इजराइल ने ईरान पर हमले का अंतिम फैसला ले लिया है. 5 घंटे की मैराथन बैठक और 30 मिनट की बाइडेन-बेंजामिन बातचीत के बाद अमेरिका की सहमति मिल चुकी है. ये तय हो चुका है कि ईरान पर कब, कहां और कैसे हमले किए जाएंगे. रिपोर्ट ये भी है कि अमेरिका ने इजराइल के लिए खतरा बन चुकी ईरानी सत्ता को उखाड़ फेंकने का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है. इजराइल और अमेरिका के इस प्लान से ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई भड़क गए हैं और एटमी प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है. आशंका बढ़ गई है कि कि अरब में जल्दी ही परमाणु युद्ध शुरू हो सकता है. 1 अक्टूबर को जब ईरान ने इजराइल पर 200 मिसाइलें दागीं तभी ये तय हो गया था कि ईरान पर इजराइल के विनाशक पलटवार निश्चित हैं.
इजराइल के रक्षा मंत्री योव गैलांट का बड़ा बयान आया है. उन्होंने कहा, अलग-अलग जगहों पर सटीक हमले हमारा फोकस है. हमारी हमले की क्षमता बहुत ताकतवर है. युद्ध के कई फ्रंट पर हम ये दिखा चुके हैं. जिन्होंने हम पर हमले किए, उनको गहरी चोट लगेगी. उन्हें कीमत चुकानी होगी. हमारे हमले घातक, सटीक और चकित करने वाले होंगे. उन्हें समझ नहीं आएगा कि क्या हुआ और कैसे हुआ. वो विनाशक परिणाम के लिए तैयार रहें.
बाइडेन और नेतन्याहू की लंबी बातचीत
इजराइल इस जिद पर अड़ा था कि ईरान पर हमले होंगे और उसके न्यूक्लियर ठिकानों को तबाह किया जाएगा. इजराइल की इस जिद पर बाइडेन भड़के हुए थे. मगर, अब ईरान पर हमलों के प्लान को हरी झंडी मिल चुकी है. ये सब बाइडेन और नेतन्याहू की लंबी बातचीत और सुरक्षा कैबिनेट की बैठक में तय हुआ है. 9 अक्टूबर की रात इजराइली पीएम नेतन्याहू ने सुरक्षा कैबिनेट की बैठक बुलाई. इसमें वरिष्ठ मंत्री शामिल हुए. बैठक 5 घंटे तक चली.
बैठक में ईरान पर हमलों के ब्लू प्रिंट को मंजूरी दे दी गई. बैठक के बाद इजराइल के प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से बात की. नेतन्याहू ने बाइडेन से 30 मिनट तक बात की. उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी फोन लाइन पर थीं. नेतन्याहू के साथ राजनयिक सलाहकार ओफिर फाक, सैन्य सचिव रोमन गोफमैन, चीफ ऑफ स्टाफ जाकी ब्रेवमैन, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के उप प्रमुख गिल रीख मौजूद थे. नेतन्याहू ने इस बातचीत में अमेरिका को ईरान पर हमलों के ब्लूप्रिंट के बारे में जानकारी दी.
न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले का था प्लान
पहले इजराइल ईरानी तेल के कुओं पर हमले करना चाहता था. साथ ही ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले का प्लान था. इनके साथ-साथ ईरान के सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले करना चाहता था. मगर, अमेरिका की सलाह और कैबिनेट बैठक में बातचीत के बाद ईरान के मिसाइल और सैन्य बेस पर हमलों को हरी झंडी दे दी गई है. अमेरिकी मीडिया हाउस ABC न्यूज के मुताबिक इजराइल ने पूरा ब्लूप्रिंट अमेरिका के साथ साझा नहीं किया है. मगर, बाइडेन प्रशासन इजराइल के इस प्लान पर सहमत है.
सवाल ये है कि इजराइल के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुके ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले ना करने के लिए बेंजामिन सहमत क्यों हो गए. इसके पीछे है अमेरिका की ईरान में तख्तापलट कराने की रणनीति है. अमेरिका ने इजराइल को भरोसा दिया है कि ईरान में खामेनेई की इस्लामिक सरकार को गिराने की नीति पर काम तेज कर दिया गया है. ईरान के निर्वासित राजकुमार मोहम्मद रेजा पहलवी को ईरान की सत्ता सौंपी जाएगी. 1979 तक ईरान में पहलवी वंश का ही शासन चलता था. पहलवी राजपरिवार अमेरिका का समर्थक सरकार है.
रेजा वापस चाहते हैं ईरान का शासन
यानी अमेरिका एक बार फिर ईरान को 1979 वाली स्थिति में लाने की तैयारी कर रहा है. इस्लामिक क्रांति से पहले ईरान के शहंशाह मोहम्मद रेजा शाह पहलवी हुआ करते थे. 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांत भड़की और पहलवी का तख्तापलट कर दिया गया. मोहम्मद रेजा शाह पहलवी ने परिवार सहित अक्टूबर 1979 को तेहरान छोड़ दिया. 22 अक्टूबर 1979 को ईरान के शहंशाह पहलवी अमेरिका पहुंचे.
वर्तमान में शहंशाह के वारिस उनके बेटे मोहम्मद रेजा पहलवी हैं. रेजा अमेरिका के वर्जीनिया के ग्रेट फॉल्स में रहते हैं. रेजा ईरान का शासन वापस चाहते हैं. वाशिंगटन का पहलवी को इस मुद्दे पर समर्थन है. रेजा शाह पहलवी ने कहा है कि वो ईरान में लोकतांत्रिक सरकार चलाने पर सहमत हैं. अमेरिका चाहता है कि इस्लामिक सरकार को हटाकर अपने समर्थन वाली सरकार बनाई जाए. इजराइल के हमलों की तैयारी और अमेरिका के प्लान की जानकारी मिलते ही ईरान चौकन्ना हो गया है.
ईरान ने 7 अक्टूबर को परमाणु बम का परीक्षण किया
ईरान ने अमेरिका और इजराइल के इस ब्लू प्रिंट को अपनी संप्रभुता के लिए खतरा माना है. ईरानी सांसदों के एक समहू ने खामेनेई को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में आत्मरक्षा के लिए एटमी हथियारों को जरूरी बताया गया है. ईरानी संसद ने सुप्रीम लीडर खामेनेई से एटम बम बनाने की इजाजत मांगी है. रिपोर्ट ये भी है कि ईरान परमाणु बम का परीक्षण कर चुका है. सेमनान प्रोविंस में ईरान ने 7 अक्टूबर को परमाणु बम का परीक्षण किया, जिसके बाद साढ़े चार तीव्रता वाला भूकंप आया था.
जुलाई के महीने में IAEA ने रिपोर्ट जारी की थी कि ईरान परमाणु बम बनाने की दिशा में 95% तक यूरेनियम संवर्धन कर लिया था. IAEA ने कहा था कि ईरान के पास 6 परमाणु बम बनाने लायक वेपन ग्रेड यूरेनियम तैयार हो चुका है. रक्षा जानकारों के मुताबिक, ईरान तकनीकी तौर पर एटम बम बनाने के लिए तैयार है. अब उसे सिर्फ राजनीतिक हरी झंडी की जरूरत है. खामेनेई सरकार पर संकट आता देख ईरान अब एटम बनाने जा रहा है.
एटमी बवंडर में बदल सकती है ये जंग
US-इजराइल के ब्लूप्रिंट को बर्बाद करने के लिए ईरान ने ये तय किया है कि इजराइल ने अगर छोटा हमला भी किया तो उसका जवाब देने में देरी नहीं की जाएगी. ईरान ने अपने स्तर पर राजनयिक गतिविधि भी तेज कर दी है. ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की है. रूस, चीन सहित अरब के दूसरे देशों से भी समर्थन हासिल करने की मुहिम तेज कर दी है. ऐसे में अगर इजराइल ईरान पर हमला करता है तो ये जंग एटमी बवंडर में बदल सकती है.