महराजगंज महोत्सव बना यादगार, 3,000 से अधिक प्रतिभागियों ने दिखाया अपना हुनर

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महराजगंज। इस वर्ष महराजगंज महोत्सव (Maharajganj festival) ने एक नई ऊंचाई छूते हुए तीन हजार से अधिक प्रतिभागियों को एक मंच पर लाकर इस आयोजन को बेहद खास बना दिया। महोत्सव में विभिन्न क्षेत्रों के कलाकारों, वैज्ञानिकों और शिल्पकारों को सम्मानित किया गया, जो हर वर्ग और उम्र के लोगों को एक साथ जोड़ने का बेहतरीन माध्यम साबित हुआ। खेल, कला, लोक संस्कृति, साहित्य, नृत्य और शिल्पग्राम जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिभाओं ने अपनी कला का शानदार प्रदर्शन किया, जिससे महोत्सव को हर साल की तरह इस बार भी यादगार बनाया गया।

Maharajganj festival
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1,500 से अधिक बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुति ने मोहा मन-

इस महोत्सव में 1,500 से अधिक स्कूली बच्चों ने भाग लिया और अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। बच्चों ने पारंपरिक नृत्य, गीत और नाटकों का ऐसा समावेश किया जिसने भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि को बखूबी उजागर किया। उनकी प्रस्तुतियों ने जहां दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया, वहीं यह भी दिखाया कि कैसे नई पीढ़ी अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़ी रह सकती है।

 

 

महोत्सव का मुख्य उद्देश्य: कला, विज्ञान और संस्कृति का संगम-

महोत्सव का मुख्य उद्देश्य न केवल मनोरंजन करना था, बल्कि प्रतिभाओं को एक मंच देकर उन्हें प्रोत्साहित करना और नई पीढ़ी को प्रेरित करना था। इस मौके पर एडीएम डॉ. पंकज कुमार वर्मा ने कहा, “महराजगंज महोत्सव ने कला, विज्ञान और संस्कृति के सभी पहलुओं को एक साथ लाने का सफल प्रयास किया है। यह आयोजन प्रतिभाओं को निखारने और नई दिशा देने का एक सशक्त माध्यम साबित हुआ है।”

 

 

विज्ञान मेले में 800 से अधिक बाल वैज्ञानिकों ने दिखाया कौशल-

महराजगंज महोत्सव के अंतर्गत आयोजित विज्ञान मेले में 800 से अधिक बाल वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। उन्होंने अपने वैज्ञानिक मॉडलों के माध्यम से नई सोच और तकनीकी कौशल को प्रदर्शित किया। इन नवोन्मेषी मॉडलों ने यह संकेत दिया कि हमारे भविष्य के वैज्ञानिक नवाचार और शोध में कितने आगे बढ़ रहे हैं। इस महोत्सव ने बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ शोध और आविष्कार की प्रवृत्ति को भी बल दिया।

 

 

शिल्पग्राम में स्थानीय कलाकारों का जलवा-

महोत्सव में स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों को भी अपनी कला और शिल्प का प्रदर्शन करने का शानदार अवसर मिला। शिल्पग्राम में विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प प्रदर्शित किए गए, जो महराजगंज और आसपास के क्षेत्रों की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं। 72 ओडीओपी (One District One Product) के स्टाल और 50 छोटे स्टालों ने हस्तशिल्प के साथ-साथ स्थानीय उत्पादों की अनूठी विविधता को दिखाया। इसके अलावा, फूड कोर्ट में 15 दुकानें थीं, जहां विभिन्न प्रकार के स्थानीय खाद्य पदार्थों का आनंद लिया जा सकता था। यह आयोजन न केवल दर्शकों के लिए एक सांस्कृतिक अनुभव साबित हुआ, बल्कि स्थानीय कलाकारों को अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच भी मिला।

 

 

डेढ़ लाख से अधिक दर्शकों ने लिया महोत्सव का आनंद-

पांच दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव का आयोजन जवाहर लाल नेहरू पीजी कॉलेज के मैदान पर हुआ, जिसमें डेढ़ लाख से अधिक लोगों ने विभिन्न कार्यक्रमों और मेले का आनंद उठाया। महोत्सव के दौरान मोनाली ठाकुर और अक्षरा सिंह जैसे प्रसिद्ध कलाकारों के कार्यक्रम ने दर्शकों की भारी भीड़ खींची। इन दोनों कार्यक्रमों में एक लाख से अधिक लोग पहुंचे थे, जिससे आयोजन स्थल दर्शकों से खचाखच भर गया।

 

 

अक्षरा सिंह के कार्यक्रम में तो भीड़ नियंत्रण से बाहर हो गई, जिसके चलते आयोजन स्थल के मुख्य गेट से प्रवेश बंद करना पड़ा। इस दौरान 25 से 30 हजार लोग सड़क पर ही रह गए और मऊपाकड़ से लेकर दुर्गा मंदिर तक कॉलेज रोड पर भारी भीड़ देखने को मिली।

महोत्सव ने दी नई पीढ़ी को प्रेरणा-

महराजगंज महोत्सव ने इस बार केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग के लोगों को एक साथ लाने और उन्हें एक दिशा देने का प्रयास किया। इस महोत्सव ने स्थानीय कलाकारों, शिल्पकारों, वैज्ञानिकों और बच्चों को एक ऐसा मंच दिया, जहां वे अपने हुनर का प्रदर्शन कर सके और समाज में अपनी पहचान बना सके।

महराजगंज महोत्सव में कला, विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में एक नई दिशा स्थापित की है, जो न केवल आज की पीढ़ी को बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगा। महोत्सव की सफलता ने यह साबित कर दिया कि छोटे शहरों में भी प्रतिभा और हुनर की कोई कमी नहीं है, और ऐसे आयोजनों के माध्यम से इन प्रतिभाओं को निखारने और एक पहचान देने का काम किया जा सकता है।

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