Guru Nanak Dev Jayanti: सिख धर्म में गुरु पर्व का होता है विशेष महत्व, कार्तिक पूर्णिमा पर मनाते हैं गुरु नानक जयंती

Guru nanak dev jayanti: सिख धर्म में गुरु पर्व का होता है विशेष महत्व, कार्तिक पूर्णिमा पर मनाते हैं गुरु नानक जयंती
आज यानी की 15 नवंबर को सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती मनाई जा रही है। यह सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस बार गुरु नानक जयंती आज यानी की 15 नवंबर को मनाई जा रही है। हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन को गुरु पर्व और गुरु नानक प्रकाश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। इस बार गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती मनाई जा रही है। तो आइए जानते हैं गुरु नानक जी के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में…
जन्म और शिक्षा
पाकिस्तान के तलवंडी में 15 अप्रैल 1469 को गुरु नानक देव का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम तृप्ता देवी था। इन्होंने अपनी शिक्षा घर पर ही प्राप्त की थी। गुरु नानक देव जी को अरबी, फारसी और संस्कृत भाषाओं में महारत हासिल थी। इनके अनुयायी गुरु नानक देव को बाबा नानक, नानकदेव, नानक और नानक शाह जी जैसे नामों से भी संबोधिक करते हैं। इन्होंने ‘इक ओंकार’ का संदेश दिया था। जिसका अर्थ है कि ईश्वर एक है।
गुरु नानक की शिक्षाएं
एक ओंकार
सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानाक देव ने ‘एक ओंकार’ की शिक्षा दी। जिसका अर्थ है कि ईश्वर एक है और वह हर जगह उपस्थित है। हम सब उस ईश्वर की संतानें हैं। एक ओंकार के जरिए गुरु नानक देव जी यह भी संदेत देते हैं कि हम सभी को भेदभाव से दूर रहना चाहिए और हर मनुष्य में ईश्वर को देखना चाहिए।
नाम जप
इसके अलावा गुरु नानक देव जी ने परमात्मा का नाम सुमिरन करने का भी संदेश दिया है। नानक देव का मानना था कि परमात्मा का सुमिरन करने से मनुष्य के जीवन से अंधकार हटता है और जीवन में सुख-शांति आती है। ईश्वर का नाम जप करने से व्यक्ति में दया और प्रेम आता है।
ईमानदारी से काम
नानक देव जी का मानना था कि हर किसी को अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ करना चाहिए। क्योंकि मेहनत और ईमानदारी से अर्जित किया हुए धन से हमेशा बरकत होती है। साथ ही ईमानदारी होने पर व्यक्ति के अंदर संतोष और आत्मविश्वास की भावना भी जागृत होती है। इसलिए हर किसी को अपने काम के प्रति हमेशा ईमानदार रहना चाहिए।

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