कालापानी, लिपुलेख नेपाल का हिस्सा… नेपाली पीएम पुष्प कमल दहल ने भारतीय इलाकों को बताया अपना, भारत के साथ बढ़ेगा तनाव?

निजामुद्दीन की रिपोर्ट-

 

 

 

 

काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार इस बात पर स्पष्ट और दृढ़ है कि लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपु दर्रा सहित महाकाली नदी के पूर्व के सभी क्षेत्र उनके देश का हिस्सा हैं। प्रचंड ने प्रतिनिधि सभा में विनियोग विधेयक, 2081 पर चर्चा के दौरान सांसदों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने याद दिलाया कि 1816 में नेपाल और ईस्ट इंडिया कंपनी सरकार के बीच हुई सुगौली संधि के अनुसार, ये क्षेत्र नेपाल के हैं और इन क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक राजनीतिक मानचित्र भी प्रकाशित किया गया है। नेपाल सरकार ने मई 2020 में के. पी. शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को अपने भू-भाग का हिस्सा दिखाते हुए अपना नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था। बाद में इसे संसद ने सर्वसम्मति से अनुमोदित कर दिया था। नेपाल द्वारा मानचित्र जारी करने के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे ‘एकतरफा कार्रवाई’ बताया था और काठमांडू को आगाह किया कि क्षेत्रीय दावों का ऐसा ‘मनगढ़ंत विस्तार’ उसे स्वीकार्य नहीं है।

भारत नेपाल की लंबी सीमा-

भारत का कहना रहा है कि लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा उसके क्षेत्र हैं। नेपाल पांच भारतीय राज्यों-सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ 1,850 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा साझा करता है। प्रचंड ने कहा कि हालिया भारत यात्रा पर अपने भारतीय समकक्ष के साथ बैठक के दौरान 1950 की भारत-नेपाल शांति एवं मैत्री संधि सहित मौजूदा संधियों व समझौतों को संशोधित और अपडेट करने तथा मौजूदा राजनयिक तंत्र के माध्यम से सीमा संबंधी मुद्दों को सुलझाने पर सहमति बनी थी।

बॉर्डर के मुद्दे सुलझाने पर सहमति-

प्रचंड ने कहा कि हालिया भारत यात्रा के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सीमा सहित सभी लंबित मुद्दों का शीघ्र हल करने का अनुरोध किया था और प्रधानमंत्री मोदी ने सकारात्मक जवाब दिया था तथा विषय को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की थी। प्रचंड ने कहा कि नेपाल-भारत संयुक्त आयोग की 7वीं बैठक में जताई गई प्रतिबद्धता के अनुसार, नेपाल-भारत सीमा से संबंधित ‘बॉर्डर वर्किंग ग्रुप’ की 7वीं बैठक के लिए राजनयिक चैनलों के माध्यम से भारतीय पक्ष को एक पत्र भेजा गया है, ताकि नेपाल-भारत सीमा के शेष भाग में कार्यों को पूरा किया जा सके।

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