़ बरगदही तथा सुंडी, बैरिहवा के रास्ते से दिन-रात चीनी की तस्करी की जा रही है। एसएसबी और पुलिस तथा स्थानीय प्रशासन इस तस्करी को रोकने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे हैं। तस्करी के खेल में इन सीमावर्ती क्षेत्रो के कुछ सफेदपोश लोग भी शामिल हैं, जो अपने प्रभाव से सुरक्षा एजेंसियों तथा स्थानीय प्रशासन  को चुप रहने पर मजबूर कर रहे हैं। जीएसटी की आड़ में बकायदा अपना गोदाम बना लिया है। प्रतिदिन ट्रकों से चीनी गोदाम में उतारे जा रहे हैं । इन गोदामों पर जिस तरह चीनी उतर रहा है उससे कोई आम आदमी भी सहज अनुमान लगा सकता है कि आखिर यह चीनी क्या भारतीय बाजारों में खपाया जा रहा है? 

 

 

इतने बड़े पैमाने पर चीनी की आवक हो और व्यापार कार्यालय एवं अन्य सुरक्षा एजेंसियां एवं स्थानीय प्रशासन आंख मुदे हुए हो, तो जाहिर सी बात है कि इनकी यह चौकसी महज दिखावा है। जमीनी स्तर पर तो तस्करी अपने शबाब पर है। ऐसा नहीं है कि सुरक्षा एजेंसीया धर पकड़ नहीं कर रही है, धड़-पकड़ तो कर रही है, लेकिन फिर भी तस्करी जिस तरह परवान चढ़ा हुआ है तो इसके पीछे आखिर किसका हाथ है।

 

सूत्र बताते हैं की तस्करी के इस धंधे में इन सीमावर्ती क्षेत्रो के कुछ सफेदपोश लोग भी संलिप्त है। इस नाते सुरक्षा एजेंसियों को तस्करी के इस चक्रव्यूह को भेदना काफी कठिन काम लगता है। सूत्र बताते हैं कि नौतनवा की तहसील रोड पर इन दिनों तस्करों ने जीएसटी की आड़ में अपना दो-चार गोदाम बना लिया है। वहीं पर चीनी, चावल, प्याज बाकायदा इकट्ठा किया जा रहा है और ऑटो एवं पिकअप के माध्यम से सीधे नेपाल पार कर दिया जा रहा है।

 

सूत्र बताते हैं कि इन दिनों केवटलिया, शेष फरेंदा, करमाहिया, खनुआ, हरदी डाली, कैथवलिया उर्फ़ बरगदही तथा सुंडी, बैरिहवा में सीमावर्ती क्षेत्रो के इन सफेदपोश तस्करों ने अपने गोदाम बनाये हुए है ज्यादातर गोदाम इनके घरो में बने हुए है.  इन गोदामों में ऑटो एवं पिकअप के माध्यम से चीनी उतरा जा रहा है। फिर समय मिलते ही नेपाल पंहुचा दिया जा रहा है.

इसके अलावा केवटलिया, शेष फरेंदा, करमाहिया, खनुआ, हरदी डाली, कैथवलिया उर्फ़ बरगदही तथा सुंडी, बैरिहवा के रास्ते तस्करों की चहल कदमी से 24 घंटे बोल-बज रहे हैं |

 

गौरतलब बात तो यह है कि नौतनवा के तहसील रोड पर स्थित गोदामों से जिस तरह चीनी की तस्करी हो रही है उस पर तो आम आदमी प्रशासनिक मिलीभगत की चर्चा करते थक नहीं रहें है। आम जनमानस में चर्चा हो रही है कि इसी तहसील रोड पर उपजिलाधिकारी एवं क्षेत्राधिकारी का कार्यालय भी है, पुलिस का आवागमन भी बना रहता है, फिर भी आखिर चीनी की तस्करी कैसे हो रही है?

 

जिस तरह चीनी की तस्करी हो रही है उसमें सीमावर्ती क्षेत्रो के कुछ सफेदपोश की भूमिका महत्वपूर्ण बताई जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों के लाख चौकसी के बाद तस्करी हो रही है तो यह एक बड़ा सवाल है कि आखिर इस पर लगाम क्यों नहीं लग रहा है।

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