नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने नए साल से ठीक पहले बड़ी कामयाबी हासिल की है। इसरो का स्पैडेक्स मिशन पीएसएलवी से लॉन्च किया गया। इसी के साथ भारत ने सोमवार रात अंतरिक्ष में दो स्पेसक्राफ्ट को जोड़ने की तकनीक, जिसे स्पेस-डॉकिंग कहते हैं, इसमें महारत हासिल करने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा दिया। ISRO ने 220 किलोग्राम वजन वाले दो छोटे सैटेलाइट्स को ऑर्बिट में स्थापित किया।
SpaDeX मिशन में आगे बढ़ा भारत
स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) मिशन के तहत, ये उपग्रह श्रीहरिकोटा के स्पेस सेंटर से PSLV-C60 रॉकेट के जरिए रात 10 बजे के कुछ समय बाद लॉन्च किए गए। लगभग 15 मिनट बाद, उन्हें 475 किलोमीटर की सर्कुलर ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया। पहला सैटेलाइट प्रक्षेपण के 15.1 मिनट बाद और दूसरा 15.2 मिनट बाद अलग हुआ।
अमेरिका, रूस, चीन के बाद भारत भी इस खास क्लब में
यह उपलब्धि भारत को अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के विशिष्ट समूह में शामिल कर देगी, जो इस तकनीक में महारत रखते हैं। सफल होने पर, भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा। यह मिशन भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए जरूरी है, जिसमें चांद से नमूने लाना, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चांद पर अंतरिक्ष यात्री उतारना शामिल है।
इस तकनीक का इस्तेमाल भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों में किया जा सकता है। इनमें चंद्रमा और मंगल ग्रह के मिशन भी शामिल हैं। यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) के निदेशक एम शंकरन के अनुसार, ‘चेजर’ और ‘टारगेट’ नाम के ये दोनों सैटेलाइट शुरू में एक-दूसरे से थोड़ी दूरी पर होंगे। अगले कुछ दिनों में, सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध तरीके से ये उपग्रह एक-दूसरे से और दूर जाएंगे। इसके बाद ISRO उन्हें जोड़ने का प्रयास करेगा।
ISRO चीफ एस. सोमनाथ ने प्रक्षेपण के बाद कहा, ‘रॉकेट ने उपग्रहों को सही कक्षा में स्थापित कर दिया है। सैटेलाइट एक के पीछे एक चल रहे हैं। अगले कुछ दिनों में उनकी दूरी बढ़कर लगभग 20 किमी हो जाएगी, फिर हम दूरी कम करेंगे और डॉकिंग का प्रयास करेंगे। हम अगले हफ्ते डॉकिंग पूरी करने की उम्मीद कर रहे हैं। इसके लिए निर्धारित डेट 7 जनवरी है। मुख्य डॉकिंग प्रयोग के अलावा, PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (POEM) में 24 नए पेलोड भी भेजे गए हैं। इनमें कई अभूतपूर्व प्रयोग शामिल हैं।
भारत के पहले एस्ट्रोबायोलॉजी पेलोड भी इसमें शामिल हैं। आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग का एक प्रयोग अंतरिक्ष में आंत के बैक्टीरिया के व्यवहार का अध्ययन करेगा। एमिटी विश्वविद्यालय का एक प्रयोग माइक्रोग्रैविटी में पालक के विकास की जाँच करेगा।