लोकसभा चुनाव में बीजेपी और शिंदे के सुर में सुर मिलाने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे का चार महीने में ही सुर बदल गया है. लोकसभा चुनाव में समर्थन किया था, लेकिन अब विधानसभा चुनाव में मुंबई से लेकर ठाणे तक बीजेपी और शिंदे की सियासी टेंशन बढ़ा दी है. मुंबई बेल्ट की 36 सीटों में से 25 सीट पर राज ठाकरे अपने उम्मीदवार को उतारकर फिर से अपनी सियासी किस्मत को जगाना चाहते हैं. ऐसे में आक्रामक हिंदुत्व का दांव खेल रहे हैं, जिसके चलते ही बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन के लिए चिंता का सबब बन गए है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे खुलकर दांव खेल रहे हैं और सियासी बिसात बिछाने में जुटे हैं. एमएनएस ने करीब 100 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं, जिसमें से 25 टिकट मुंबई क्षेत्र की सीटों पर उतारे हैं. बीजेपी भले ही माहिम सीट पर उन्हें समर्थन करने की बात कर रही है, लेकिन शिंदे के प्रत्याशी न हटाए जाने के चलते राज ठाकरे के टारगेट पर बीजेपी और शिंदे दोनों ही आ गए हैं. मुंबई इलाके की जिन सीटों पर राज ठाकरे ने उम्मीदवार उतारे हैं, उसमें 12 सीट पर बीजेपी और 10 सीट पर एकनाथ शिंदे गुट वाले शिवसेना के प्रत्याशी से मुकाबला है. सात बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ भी राज ठाकरे ने प्रत्याशी उतार रखे हैं.
शिंदे गुट के खिलाफ प्रत्याशी उतारे
राज ठाकरे ने शिंदे गुट के उम्मीदवार के खिलाफ प्रत्याशी उतारे हैं, उसमें वर्ली सीट मिलिंद देवड़ा के खिलाफ संदीप देशपांडे, माहिम में सदा सरवनकर के विरुद्ध अमित ठाकरे, कुर्ला में मंगेश कुडालकर के खिलाफ प्रदीप वाघमारे, चांदीवली में दिलीप लांडे के खिलाफ महेंद्र भानुशाली, चेंबूर में तुकाराम काठे के सामने मौली थोरवे , डिंडोशी में संजय निरुपम के खिलाफ भास्कर परब , जोगेश्वरी पूर्व में मनीषा वायकर के खिलाफ भालचंद्र अंबुरे, विक्रोली में सुवर्णा करंजे के सामने विश्वजीत दोलम, मानखुर्द शिवाजी नगर सीट पर सुरेश पाटिल के खिलाफ जगदीश खांडेकर, और मगाठाणे में प्रकाश सुर्वेश के खिलाफ नयन का बांध को उतारा है.
बीजेपी के खिलाफ मनसे से उतारा
वहीं, राज ठाकरे ने बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ मनसे से जिन अपने नेताओं को उतारा है, उसमें वडाला सीट पर बीजेपी की कालिदास कोलंबकर के खिलाफ स्नेहल जाधव, विले पार्ले में पराग अलावनी के खिलाफ जुइली शेंडे और वर्सोवा में संदेश देसाई को प्रत्याशी बनाया है. गोरेगांव में विद्या ठाकुर के सामने वीरेंद्र जादव, कांदिवली पूर्व में अतुल भातखलकर के खिलाफ महेश फारकसे, चारकोप में योगेश सागर के सामने दिनेश साल्वी, बोरीवली में संजय उपाध्याय के खिलाफ कुणाल मेनकर, दहिसर में मनीषा चौधरी के खिलाफ येरुणकर, घाटकोपर पश्चिम में राम कदम के खिलाफ गणेश चुक्कल और घाटकोपर पूर्व सीट पर पराग शाह के खिलाफ संदीप कुलथे को उतारा है. इसी तरह कलिना में आरपीआई के अमरजीत सिंह के खिलाफ मनसे संदीप हुटगी और बांद्रा (पूर्व) सीट पर एनसीपी के जीशान सिद्दीकी के खिलाफ मनसे से तृप्ति सावंत किस्मत आजमा रही हैं.
वोट हो सकते हैं विभाजित
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि एमएनएस ने जिस तरह बीजेपी और शिंदे की शिवसेना के खिलाफ मुंबई की सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं, उसमें ज्यादा झटका शिंदे को लग सकता है. शिवसेना ने सेवरी में कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है, लेकिन राज ठाकरे वर्ली, माहिम, मागथेन, कुर्ला,चांदिवली, भांडुप और विक्रोली सहित 110 सीटों पर लड़ रहे हैं. इसके अलावा ठाणे इलाके में भी राज ठाकरे ने प्रत्याशी उतारकर शिंदे के गढ़ में सीधे उन्हें चुनौती दे दी है. उद्धव ठाकरे से नाराज ओवर शिंदे के पक्ष में जाने के बजाय राज ठाकरे का भी एक विकल्प होगा. एकनाथ शिंदे और राज ठाकरे दोनों अपने हिंदुत्व और मराठी मानूस साख को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं. ऐसे में वोट विभाजित हो सकता है.
दो धड़ों में बंट चुकी शिवसेना
महाराष्ट्र में शिवसेना दो धड़ों में बंट चुकी है, जिसमें एक की कमान उद्धव ठाकरे के हाथों में है तो दूसरे की बागडोर एकनाथ शिंदे संभाल रहे हैं. शिवसेना के वोटर्स भी दो हिस्सों में बंटे हुए 2024 के लोकसभा चुनाव में नजर आए थे. मुंबई के इलाके में शिंदे को बहुत ज्यादा सियासी लाभ नहीं मिल सका था, लेकिन कोंकण बेल्ट में अपना सियासी दबदबा बनाए रखने में शिंदे कामयाब रहे हैं. इस बार राज ठाकरे के उम्मीदवार उतारे जाने के चलते सेना के वोटों में तीन दलों के बीच बिखराव होने की संभावना दिख रही है.
सियासी गेम बिगाड़ने का प्लान
राज ठाकरे ने बीजेपी पर नरम रुख इख्तियार कर रखा है, लेकिन एकनाथ शिंदे को लेकर आक्रमक नजर आ रहे हैं. इससे समझा जा सकता है कि राज ठाकरे किस तरह विधानसभा चुनाव में शिंदे का सियासी गेम बिगाड़ने का प्लान बना रखा है. हालांकि, उन्होंने बीजेपी के खिलाफ भी प्रत्याशी उतारे हैं. इसका लाभ महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवार को हो सकता है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि कहीं राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे बीच कोई सियासी खिचड़ी तो नहीं पक रही. इसके चलते ही उन्होंने शिंदे और बीजेपी की खिलाफ कैंडिडेट उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है.