महराजगंज समाचार: राम भरोसे चल रही भारत-नेपाल बॉर्डर की सुरक्षा, बेखौफ आसानी से आर-पार हो रहे तस्कर

आनन्द श्रीवास्तव की रिपोर्ट-

 

 

 

 

ग्रामीण सीमावर्ती क्षेत्रो में आधार कार्ड एवं वोटर आईडी कार्ड सही है या फर्जी चेक करने की कोई सुविधा नहीं-

 

7 से 8 सुरक्षा कर्मियों के सहारे की जा रही है ग्रामीण सीमावर्ती क्षेत्रो की निगरानी-

 

जीएसटी को ढाल बनाकर तस्कर लगा रहे है भारत सरकार को करोड़ो का चूना-

 

 

 

नौतनवा/महाराजगंज: दिन भर भारत-नेपाल सीमा का चक्कर लगाते हैं बिना नम्बर प्लेट के भारतीय एवं नेपाली मोटरसाइकिल कैरियर साथ ही बिना नंबर प्लेट के टैम्पू एवं पिकप से चावल, मटर, प्याज, चीनी,कपड़ा सीमा उस पार करने वाले इन वाहनों की गति इतनी तेज होती है अगर कोई इनके सामने पड़ जाए तो उसके चीथड़े उड़ जाएगे.

 

   

भारत-नेपाल की खुली सीमा तस्करों के लिए मुफीद साबित हो रही है। सीमा पर तैनात तमाम सुरक्षा एजेंसियां इन तस्करों पर लगाम लगाने में अक्षम दिखाई पड़ रही है. सीमा से सटे ग्रामीण इलाके सुंडी, बैरिहवा, डाली, खनुवा, शेख फरेंदा, केवटलीया,गनवरिया तस्करों के ट्रांजिट प्वाइंट बन गए है। सूत्र बताते है कि दिन-रात बेख़ौफ़ तस्करों के कैरियर सीमा के इस पार से उस पार करोड़ो का माल ले जाते हैं और नेपाल से जब भारत वापस आते है तो अपने साथ क्या-क्या लाते है  कोई देखने वाला नहीं है और तो और सैकड़ो से ऊपर नेपाली तस्करों का गैंग फर्जी आधार कार्ड एवं फर्जी वोटर आईडी कार्ड के सहारे अपने आपको भारतीय बताकर भारतीय सीमा में प्रवेश कर जाता है उसकी पहचान सही है या गलत ये चेक करने वाला कोई नहीं है. ऐसे ही राम भरोसे चल रही है भारत-नेपाल बॉर्डर की सुरक्षा व्यवस्था.

 

 

कहने को तो सीमा पर पुलिस, कस्टम समेत अन्य कई सुरक्षा एजेंसियां तैनात हैं, लेकिन इन सभी की नाक के नीचे तस्करी का धंधा दिन दूना रात चौगुना होता जा रहा है। सूत्र बताते है कि एक चौकीदार नौतनवा बाईपास से सटे सुंडी रोड पर सुबह बैठ जाता है और तस्करी के लिए जाने वाले वाहनों पर लदे चावल, प्याज, चीनी, मटर के बोरा गिनने का काम करता है. किस तस्कर का कितना बोरा जा रहा है सब एक डायरी में नोट होता है. शाम होते ही आस-पास की किसी चाय की दुकान पर या पान की दुकान पर तस्करों की तरफ से एक आदमी आता है चौकीदार साहब को बुलाता है. चौकीदार साहब अपनी डायरी निकालते है 40 रुपये नेपाली बोरी के हिसाब से अपना दक्षिणा लेते है फिर चौकीदार साहब निकल लेते है. अब इस दक्षिणा में किस-किस का हिस्सा लगता है कहा-कहा जाता है भगवान ही जाने.

 

 

सीमा पर इतनी सुरक्षा व्यवस्था होने के बाद भी तस्करी व तस्करों पर शिकंजा क्यों नहीं कस पा रहा है। यह बात लोगों की समझ से परे हैं। भारत-नेपाल सीमा का सुंडी, बैरिहवा, डाली, खनुवा, शेख फरेंदा, केवटलीया,गनवरिया ये ग्रामीण इलाके नेपाल सीमा से सटे हुए है। यह इलाके तस्करों का मुख्य ठिकाना बना हुआ है। सीमा के रास्ते बड़े पैमाने पर चलने वाले कैरियर प्रतिदिन बिना नम्बर प्लेट के भारतीय एवं नेपाली मोटरसाइकिल, टैम्पू एवं पिकप से तस्करी का सामान इस पार से उस पार लाते ले जाते दिखाई पड़ते हैं, लेकिन सुरक्षाकर्मियों को कैरियर क्यों नहीं दिखाई देते हैं। पूछने पर कहते है कि है हमारी संख्या कम है हम 7-8 लोग है ये रास्ता देखे कि वह रास्ता देखे. अगर कोई पकड़ा भी जाता है तो प्याज के लिए कच्चा रसीद और चावल के लिए इवे बिल या फर्म का कच्चा बिल दिखा कर निकल जाता है.अगर कोई सुरक्षाकर्मी इन बिलों को लेकर थोड़ा सख्ती करता है तो ये तस्कर उससे भिड़ने को भी तैयार हो जाते है. अब ये कोई चेक करने वाला नहीं है कि ये इवे बिल सही है कि नहीं. सूत्र बताते है कि कुछ तस्कर तो हर तरह की बिल की गड्डी छपवा कर रखे है जैसी जरुरत वैसा बिल तस्करी के सामान के साथ रख कर चलते है. कभी कभार अगर कोई सही बिलिग़ की भी जाती है तो उसी बिल दिखा कर दिन भर ढुलाई होती रहती है.

 

जीएसटी को ढाल बनाकर तस्कर देते है चकमा-

सूत्र बताते है कि नौतनवा नगर के कुछ फर्मो द्वारा चीनी, चावल, मटर की तस्करी के लिए  सीमावर्ती क्षेत्रो के गाँव सुंडी, बैरिहवा, डाली, खनुवा, शेख फरेंदा, केवटलीया,गनवरिया में कुछ लोगो के नाम से जीएसटी फर्म पंजीकृत करवा दिया गया है. इन सीमावर्ती ग्रामीण क्षेत्रो में पंजीकृत किये गये फर्मो को आप खोजेगे तो उनके नाम की दुकान मिलेगी ही नहीं. उन फर्मो के मालिक मिलेगे तो अपने घरो पर जहा इनके बड़े-बड़े गोदाम मिलेगे या तो चौराहे की किसी दुकान पर वही आस-पास इनके किराये के गुप्त गोदाम होते है. नौतनवा नगर के फर्मो द्वारा इन सीमावर्ती ग्रामीण क्षेत्रो में पंजीकृत कराये गये फर्मो के नाम पर चावल, चीनी, मटर का इवे बिल काटते है. ये माल जैसे सीमा पार हो जाते है वैसे नौतनवा नगर के ये फर्म इस इवे बिल को कैंसल करा देते है. इस तरह से नौतनवा नगर के ये फर्म और सीमावर्ती ग्रामीण क्षेत्रो के फर्म दोनों ही मिलकर एक क्षेत्र से भारत सरकार को करोड़ो का चूना जीएसटी को ढाल बनाकर लागा रहे है. 

 

एक उदाहरण से समझिये इस खेल को-

आप इस खेल को एक उदाहरण के तौर पर समझिये नौतनवा नगर के कुछ फर्मो द्वारा ग्रामीण क्षेत्रो में पंजीकृत कराये गये फर्मो के नाम पर एक-एक हजार बोरी चावल या चीनी भेजा तो मात्र दो दिन में इन सीमावर्ती ग्रामीण क्षेत्रो के फर्मो द्वारा अपने-अपने क्षेत्रो में एक-एक हजार बोरी चावल या चीनी किसे बेच दिया जबकि ये सीमावर्ती ग्रामीण क्षेत्र खेती बारी वाले इलाके भी है. तथा इन सीमावर्ती ग्रामीण क्षेत्रो की आबादी भी अधिक नहीं है. तो बेचा किसे. जाहिर सी बात है यहाँ कुछ तो खेल खेला जा रहा है.

 

सीमा पर बढ़ी प्याज की तस्करी-

भारत-नेपाल सीमावर्ती इलाकों में इन दिनों खुले आम भारतीय बाजारों से प्याज की कालाबाजारी पड़ोसी देश नेपाल के लिए तस्कर करने में लगे हुए हैं। सुरक्षा जवानों की मिलीभगत कहे या बिल का बहाना दिन हो या रात  खुले आम बाइक, टैम्पू, पिकप से दिनरात नेपाल जा रहे प्याज पर पुलिस, कस्टम अंकुश लगाने में पूरी तरह विफल है।

 

 

सीमावर्ती क्षेत्रो के गाँव सुंडी, बैरिहवा, डाली, खनुवा, शेख फरेंदा, केवटलीया,गनवरिया से हर दिन भारी मात्रा में प्याज की खेप नेपाल सीमा की तरफ जाते हुए देख लोग कह रहे हैं कि कहीं ऐसा न हो कि प्याज का बढ़ रहा दाम आसमान छू ले। प्रतिदिन बिना नंबर प्लेट के बाईक, टैम्पू एवं पिकप पर लादकर सुंडी, बैरिहवा, डाली, खनुवा, शेख फरेंदा, केवटलीया,गनवरियामार्ग से खुलेआम जाने वाले तस्करों के रफ्तार को देखकर लोग सहम जा रहे हैं। एक तस्कर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की तहसील प्रशासन से लेकर पुलिस, कस्टम  एवं एस.एस.बी. सबको दिया जाता है. अब क्या दिया जाता है आप सब समझ ही गये होगे.

 

इस सम्बन्ध में जब जिम्मेदारो से पूछा जाता है तो कोई कहता है साहब मीटिंग में है या सोए है या नहीं है. कोई कहता है कि हम क्या करे सीमा पर हमारे पास संसाधन नहीं है इनके कागजातों को चेक करने के लिए. कोई कहता है आप वही रहिए हम आ रहे है लेकिन वह महोदय जब तक आते तब तक तस्कर कई चक्कर लगा चुके होते है. जिम्मेदारो की ये गैर जिम्मेदाराना बाते कही न कही ये इशारा करती है गोल माल है भाई सब गोल माल है. अगर यही आलम रहा तो भगवान न करे हमारे देश को इस गैर जिम्मेदारी का कही बड़ा खामियाजा भुगतना न पड़े.

 

अब इन सब के बीच सबसे बड़े सवाल-

इस खेल में शामिल नौतनवा नगर के कुछ फर्मो तथा सीमावर्ती ग्रामीण क्षेत्रो के फर्मो के खरीद बिक्री की जाँच पड़ताल कौन करेगा?

पकड़े जाने पर तस्कर के इवे बिल या फर्म का कच्चा बिल सही है या गलत इसकी जाँच कौन करेगा?

इस तस्करी को रोकने की बजाए उससे मुह फेरने वाले उन जिम्मेदार विभागों की गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली का जवाब कौन देंगा?

हमारे सुरक्षा एजेंसियों को सीमा पर जाँच पड़ताल के लिए संसाधन कौन उपलब्ध कराएगा? 

 

 

 

 

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