महराजगंज (प्रशांत त्रिपाठी)। भारत-नेपाल सीमा पर तस्करी के नए तरीके से मुर्गों की अवैध तस्करी बढ़ती जा रही है। तस्कर पगडंडियों का सहारा लेकर भारतीय मुर्गों को नेपाल तक पहुंचा रहे हैं। बाइक के जरिए 100 से 200 मुर्गों की खेप आसानी से नेपाल में पहुंचाई जा रही है। यह काम सौनौली कोतवाली क्षेत्र के ग्राम हरदीडाली से हो रहा है। नेपाल में भारतीय मुर्गों पर प्रतिबंध के बावजूद, मुर्गों की तस्करी लगातार जारी है।
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भारत से नेपाल क्यों भेजे जा रहे हैं मुर्गे?
भारतीय मुर्गों की तस्करी का प्रमुख कारण है नेपाल में मुर्गे की कीमत का दोगुना होना। व्यापारियों के अनुसार, भारत में मुर्गे का मीट 160 से 180 रुपये प्रति किलोग्राम मिलता है, जबकि नेपाल में इसकी कीमत 300 से 350 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच जाती है। इस बड़े मूल्य अंतर का लाभ उठाते हुए तस्कर तेजी से मुर्गे नेपाल भेज रहे हैं। प्रति किलोग्राम 100 से 120 रुपये के अंतर को भुनाने के लिए तस्करी बढ़ती जा रही है।
नेपाल में भारतीय मुर्गे की मांग होने के बावजूद नेपाल सरकार ने भारतीय मुर्गों के आयात पर प्रतिबंध लगा रखा है। नेपाल में स्वास्थ्य और पशुधन सुरक्षा से जुड़े नियमों के कारण भारतीय मुर्गों की एंट्री पर रोक है, लेकिन मुर्गे की उच्च कीमत और बढ़ती मांग के चलते तस्कर अवैध रास्तों से इनकी आपूर्ति कर रहे हैं।
बाइक से भेजी जा रही खेप
तस्कर सीमावर्ती इलाकों की पगडंडियों का इस्तेमाल कर मुर्गों की खेप को नेपाल भेज रहे हैं। एक तस्कर एक बाइक पर 100 से 200 मुर्गे लेकर सीमापार कर देता है। इन रास्तों पर सुरक्षा के कड़े पहरे के बावजूद, तस्कर नई-नई तकनीकों से तस्करी को अंजाम दे रहे हैं। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित सौनौली कोतवाली क्षेत्र के हरदीडाली मार्ग से मुर्गों की खेप भेजी जा रही है, जो कि तस्करों के लिए मुख्य मार्ग बन चुका है।
नेपाल में मुर्गे बरामद होने पर सख्त कार्रवाई
नेपाल में भारतीय मुर्गे बरामद होने पर उन्हें तुरंत जब्त कर लिया जाता है। नेपाली प्रशासन द्वारा इन मुर्गों को सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के तहत जमीन में दफना दिया जाता है। इससे भारतीय तस्करों को नुकसान उठाना पड़ता है, लेकिन मुर्गे की तस्करी से होने वाला लाभ इतना अधिक है कि इस अवैध कारोबार को रोकना मुश्किल हो रहा है।
सुरक्षा और निगरानी में कमी
भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी के बावजूद मुर्गों की तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही है। तस्कर पगडंडियों और घने रास्तों का सहारा लेकर निगरानी को चकमा दे रहे हैं। सीमा पर तस्करी के मामलों में वृद्धि होने के बावजूद, तस्करी में कोई कमी नहीं आई है।