कोलम्बो: भारत (India) ने शुक्रवार को श्रीलंका (Sri Lanka) को उसकी अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए निरंतर समर्थन देने का आश्वासन दिया और बदले में श्रीलंका ने कहा कि उसकी भूमि का उपयोग नयी दिल्ली (New Delhi) के सुरक्षा हितों को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों के लिए नहीं होने दिया जाएगा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) के साथ यहां बैठक के दौरान राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake) ने कहा कि समृद्ध श्रीलंका के उनके सपने को साकार करने और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भारत का आर्थिक समर्थन महत्वपूर्ण है। विदेश मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि दिसानायके ने यह भी दोहराया कि श्रीलंकाई क्षेत्र का उपयोग नयी दिल्ली के सुरक्षा हितों के प्रतिकूल गतिविधियों के लिए नहीं होने दिया जाएगा। जयशंकर 23 सितंबर को दिसानायके के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) सरकार बनने के बाद श्रीलंका का दौरा करने वाले पहले विदेशी गणमान्य व्यक्ति हैं।
उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि भारत, श्रीलंका के साथ द्विपक्षीय ऋण पुनर्गठन को लेकर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करेगा तथा निजी बांड धारक ऋण पुनर्गठन समझौते का समर्थन करेगा। जयशंकर ने एकदिवसीय यात्रा के दौरान श्रीलंका की प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या (Sri Lankan Prime Minister Harini Amarasuriya) और विदेश मंत्री विजिता हेराथ (Foreign Minister Vijitha Herath), विपक्षी समागी जन बालवेगया पार्टी के नेता साजिथ प्रेमदासा और पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से भी मुलाकात की। दिसानायके के साथ अपनी बैठक के दौरान, जयशंकर ने यह भी बताया कि कैसे ऊर्जा उत्पादन एवं पारेषण तथा ईंधन एवं एलएनजी आपूर्ति के क्षेत्र में जारी पहल श्रीलंका में “आर्थिक स्थिरता में योगदान देगी और राजस्व के नए स्रोत प्रदान करेगी। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का आर्थिक समर्थन “एक समृद्ध श्रीलंका के उनके सपने को साकार करने और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है।”
विदेश मंत्रालय ने कहा कि सुरक्षा और रक्षा के मामले में बैठकों से यह बात सामने आई कि भारत और श्रीलंका के हित आपस में घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं। बयान में कहा गया है, “विश्वास, पारदर्शिता और आपसी संवेदनशीलता को बढ़ावा देने वाली सतत बातचीत के महत्व को स्वीकार किया गया। राष्ट्रपति ने दोहराया कि श्रीलंकाई क्षेत्र का इस्तेमाल भारत के सुरक्षा हितों के प्रतिकूल गतिविधियों के लिए नहीं होने दिया जाएगा।” श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन प्रयासों के बारे में बात करते हुए, जयशंकर ने याद दिलाया कि भारत शुरू से ही श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में स्थिरता और सुधार का समर्थन करता रहा है और यह वित्तपोषण का आश्वासन देने वाला पहला देश है, जिससे आईएमएफ को विस्तारित निधि सुविधा (EFF) को अंतिम रूप देने में मदद मिली।
विदेश मंत्री ने अंतररष्ट्रीय ‘सॉवरेन बांड’ धारकों के साथ श्रीलंका के समझौते के संबंध में आधिकारिक ऋणदाता समिति में भारत के समर्थन की भी पुष्टि की। उन्होंने कहा, “भारत श्रीलंका के साथ अपने द्विपक्षीय समझौते को शीघ्र पूरा करने का भी इच्छुक है।” जयशंकर ने हेराथ के साथ बैठक के दौरान ‘पड़ोसी पहले’ नीति और सागर दृष्टिकोण के आधार पर द्विपक्षीय सहयोग को प्रगाढ़ बनाने की भारत की मजबूत प्रतिबद्धता से अवगत कराया। उन्होंने आश्वासन दिया कि श्रीलंका को “प्राथमिकता वाली परियोजनाओं के माध्यम से” भारत की तरफ से विकास सहायता दी जाती रहेगी। उन्होंने 6.15 करोड़ अमेरिकी डॉलर के अनुदान के माध्यम से कांकेसंथुराई बंदरगाह का आधुनिकीकरण करने, दो करोड़ अमेरिकी डॉलर की सात पूर्ण हो चुकी ऋण परियोजनाओं को अनुदान में परिवर्तित करने तथा 22 डीजल ट्रेन इंजनों को उपहार स्वरूप देने के नयी दिल्ली के प्रस्तावों को सूचीबद्ध किया। मंत्री ने श्रीलंका द्वारा भारतीय मछुआरों को हिरासत में लिये जाने पर भी चिंता जताई तथा उनकी शीघ्र रिहाई पर जोर दिया।