जानिए क्या है बजट में घोषित हुई PM Vishwakarma Kaushal Vikas Yojana, यूपी को मिलेगा सर्वाधिक लाभ

लखनऊ: केंद्रीय बजट 2023-24 में पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना की घोषणा की गई है। मकसद यह है कि श्रमेव जयते परंपरा के अनुरूप स्थानीय स्तर पर परंपरागत पेशे से जुड़े लोगों (बढ़ई, दर्जी, नाई, सुनार, लोहार, कुम्हार, हलवाई, मोची, राजमिस्त्री समेत विभिन्न तरह के हस्तशिल्प से जुड़े अन्य लोगों) के श्रम को सम्मान देना। बजट के बाबत दी गई अपनी प्रतिक्रिया में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस योजना की तारीफ की। उन्होंने कहा, मेहनत एवं सृजन करने वालों के जीवन में इस योजना से बड़ा बदलाव आएगा। केंद्र सरकार इसके तहत संबंधित लोगों का हुनर निखारने के लिए प्रशिक्षण एवं तकनीक तो उपलब्ध कराएगी ही, काम को विस्तार देने के लिए जरूरी पूंजी और तैयार उत्पाद के मार्केटिंग में भी मदद करेगी।

यूपी में है स्थानीय हुनर की बेहद सम्पन्न परंपरा
सर्वाधिक आबादी। स्थानीय स्तर पर हुनर की संपन्न परंपरा के नाते इस योजना का लाभ भी उत्तर प्रदेश को ही मिलेगा। इससे ब्रांड यूपी की धूम और बढ़ेगी। साथ ही वोकल फ़ॉर लोकल की अवधारणा भी मजबूत होगी। इसकी एक और भी बड़ी वजह है। योगी सरकार इसी मंशा से करीब 6 साल पहले (2017) ही विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना शुरू कर चुकी है। इस योजना के तहत भी कमोबेश वही काम होते हैं, जिसकी घोषणा केंद्रीय बजट में की गई है। स्वाभाविक है कि पहले पहल करने की वजह से उत्तर प्रदेश को इसका लाभ मिलेगा। योजना को और गति भी मिलेगी।

सबका साथ, सबका विकास नारे को मूर्त करेगी ये योजना
सबका साथ, सबका विकास भाजपा का नारा है। इसके मद्देनजर एक बड़े वर्ग की बेहतरी के लिए केंद्र के स्तर पर ऐसी योजना जरूरी एवं सामयिक थी। इस योजना के जरिए सरकार परंपरागत पेशे से जुड़े लोगों का जीवन स्तर सुधारने के साथ इनकी सेवाओं को प्रशिक्षण तकनीक के जरिए आधुनिक बनाएगी। ऐसे में इनके उत्पाद बाजार के अनुरूप होंगे।

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वोकल फ़ॉर लोकल को मिलेगा और विस्ता
रही उत्तर प्रदेश की बात तो करीब छह साल पहले यहां मुख्यमंत्री की पहल पर “विश्वकर्मा श्रम सम्मान” के नाम से ऐसी ही योजना शुरू की गई थी। इतने समय में परंपरागत पेशे से जुड़े स्थानीय दस्तकारों और कारीगरों के लिए यह योजना संजीवनी बन चुकी है। योजना के तहत अब तक करीब 2 लाख से अधिक श्रमिकों को प्रशिक्षण देकर उनके हुनर को निखारा जा चुका है। यह निखरा हुनर उनके काम में भी दिखे, उनके द्वारा तैयार उत्पाद कीमत एवं गुणवत्ता में बाजार में प्रतिस्पर्धी हों, इसके लिए प्रशिक्षण पाने वाले कारीगरों को उनकी जरूरत के अनुसार निःशुल्क उन्नत टूल किट भी दिये गए।

पांच साल में 5 लाख लोगों को मिलेगा प्रशिक्षण
इस योजना के तहत आगामी 5 वर्ष में 5 लाख लोगों को प्रशिक्षित कर उनका हुनर निखारने एवं टूलकिट देने का लक्ष्य रखा गया है। जरूरत के अनुसार इन्हें बैंकों से भी जोड़ा जाएगा। पिछले बजट में भी इसके लिए 112.50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। उम्मीद है कि केंद्र से मिले मदद से इस योजना के दायरे को और विस्तार मिलेगा।

अब तक की प्रगति और अगले 5 साल का लक्ष्य
उल्लेखनीय है कि परंपरागत पेशे से जुड़े लोगों के हित के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने 2017 में बढ़ई, दर्जी, टोकरी बुनने वाले, नाई, सुनार, लोहार, कुम्हार, हलवाई, मोची, राजमिस्त्री एवं हस्तशिल्पी आदि को केंद्र में रखकर इस योजना की शुरुआत की थी। खुद में यह बड़ा वर्ग है। इस वर्ग के लोग कई पुश्तों से स्थानीय स्तर पर अपने परंपरागत पेशे से जुड़े थे। समय के अनुसार यह खुद को बदलें। इस बदलाव के लिए उनको प्रशिक्षण मिले और काम बढ़ाने के लिए जरूरी पूंजी मिले। यही इसका मकसद था।

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इस तरह होता है योजना का क्रियान्वयन
विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के तहत चिह्नित परंपरागत कारीगरों / हस्तशिल्पियों का हुनर निखारने के लिए उन्हें हफ्ते भर का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। प्रशिक्षण के उपरांत सभी प्रशिक्षित कारीगरों/हस्तशिल्पियों को उनकी जरूरत के अनुसार नि:शुल्क उन्नत टूलकिट्स उपलब्ध कराए जाते हैं। प्रशिक्षित कारीगरों को कारोबार बढ़ाने या इसे और बेहतर बनाने में पूंजी की कमी बाधक न बने, इसके लिए इन्हें प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से लिंक करते हुए बैंकों के माध्यम से ऋण भी उपलब्ध कराया जा रहा है। अब केंद्र की योजना से उत्तर प्रदेश की इस योजना को और विस्तार मिलेगा।

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